Women Health Tips: 30 के बाद महिलाओं को हो सकती है ये बीमारियां, नजरअंदाज किया तो...

Most Common Health diseases Women : उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के शरीर में बदलाव होते रहते हैं। इन बदलावों के अनुसार उन्हें अपनी केयर करने की जरूरत होती है। खासकर तीस की उम्र पार करने के बाद उनको अपनी सेहत (Health) को लेकर ज्यादा कॉन्शस रहना चाहिए। ऐसा करने पर इस उम्र के बाद भी आप हेल्दी-फिट (Healthy-Fit) रहेंगी। यहां हम आपको कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में बता रहे हैं, जिनके होने की आशंका 30 की उम्र पार करने के बाद बढ़ जाती हैं।
1- फाइब्रॉयड (Fibroid)
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. शोभा गुप्ता बताती हैं कि फाइब्रॉयड एक किस्म की गांठ होती है, जो यूटेरस यानी गर्भाशय में होती है। यह गांठ मांसपेशियों और कोशिकाओं से बनी होती है, जो नॉन कैंसरस होती है। 30 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को फाइब्रॉयड होने की आशंका ज्यादा होती है। ज्यादातर महिलाओं को फाइब्रॉयड होने पर पता ही नहीं चलता है, क्योंकि इसके कुछ अलग लक्षण उभरकर नहीं आते हैं। हालांकि हैवी ब्लीडिंग, पीरियड्स पेन, तेज पेट दर्द इसके लक्षणों में शामिल होते हैं। अल्ट्रासाउंड से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। डिटेक्ट होने पर ट्रीटमेंट में देर नहीं करनी चाहिए।
2- इनफर्टिलिटी (Infertility)
गायनेकोलॉजिस्ट का कहना है कि आमतौर पर तीस साल की उम्र पार करने के बाद महिलाओं की प्रजनन क्षमता घटने लगती है। 35 साल के बाद यह और भी कम हो जाती है। लेकिन सही खान-पान, जीवनशैली को संतुलित रखकर आप अपनी प्रजनन क्षमता को बरकरार रख सकती हैं। ऐसे मे महिलाओं को चाहिए कि वे अपनी फैमिली प्लानिंग सही उम्र में ही कर लें। अगर किसी कारणवश ऐसा नहीं कर पा रही हैं, तो उन्हें अपनी हेल्थ का पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि इनफर्टिलिटी की प्रॉब्लम से बची रह सकें।
3- प्रीमेच्योर ओवरीज फेलियर (Premature Ovary Failure)
डॉ. शोभा गुप्ता की मानें तो प्रीमेच्योर ओवरीज फेलियर में अंडाशय सामान्य मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन नहीं बनाते या फिर अंडे अपने निश्चित समय पर नहीं निकलते। ऐसा सामान्यत: मेनोपॉज होने पर होता है। लेकिन बदलती जीवनशैली, काम के दबाव के कारण कई महिलाएं 30-40 साल की उम्र के बीच इस तरह की परेशानियों का सामना करने लगी हैं। हालांकि हमारे देश में 30 से 40 साल की उम्र वर्ग में प्रीमेच्योर ओवरीज फेल होने के मामले 0.1 प्रतिशत तक देखे जाते हैं। यह प्रतिशत भले देखने में कम है, लेकिन 25 प्रतिशत तक महिलाएं इररेग्युलर पीरियड्स से लगातार परेशान रहती हैं। इस वजह से फ्यूचर में उन्हें इनफर्टिलिटी की प्रॉब्लम फेस करनी पड़ सकती है।
4- पीसीओएस (PCOS)
पीसीओएस यानी पोलीसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम एक गंभीर बीमारी है। पीसीओएस होने के पीछे जेनेटिकल और एन्वॉयर्नमेंटल फैक्टर जिम्मेदार हैं। पीसीओएस पेशेंट में हार्मोनल डिसबैलेंस के कारण अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। अगर समय रहते इन सिस्ट्स का इलाज ना करवाया गया, तो यह कैंसर का रूप ले सकते हैं। एक रिपोर्ट की मानें तो करीब दस प्रतिशत टीनएजर गर्ल्स पीसीओएस की समस्या से प्रभावित होती हैं। इसका मतलब यह है कि तीस की उम्र पार चुकी महिलाओं को इस संबंध में और भी सतर्क रहना चाहिए।
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