भगवान राम से जुड़ी है मकर संक्रांति पर पतंगबाजी की परंपरा, जानिए पौराणिक और वैज्ञानिक राय

भगवान राम से जुड़ी है मकर संक्रांति पर पतंगबाजी की परंपरा, जानिए पौराणिक और वैज्ञानिक राय
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Makar Sankranti 2023: त्रेता युग से संबंधित है मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा। साथ ही, जानिए वैज्ञानिकों की राय क्या है।

Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति के दिन से ही हिन्दू (Hindu) धर्म में त्योहारों की शुरुआत होती है। यह त्योहार भारत वर्ष में मनाया जाने वाला बहुत ही अहम फेस्टिवल होता है। ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान धनु राशि से निकलकर मकर राशि में जाते हैंं। साथ ही, मकर संक्रांति के दिन से खरमास (Kharmas) खत्म हो जाता है और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करने और दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग अपने घरों में गुड़ और तिल के लड्डू बनाते हैं।

बता दें कि मकर संक्रांति का त्योहार सिर्फ गुड़ और तिल के लड्डू और स्नान-दान तक सीमित नहीं हैं। इस दिन पतंगबाजी (Patangbaji) भी की जाती है। मकर संक्रांति के दिन देशभर में पतंगें उड़ाई जाती हैं। पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि संक्रांति के त्योहार पर पतंग क्यों उड़ाई जाती है? अगर आपका जवाब नहीं है तो चलिए जानते हैं ऐसा क्यों होता है? बताते चलें कि इस साल ग्रहों के फेरबदल के कारण मकर संक्रांति 14 जनवरी को नहीं बल्कि 15 जनवरी यानी रविवार को मनाई जाएगी।

जानते हैं क्यों उड़ाई जाती है पतंग?

मकर संक्रांति के पावन अवसर पर पूरे देश में पतंग उड़ाई जाती है। यही कारण है कि मकर संक्रांति को पतंग पर्व भी कहा जाता है। संक्रांति पर पतंग उड़ाने के धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही महत्व हैं। दक्षिण भारत में प्रचलित पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्रीराम ने पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत की थी। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने जो पतंग उड़ाई थी, वो इंद्र लोक में चली गई थी। इसके बाद से आज भी मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की इस परंपरा को फॉलो किया जा रहा है।

जानिए पतंग उड़ाने का वैज्ञानिक महत्व?

वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो पतंग उड़ाने से हम हेल्दी रहते हैं। पतंग उड़ाने से दिमाग और दिल के बीच का बैलेंस बना रहता है। पतंग को धूप में उड़ाया जाता है, जिससे हमारे शरीर को विटामिन-डी भरपूर मात्रा में मिलता है और स्किन की बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है। मकर संक्रांति का पर्व सर्दियों के मौसम में मनाया जाता है और ठंड में हमारे शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही स्किन भी रूखी हो जाती है। मकर संक्रांति पर सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं। इस समय में सूर्य की किरणें औषधि का काम करती हैं। इसलिए इस पर्व पर पतंग उड़ाने को शुभ माना जाता है और वैज्ञानिकों के मुताबिक हेल्दी भी होता है।

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