Honey: डायबिटीज के मरीजों के लिए अमृत से कम नहीं शहद का सेवन, स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Honey: डायबिटीज के मरीजों के लिए अमृत से कम नहीं शहद का सेवन, स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
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Benefits Of Honey: शहद पर हुए एक अध्ययन में कई चौंकाने वाली बातें सामने आयी हैं। साथ ही जानिए रॉ और प्रोसेस्ड हनी में कौन सा सेहत के लिए अच्छा साबित होगा।

Honey May Improve Blood Sugar and Cholesterol: शहद हम सभी की किचन का एक बहुत ही जरूरी हिस्सा है, जितना ये स्वाद में लाजवाब होता है उतना ही ये सेहत के लिए भी बेमिसाल होता है। सर्दी, फ्लू और गले में खराश की समस्या का सामना कर रहे लोगों को भी शहद दिया जाता है। मधु मक्खियों द्वारा बनाया जाने वाला यह लिक्विड बहुत पौष्टिक होता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, राइबोफ्लेविन, कार्ब्स और फ्लेवोनोइड्स के गुण पाए जाते हैं। शहद के ये गुण कई तरह से आपके स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। लेकिन अब, एक नए अध्ययन से पता चला है कि हाई कैलोरी सामग्री के बावजूद शहद ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है और कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित कर सकता है।न्यूट्रिशन रिव्यूज़ जर्नल में प्रकाशित, टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने शहद के सेवन के अच्छे साइड की खोज की।

क्या शहद कार्डियोमेटाबोलिक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकता है?

शहद दुनिया के कुछ सुरक्षित स्वीटनरों में से एक है, जिसमें बहुत कम या कोई वसा सामग्री नहीं होती है। इस स्टडी के लिए, विशेषज्ञों ने एक सिस्टमैटिक रिव्यू और मेटा-एनालिसिस किया जिसमें 18 ट्रायल्स शामिल थे। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि शहद का कार्डियोमेटाबोलिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

रॉ हनी बनाम प्रोसेस्ड हनी

एक ओर स्टडी में पाया गया कि एक ही फूल से निकला कच्चा शहद और नॉर्मल शहद सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। वहीं प्रोसेस्ड शहद में ऐसे कोई लाभ नहीं थे। स्टडी के परिणाम आश्चर्यजनक थे क्योंकि शहद में 80 प्रतिशत चीनी होती है जिसे पारंपरिक रूप से मधुमेह के रोगियों के लिए हानिकारक माना जाता है। क्योंकि इससे ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने का डर होता है। लेकिन शहद प्रोटीन, कार्बनिक अम्ल, दुर्लभ शर्करा और अन्य जैव सक्रिय यौगिकों (bioactive compounds) का एक जटिल संयोजन है जो साथ मिलकर इसे हेल्दी बनाते हैं।

डायबिटीज के मरीजों के लिए शहद क्यों फायदेमंद है?

मधुमेह के टाइप-1 या टाइप-2 रोगी, अपने फेनोलिक यौगिकों (phenolic compounds) और फ्लेवोनोइड्स (flavonoids) के कारण शहद पर वापस जा सकते हैं। जो रक्त के थक्कों को रोकते हैं और सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके हृदय रोग के जोखिम को कम करते हैं।

दिल और मधुमेह के स्वास्थ्य के लिए विशेषज्ञ फ्लोरल सोर्स से कच्चे शहद या नॉर्मल शहद के सेवन पर जोर देते हैं। क्योंकि वे प्रिजर्वेटिव्स और एडेड शुगर की पोषण-विघटन (nutrition-destroying action) क्रिया से बचाते हैं। विशेषज्ञ शहद को उसकी सबसे प्राकृतिक अवस्था में खाने की सलाह देते हैं और आदर्श मात्रा की बात करें, तो एक या दो बड़ा चम्मच कच्चा शहद सेहत के लिए पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त करने के लिए पर्याप्त है।

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