जलाएं आशा के दीपक

संकट की घड़ी में आशा का दीपक जलाए रखें
हिमानी शिवपुरी, एक्ट्रेस
दीपावली का पर्व बहुत ही सकारात्मकता से भरा हुआ है। यह पर्व हमें बताता है कि कोई भी दुख, समस्या ज्यादा समय तक जीवन में नहीं रहती है। यह बात हम एक नन्हे दीपक से प्रतीक रूप में समझ सकते हैं। एक दीपक जब जलता है तो अपने आस-पास के अंधकार को मिटा देता है। संकट की घड़ी में हमें अपने भीतर आशा का दीपक जलाए रखना चाहिए। कोरोना संकटकाल में भी इस बात को अमल में लाने की जरूरत है। अगर मैं अपनी बात करूं तो मैंने अपने जीवन में आई निराशा के अंधकार को खुद के आत्मबल से दूर किया। जब मेरे पति का देहांत हुआ था तो मेरा बेटा बहुत छोटा था। तब मैं बहुत निराश थी, लेकिन मैंने अपने अंदर हौसले का दीपक जलाया, अपने बेटे की परवरिश और अपने काम पर ध्यान दिया। देखिए, आज भी मैं एक्टिंग कर रही हूं। इन दिनों एंडटीवी के सीरियल 'हप्पू की उलटन-पलटन' में कटोरी अम्मा का किरदार निभा रही हूं। आखिर में मैं सभी से कहना चाहूंगी कि कोरोना संक्रमण के बचाव को ध्यान में रखते हुए, दिवाली की खुशियां जरूर मनाएं। मैं भी बिना पटाखे वाली दिवाली मनाऊंगी। मां लक्ष्मी और गणेश जी से सबके मंगल की कामना करूंगी।
अपने भीतर के उजास को हमेशा बनाए रखें
मालती जोशी, लेखिका
दीपावली का पर्व हमें बहुत गहरा संदेश देता है। इस दिन जब असंख्य दीप जलते हैं, तो चारों तरफ का अंधकार दूर हो जाता है। इसी तरह हम भी अपने मन के प्रकाश यानी सकारात्मकता से, अपने भीतर की निराशा को दूर कर सकते हैं। कोरोना संकट काल में तो हमें अपने भीतर की सकारात्मकता को हर हाल में बनाए रखना है। तभी हम इस मुश्किल समय का सामना कर पाएंगे। सिर्फ कोरोना काल में ही नहीं, हमें हर समय और स्थिति में खुद को सकारात्मक बनाए रखना चाहिए। इसके लिए हम अच्छे विचार मन में लाएं, अच्छी किताबें पढ़ें। खुद को खुश रखें और दूसरों को भी खुश करने का प्रयास करें। मैं अपनी कहानियों के जरिए भी प्रेम और मानवीय संबंधों और सकारात्मक भावों की बात करती हूं।
दीपावली के अवसर पर मैं सभी से यही कहना चाहूंगी कि अपने भीतर के उजास को यानी सकारात्मकता को हमेशा बनाए रखें। सहेली की पाठिकाओं को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं।
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खुद को निराशा के अंधकार में मत जाने दें
अरुणिमा सिन्हा, पर्वतारोही
दीपावली का पर्व और दीपक हमें इस बात को समझाता है कि कोई भी समस्या, विषम परिस्थिति हमेशा नहीं रहती है। जैसे ही दीए की भांति हमारा मन सकारात्मकता के भाव से आलोकित होता है, वैसे ही दुख, निराशा सब दूर हो जाते हैं। मैंने तो अपने जीवन-अनुभव से यही सीखा है। जब एक दुर्घटना में मेरा एक पैर कट गया था तो जीवन अंधकारमय लगा था, लेकिन जल्दी ही मैं समझ गई कि निराशा से कुछ हासिल नहीं होगा। इसके बजाय सकारात्मक भाव से अपने अंदर एक ऊर्जा समेटी और अपनी क्षमता को पहचानकर कुछ अलग करने की सोची। मैंने एवरेस्ट पर चढ़ने की सोची और ऐसा करके भी दिखाया। अब मैंने भी अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है कि दूसरों को प्रोत्साहित करूंगी, उनके जीवन की निराशा को दूर करूंगी।
इस दिवाली मैं सभी लोगों से कहना चाहूंगी कि कोरोना का संकटकाल चल रहा है, इस दौर में खुद को मजबूत बनाए रखें। अपने आपको निराशा के अंधकार में मत जाने दें। अपने भीतर के उजास को पहचानें। मेरी तरफ से हैप्पी दिवाली।
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निराशा को करें अलविदा
मन में लाएं सकारात्मक भाव
स्नेह गंगल, पेंटर
हमारी भारतीय संस्कृति में त्योहारों का विशेष महत्व है। ये त्योहार ही हैं, जो हमें अपनों से जोड़ते हैं, हमें सकारात्मक बनाते हैं। दिवाली का पर्व भी हमारे जीवन को सकारात्मक बनाता है। कोरोना संकट के समय तो इस बात की हमें ज्यादा जरूरत है। इस मुश्किल घड़ी में लोग बहुत परेशान-निराश हैं। लेकिन चिंता करने से, परेशान होने से समस्या-संकट दूर नहीं होगा। यह तब दूर होगा, जब हम अपने मन में आशा का दीपक जलाएंगे। इसका मतलब है कि मन को सकारात्मक बनाए रखेंगे। मैं स्वयं को हमेशा सकारात्मक बनाए रखती हूं, इसके लिए मोटिवेशनल किताबें पढ़ती हूं। इसके अलावा जो लोग मुझसे जुड़े हैं, उनको भी अपना संबल देती हूं। कोरोना काल में तो खासकर हम सभी को एक-दूसरे के साथ और संबल की जरूरत है। दिवाली पर तो हमें संकल्प लेना चाहिए कि अपने जीवन में छायी निराशा को अलविदा कहेंगे और सकारात्मक विचारों को महत्व देंगे। सभी को दिवाली की शुभकामनाएं।
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