Hartalika Teej 2022: पद्मश्री ममता चंद्राकर से जानिए हरतालिका तीज का महत्व, मशहूर लोकगीत गायिका कैसे मनाती हैं ये त्यौहार?

Hartalika Teej 2022: पद्मश्री ममता चंद्राकर से जानिए हरतालिका तीज का महत्व, मशहूर लोकगीत गायिका कैसे मनाती हैं ये त्यौहार?
X
लोकगीत गायिका पद्श्री ममता चंद्राकर (Padmashree Mamta Chandrakar) ने बताया हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2022) का महत्व, यह भी बताया कि वह इस पर्व को कैसे मनाती हैं।

Hartalika Teej 2022: हमारे लोकपर्व हमारी संस्कृति-परंपरा को ही नहीं संजोते, जीवन को उत्साह-उमंग से भी भरते हैं, हमें आपस में जोड़कर रखते हैं। इन्हीं लोक पर्वों में है हरतालिका तीज, जो पति की दीर्घायु और मंगलमय दांपत्य जीवन के लिए मनाया जाता है। इस पर्व का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व क्या है? सुप्रसिद्ध लोकगीत गायिका पद्मश्री ममता चंद्राकर (Mamta Chandrakar) ने बताया, आज के समय में इस का क्या महत्व है। हरतालिका तीज का पर्व स्त्रियों के जीवन में बहुत अहम होता है। यह पर्व उन बेटियों के लिए तो बहुत ही मायने रखता है, जो ससुराल चली गई हैं। इस पर्व के मौके पर बेटियां मायके आती हैं, अपनों से मिलती हैं। यहां उन्हें प्रेम और सम्मान मिलता है, कह सकते हैं यह पर्व अपनों से (Hartalika Teej 2022 Importance) मिलन का उत्सव है।

धार्मिक महत्व

हरतालिका तीज पर स्त्रियां पति की दीर्घायु और मंगलमय दांपत्य जीवन की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं, शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। ऐसा माना जाता है, जैसे पार्वती जी ने शिव जी को पाने के लिए यह व्रत किया था, उसी तरह कुंवारी कन्याएं भी हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और मंगलकामना करती हैं कि उन्हें भी शिव के समान अच्छा जीवनसाथी मिले।

परिवार-समाज को जोड़ने वाला पर्व

हरतालिका तीज का ना सिर्फ धार्मिक, सांस्कृतिक महत्व है, इस पर्व का सामाजिक महत्व भी बहुत है। इस व्रत में ऐसी परंपरा है कि विवाहित बेटियां अपने मायके आती हैं, मायके से मिली साड़ी पहनकर ही यह व्रत पूरा करती हैं। इस दिन महिलाएं खूब संजती-संवरती हैं, अपनी सखियों से मिलती हैं। उनके साथ हंसी-ठिठोली करती हैं। परिवार के लोग ही नहीं, आस-पड़ोस के लोग भी आपस में मिलते-जुलते हैं। हर्षोल्लास के साथ सब मिलकर इस पर्व को मनाते हैं। इन सब से महिलाओं को एक अलग ही खुशी मिलती है, इससे उन्हें एक नई ऊर्जा मिलती है। जीवन में अगर नीरसता होती है तो अपने आप ही दूर हो जाती है।

आज भी है इस पर्व का महत्व

पर्व कोई भी हो, उस पर्व के पीछे हमारी भावनाएं जुड़ी होती हैं, एक उद्देश्य भी होता है। पर्वों से हमारे पारिवारिक मूल्य बढ़ते हैं। हरितालिका तीज पर हम पूरी आस्था से इस व्रत को रखते हैं। हमारे यहां छत्तीसगढ़ में तो पूरे 48 घंटे निर्जल व्रत रखा जाता है। इस पर्व के मायने कभी नहीं बदल सकते। समय चाहे जितना बदल जाए, लेकिन हमारे अहसास आज भी वैसे ही हैं, जैसे पहले थे। हम कभी अपनी परंपरा-संस्कृति से अलग नहीं हो सकते।

परिवार से दूर इस पर्व का महत्व

हम चाहे परिवार के साथ रहें या अपनी जॉब के चलते अपने होम टाउन से दूर किसी दूसरे शहर में हों, पर्वों के प्रति मन में आस्था के भाव रखें। हां, परिवार हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है। हम दूर भी हों लेकिन परिवार से जुड़े रहें। जब हमारे भीतर ऐसी भावनाएं होंगी तो हम कहीं भी रहें, हरतालिका जैसे पर्वों को उतने ही उत्साह-उमंग के साथ मनाएंगे जैसे घर पर रहकर परिवार के साथ मनाते हैं। अपनों से दूर रहकर भी हम घर के बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। परिवार के अन्य सदस्यों से भी फोन पर बात करके उनके प्रति प्यार प्रकट कर सकते हैं। इस तरह हरतालिका तीज का पर्व एक-दूसरे को प्यार-स्नेह की भावनाओं से जोड़े रख सकता हैं।

सदैव बनी रहेगी प्रासंगिकता

यह मान लेना गलत है कि आधुनिक जीवन में हरतालिका तीज जैसे पर्वों की प्रासंगिकता नहीं है। इस पर्व की प्रासंगिकता सदैव बनी रहेगी। अगर हम देखें तो धीरे-धीरे संयुक्त परिवार खत्म हो रहे हैं। कम से कम हरतालिका तीज जैसे पर्वों के अवसर पर हम आपस में मिलते हैं। दूसरे आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास इतना समय नहीं होता कि वे जल्दी-जल्दी मिलें, लेकिन पर्वों के कारण हम आपस में मिलते हैं, एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। इसलिए हमारे पर्वों की मान्यताएं और प्रासांगिकता सदैव बनी रहेंगी।

पति-पत्नी के बीच बढ़ता है प्रेम-विश्वास

हरतालिका तीज में निहित भावनाएं पति-पत्नी को आपस में जोड़ती हैं। अब तो महिलाओं के साथ पति भी व्रत रखने लगे हैं। पति अपनी जीवन संगिनी का पूरा साथ देते हैं, घर कामों में पत्नी का हाथ बंटाते हैं। इससे एक-दूसरे के प्रति प्रेम, सम्मान और विश्वास का भाव बढ़ता है। इस दिन महिलाओं की खुशी उनके चेहरे पर अलग ही झलकती है। इस तरह यह पर्व पति-पत्नी के दांपत्य जीवन में मधुरता घोलता है। परिवार को भी खुशहाल बनाता है।

इस दिन उत्साह-उमंग से भर उठती हूं

मैं तो इस पर्व को बहुत खुशी-खुशी धूमधाम से मनाती हूं। सखियों से मिलना होता है, नई साड़ी पहनना, सोलह श्रृंगार करना, इन सबमें मुझे खूब आनंद मिलता है। सारा दिन मन उत्साह-उमंग से भरा रहता है। हरितालिका तीज के व्रत में हमें पति का प्यार भी खूब मिलता है, जिनके लिए हम सजते-संवरते हैं। पति के चेहरे पर भी अगल ही खुशी देखने को मिलती है।

प्रस्तुति: सुमन कुमारी

Tags

Next Story