Restless Legs Syndrome: पैरों को हिलाते रहना महज आदत नहीं, ये गंभीर बीमारी की हो सकती है वजह

Restless Legs Syndrome: पैरों को हिलाते रहना महज आदत नहीं, ये गंभीर बीमारी की हो सकती है वजह
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Restless Legs Syndrome: आज क समय में बदलते लाइफस्टाइल से हो रही कई प्रकार की बीमारियां जानिए इस रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (restless legs syndrome) के बारे में विस्तार से

Restless Legs Syndrome: आज के दौर में कई अलग-अलग प्रकार की बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। यह सब बदलते लाइफस्टाइल के कारण हो रहा है क्योंकि लोग अपनी हेल्थ का कम ध्यान रखते हैं। बदलते लाइफ स्टाइल की वजह से होने वाली अनेकों बीमारियों में से एक बीमारी रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (restless legs syndrome) है। इस बीमारी से पीड़ित लोगों को आराम की अवस्था में अपने पांवों में कंपन महसूस होने लगती है। कई लोग लेटने के दौरान भी लगातार पांवों को हिलाते रहते हैं। यह लक्षण मामूली माने जा सकत हैं, लेकिन यह बीमारी बेहद गंभीर है। तो चलिये बताते हैं कि रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम आखिरकार क्या है और इससे बचने के लिए क्या उपचार हैं।

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम क्या है (what is restless legs syndrome)

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (restless legs syndrome) नर्व सिस्टम से जुड़ी बीमारी है। मतलब यह है कि इस बीमारी में मस्तिष्क से पांवों तक संदेश भेजने की प्रक्रिया में बाधा आती है। इसके कारण व्यक्ति को पैरों को हिलाने की बहुत इच्छा होती है। विशेष रूप से जब किसी व्यक्ति की बॉडी आराम कर रही होती है, उस वक्त उसके पैर हिलने लगते हैं। यही नहीं, विश्राम की स्थिति में पैरों में कंपन भी महसूस होती है। इसी कारणवश नींद में रूकावट व समस्या भी हो सकती है।

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के प्रकार (Types of Restless Legs Syndrome)

अर्ली ऑनसेट (Early onset)

यह बीमारी हर किसी आयु वर्ग के लोगों में हो सकती है। मसलन, चाहे बच्चे हों या बुजुर्ग इस समस्या से पीड़ित हो सकते हैं। इसी आयु वर्ग के आधार पर रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम को दोे भागों में बांटा गया है। 45 से कम उम्र के लोगों को इस बीमारी की चपेट में आने वाली स्थिति को अर्ली ऑनसेट कहा जाता है।

लैट ऑनसेट(Late onset)

45 साल से अधिक लोगों में रेस्टलेट लेग्स सिंड्रोम को लैट ऑनसेट की श्रेणी में रखा जाता है। इसका मतलब यह है कि इस बीमारी का पता 45 की उम्र के बाद ही पता चल पाता है। तो चलिये नीचे बताते हैं कि रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के लक्षण क्या है।

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के लक्षण (Symptoms of Restless Legs Syndrome)

पैरों को हिलाने का बहुत अधिक मन होना ।

आराम करते वक्त पैरों में एक अजीब सी बेचैनी महसूस करना।

पैर हिलाने से बेचैनी से राहत मिलना।

सोते वक्त पैरों में कंपन महसूस करना या झटके आना।

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से आने वाली दिक्कतें

नींद में दिक्कत होना।

सोने में या सोते रहने में परेशानी।

थकान होना या दिन में नींद की स्थिति में रहना।

बिहेवियर या मनोदशा में चेंज होना।

चीजों को याद रखने में या ध्यान लगाने में कठिनाई।

चिंता या डिप्रेशन होना।

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के कारण (Causes of Restless Legs Syndrome)

क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम का वास्तविक कारण अभी तक नहीं मिल पाया है, लेकिन रिसर्च से पता चलता है कि न्यूरोलॉजिकल समस्या की वजह से भी ऐसी दिक्कतें पैदा होती हैं। हॉर्मोन डोपामाइन की कमी के कारण ब्रेन तरंगों को पैरों तक प्रवाह नहीं कर पाता है। इसके चलते पैरों में कंपन या असहजता महसूस होने लगती है।

वंशागत (Hereditary)

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम आपको विरासत में भी मिल सकता है। प्रेग्नेंसी के समय यदि माता या पिता में से किसी एक को भी यह सिंड्रोम हुआ हो, तो यह बच्चे या आने वाली संतान में भी होने के चांस हो सकते हैं ।

कुछ मेडिसिन (Medicine)

रिपोर्ट्स बताती हैं कि एंटीडिप्रेसेंट, एंटीहिस्टामाइन या एंटीनोसिया जैसी कुछ दवाइयां रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम का कारणों को और बिगाड़ सकती हैं। ऐसे में इस बीमारी के लक्षण पाए जाने पर तुरंत न्यूरोसर्जन की सलाह लेनी चाहिए। साथ ही, अपनी मेडिकल हिस्ट्री भी लेकर जानी चाहिए ताकि समय रहते उनका उपचार शुरू हो सके।

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से निदान व इलाज (Restless legs syndrome treatment)

इस रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से निदान पाने के लिए रोगी कुछ दवाइयों की सहयता ले सकते हैं। इसके साथ अपनी लाइफस्टाइल में भी पॉजीटिव चेंज लाना होगा। इसके लिए आपके अपने डॉक्टर को अपनों कंडीशन बतानी होगी, जिससे इस सिंड्रोम से निदान पाने में सहायता मिल सके।

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Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है। इन तरीकों और सुझावों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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