Stress Free Life: आपकी जिंदगी में भी कुंडली मारकर बैठा है स्ट्रेस तो अपने लाइफस्टाइल में शामिल करें यह कारगर टिप्स

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्ट्रेस (Stress) होना हर व्यक्ति के लिए आम सी बात होती जा रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं यह स्ट्रेस नजरअंदाज करने वाली चीज नहीं बल्कि बीमारियों और परेशानियों की शुरुआत है। ज्यादा स्ट्रेस लेने से इंसान का दिमाग (Brain) कम काम करने लगता है, स्ट्रेस से मानसिक (Mental) और शारीरिक (Physical) दोनों तरह के कष्टों का अनुभव होता है। कई बार तो स्ट्रेस की यह बीमारी बढ़ते-बढ़ते किसी खतरनाक रोग को जन्म दे देती है। इसीलिए कहते हैं कि बात-बात पर तनाव में आना, ना मन के लिए सही है, ना तन के लिए। आपके पूरे जीवन पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे बचाव के लिए आपको कुछ बातों को अपनी लाइफस्टाइल में शामिल करना चाहिए और टेंशन-फ्री (Tension Free) रहकर खुशियों से जिंदगी का भरपूर आनंद उठाना चाहिए।
जब से शीना को पता चला है, उसकी अभिन्न सहेली कनिका ने किटी पार्टी में उसकी अनुपस्थिति में उसकी बुराई की है, तब से वह यह सोच-सोचकर अपना बीपी बढ़ाए बैठी है, क्योंकि उसे भरोसा ही नहीं हो पा रहा कि उसके बचपन की सहेली उसके लिए कुछ बुरा बोल सकती है। शीना अकसर दूसरों के व्यवहार से बहुत जल्दी आहत हो जाती है। आमतौर पर महिलाएं बहुत भावुक होती हैं, लोगों की कटु बातों या व्यवहार से बहुत जल्दी दुखी हो जाती हैं, यही नहीं कई बार तो वे मन ही मन घुटती रहती हैं और तनावग्रस्त हो कर स्वयं को ही बीमार कर लेती हैं। जिस प्रकार शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना जरूरी है, ठीक उसी प्रकार मन से भी स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए जिंदगी बहुत खूबसूरत है, बस हमें इसे देखने के लिए अपने नजरिए को बदलने की जरूरत होती है। आइए जानते हैं वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक निधि तिवारी के अनुसार यह नजरिया क्या है और हम अपना नजरिया कैसे बदलें।
भूल जाएं कटु व्यवहार
वास्तव में हमें अपनी जिंदगी को खिले गुलाब (Rose) की तरह बनाना चाहिए, न कि तय किए रूमाल की तरह, अगर हम लोगों के कटु व्यवहार (Rude Behavior) की परतें बना कर अपने मन में जमाते रहेंगे तो मन और तन दोनों प्रभावित होंगे, जो सेहत के लिए सही नहीं है। इसलिए अपनी जिंदगी को रूमाल की तरह नहीं बल्कि खिले गुलाब की तरह बनाएं। अपने जीवन को गुलाब की पंखुड़ियों की तरह खुशियों से खिलने दीजिए। कई बार विपरीत परिस्थितियों में हमारे अपने ही साथ नहीं देते, उनका यह व्यवहार हमें बार-बार तकलीफ देता है। ध्यान रखिए कि इस संसार में भांति-भांति के लोग हैं, उनकी सोच और व्यवहार भी अलग-अलग ही होते हैं, इसलिए लोगों के अनुचित व्यवहार को मन में बैठाने की जगह, कटु क्षण समझकर भूल जाएं और आगे की ओर देखें।
पॉजिटिव रहें
जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक तरफ जहां बुरी यादों को भूलना जरूरी है, वहीं अपने आस-पास के पॉजिटिव सोच (Positive Thinking) वाले लोगों, अच्छे कामों और व्यवहार को सहेजना भी बेहद जरूरी है, क्यों कि दुख में ऐसी यादें, आपके होंठों पर मुस्कराहट (Smile) लाती हैं। अपने आस-पास के लोगों की चुगली और आलोचना करने के बजाय सदैव प्रशंसा करें और खुद को पॉजिटिव रखें।
जो अच्छा हुआ, उसे डायरी में लिखें
हर दिन रात्रि को सोने से पूर्व दिन में आपकी मदद करने वाले या कुछ अच्छा करने वाले या फिर आपने कुछ अच्छा किया है उसका विवरण अपनी डायरी (Diary) में लिखें, ऐसा प्रतिदिन करने से आपके मन में सकारात्मक तरंगों (Positive Energy) का संचार होगा, आप खुश (Happy) रहेंगी ।
स्वयं पर फोकस करें
परिवार के सदस्यों, मित्रों या दूसरों से उम्मीद करने के बजाय खुद पर ध्यान देना सीखें, जीवन में छोटी -छोटी खुशियों को सेलिब्रेट करें। मसलन कोई नई डिश बनाने पर खुश हों, अच्छा गीत गा लेने या मनोनुकूल घर सजा लेने पर खुश हों। अपनी हॉबी (Hobby) पर काम करके स्वयं को व्यस्त रखें, इससे आपको एक अलग तरह की खुशी महसूस होगी।
कामों को आपस में बांटें
यदि आप घर के सारे काम स्वयं करेंगी तो थक जाएंगी। काम अगर पूरे न हुए तो निराश होंगी। अच्छा हो घर के सदस्यों के बीच काम बांट दें, इससे घर के सदस्य काम भी सीखेंगे और आपको भी काम के भार का तनाव नहीं महसूस होगा।
ओवर थिंकिंग से बचें
किसी भी घटना या कार्य के बारे में बहुत अधिक न सोचें, क्योंकि बहुत ज्यादा सोचने (Over Thinking) से हम स्वयं से ही तर्क-वितर्क करने लगते हैं, जिससे तनाव होता है। हमारी मानसिक सेहत प्रभावित होती है, इसकी अपेक्षा किसी भी काम को करने का प्लान बनाएं और इस पर काम करना शुरू कर दें।
प्रकृति का साथ लें
साल में एक या दोबार अपने बजट के अनुकूल परिवार के साथ कहीं घूमने जाएं, इससे एक तो फैमिली बॉन्डिंग (Family Bonding) मजबूत होगी, दूसरे जगह परिवर्तित होने से आप नई ऊर्जा से भर उठेंगी। इसके अतिरिक्त सुबह-शाम अपने घर के नजदीक के किसी पार्क में जरूर जाएं, क्यों कि प्रकृति सबसे बड़ी स्ट्रेस बूस्टर होती है।
प्रतिभा अग्निहोत्री
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