Janjatiya Gaurav Diwas: जनजातीय गौरव दिवस मनाने की कैसे हुई शुरुआत, पढ़िये इस दिन का पूरा इतिहास

Janjatiya Gaurav Diwas: जनजातीय गौरव दिवस मनाने की कैसे हुई शुरुआत, पढ़िये इस दिन का पूरा इतिहास
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Janjatiya Gaurav Diwas 2022: जनजातीय गौरव दिवस 15 नवंबर को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के जीवन का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। पढ़िये आगे...

Janjatiya Gaurav Diwas 2022: जनजातीय गौरव दिवस 15 नवंबर को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के जीवन का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। 1875 में पैदा हुए बिरसा मुंडा ने बंगाल प्रेसीडेंसी के क्षेत्रों में अंग्रेजों और धर्मांतरण गतिविधियों के खिलाफ एक क्रांतिकारी आंदोलन का नेतृत्व किया था। खूंटी, तामार, सरवाड़ा और बंदगांव के मुंडा बेल्ट में बिरसा मुंडा के विद्रोह के कारण पारंपरिक जनजातीय संस्कृति (traditional tribal culture) को पुनर्जीवित किया गया था। यह बिरसा मुंडा ही थे, जिन्होंने "अबुआ राज एते जाना, महारानी राज टुंडु जाना" का नारा दिया था, जिसका मतलब "रानी के राज्य को समाप्त करने और हमारे राज्य की स्थापना" है।

जानिए कब हुई जनजाति गौरव दिवस मनाने की शुरुआत

ब्रिटिश हिरासत में रहते हुए 25 साल की छोटी उम्र में बिरसा मुंडा की रांची जेल में मृत्यु हो गई, लेकिन आदिवासी लोगों की बेहतरी में उनके योगदान ने उन्हें 'भगवान' की उपाधि दिला दी थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर 2021 को बिरसा मुंडा की जयंती और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान का जश्न मनाने के लिए 'जनजाति गौरव दिवस' के रूप में घोषित किया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में बिरसा मुंडा की याद में रांची में एक संग्रहालय भी समर्पित किया, जिसे धरती आबा के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने ट्वीट किया, "जैसे हम 15 अगस्त, 26 जनवरी, गांधी जयंती और सरदार पटेल जयंती मनाते हैं, वैसे ही हम 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाएंगे। यह गौरवशाली आदिवासी संस्कृति का जश्न मनाने का दिन होगा और राष्ट्रीय विकास में योगदान देगा।"

संग्रहालय बिरसा मुंडा समेत कई स्वतंत्रता सेनानियों को है समर्पित

संग्रहालय रांची की पुरानी सेंट्रल जेल में स्थित है, जहां बिरसा मुंडा ने अंतिम सांस ली थी। यहां पर मुंडा की 25 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। बिरसा मुंडा के साथ संग्रहालय में बुधु भगत, सिद्धू-कान्हू, गया मुंडा, जात्रा भगत, पोटो एच, नीलांबर-पीतांबर, भागीरथ मांझी, दिवा-किसुन, तेलंगा खड़िया और गंगा नारायण सिंह सहित अन्य आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों पर भी प्रकाश डाला गया है। यहां एक 25 एकड़ का मेमोरियल पार्क भी है, जिसमें म्यूजिकल फाउंटेन, फूड कोर्ट, चिल्ड्रन पार्क, इन्फिनिटी पूल, गार्डन और अन्य मनोरंजन सुविधाएं हैं। परियोजना को केंद्र और झारखंड सरकार के संयुक्त प्रयासों से विकसित किया गया था।

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