Mother's Day 2022: बच्चों की सफलता के पीछे मां का है अहम रोल, जानी-मानी हस्तियों से जानें कैसे कठिन वक्त में बनी सबसे बड़ी सपोर्टर

Mothers Day 2022: बच्चों की सफलता के पीछे मां का है अहम रोल, जानी-मानी हस्तियों से जानें कैसे कठिन वक्त में बनी सबसे बड़ी सपोर्टर
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मां का साथ, उनका सहारा हमें जीवन के मुश्किल दौर से बाहर निकालने में सबसे अहम साबित होता है। मां हमारी ताकत बन जाती है। ऐसे ही अनुभव अलग-अलग क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियों के जीवन में भी देखने को मिलते हैं। ये हस्तियां मदर्स-डे पर मां से जुड़े अपने अहसास, अनुभव साझा कर रही हैं।

Mother's Day 2022: इस रविवार 8 मई को पूरे विश्व में मदर्स डे (Mother's Day) मनाया जाएगा। मां (Maa) दूसरे की जरूरतों के आगे खुद को भूल जाती है और शायद साल में कम से कम एक दिन उन्हें आराम देना और उनके लिए कुछ करने के लिए इस दिन को स्पेशल तरीके से मनाया जाना चाहिए। मां और बच्चों का रिश्ता (Mother and Children Relations) बहुत ही गहरा होता है। अपने बच्चों की खुशियों के लिए मां पूरे संसार से लड़ जाती है। मां के ये ही उदाहरण अलग-अलग क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियों के जीवन में भी देखने को मिलते है। अपनी इस स्टोरी में हम आपके लिए लेकर आएं हैं कला की दुनिया से जुड़ी दो महान स्त्रियों के अनुभव...

सुधा अरोड़ा (Sudha Arora)


साहित्यकार सुधा अरोड़ा ने "बगैर तराशे हुए", "काला शुक्रवार" और "युद्दविराम" जैसे कई किताबें लिखी, जिनके लिए उन्हें सम्मनित भी किया गया है। सुधा बताती हैं कि उनका अपनी मां के प्रति लगाव बहुत अधिक था। लेखिका कहती हैं कि उनका सपना पूरा करने में उनकी मां ने खूब साथ दिया और जब जरूरत पड़ी तो मां पूरे परिवार के खिलाफ जाकर उनका संबल बनी।

सुधा ने बातचीत करते हुए कहा, "मेरी मां को मुझसे बहुत ही अधिक लगाव था। दरअसल, मां शादी से पहले कविताएं लिखा करती थीं, लेकिन बच्चे होने के बाद उनका रचनाकर्म रुक गया। फिर जब मैं कम उम्र में ही कविताएं लिखने लगी तो मां ने बहुत ही प्रोत्साहित किया, अपने सारे सपने मुझमें उतार दिए। जहां तक बात मां के संबल की है तो वह हमेशा मिला।"

इसके साथ ही सुधा ने अपने साथ हुई उस घटना के बारे में विस्तार से बताया जब मां ने उन्हें सबसे ज्यादा सहारा दिया। उन्होंने कहा, "अपने साथ हुई एक घटना का जिक्र करना चाहूंगी, जब मां मेरा सबसे बड़ा संबल बनीं। यह उस समय की बात है, जब मैंने एमए कर लिया था, मैं मास्टर डिग्री में गोल्ड मेडलिस्ट थी। लेकिन हमारा समाज व्यवसायी समाज था, जहां लड़के बी.कॉम से ज्यादा पढ़ते नहीं थे, अपने पिता का व्यवसाय देखते थे। ऐसे ही एक दिल्ली के रईस परिवार के इकलौते लड़के से मेरी शादी तय की गई। शादी की तैयारी होने लगी। अचानक ही वह लड़का शादी से दस दिन पहले कोलकाता किसी काम से आया और मुझसे मिला। उसने जैसी बातें मुझसे कीं, वह सुनकर मैं हैरान रह गई। जीवनसाथी के रूप में वह व्यक्ति सही नहीं लगा। लेकिन शादी के लिए ना कहना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था, क्योंकि मेरी शादी की वजह से पहले ही परिवार वाले काफी परेशान हो चुके थे। तब मां ने उस लड़के की बातें सुनकर कहा कि यह तो चालाक, खुद को उच्च समझने वाला व्यक्ति है। हम ऐसे लड़के से अपनी बेटी की शादी नहीं करेंगे। मां की बात सुनकर परिवार में हंगामा हो गया। लेकिन उस समय मां मेरे लिए पूरे परिवार के खिलाफ खड़ी हो गईं, जबकि इससे पहले उन्होंने अपनों की किसी बात को नजरअंदाज तक नहीं किया था। इस तरह मां ने मेरे जीवन में आने वाली एक बड़ी मुश्किल को पहले ही टाल दिया। फिर कुछ वर्ष बाद मैंने प्रेम विवाह किया और एक खुशहाल जीवन की शुरुआत की। आखिर में मदर्स-डे पर पाठकों से मैं यही कहूंगी कि मां की बातों को नजरअंदाज ना करें, वह हमेशा ही आपका भला चाहती हैं। उन्हें अपना पूरा प्यार और सम्मान दें।"

शोवना नारायण (Shovana Narayan)


वहीं पद्म श्री पुरस्कार से सम्मनित मशहूर कथक नृत्यांगना शोवना नारायण ने भी उनके और उनकी मां के बीच रिश्ते के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, "मां निस्वार्थ भाव से अपने बच्चों के लिए बहुत त्याग करती है, जिससे वे एक सुखी जीवन जिएं। मेरी मां ने भी मुझे जिस तरह प्यार दिया, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। आज मैं जो हूं, उनकी वजह से हूं। बचपन में डांस से मेरा परिचय मां ने ही कराया। जब मुझे डांस का साथ मिला तो मेरा मन, जीवन खुशियों से भर गया। लेकिन मेरा डांस करना रिश्तेदारों को नहीं भाया। एक बार कुछ रिश्तेदार मेरे घर आए। उस वक्त बात चली कि मैं प्रोफेशनली आगे क्या करूंगी? ऐसे में मम्मी-पापा बोले कि जो शोवना को अच्छा लगे वह कर सकती है, वह डांस को पसंद करती है तो इसे भी प्रोफेशन के तौर पर ले सकती है। यह बात रिश्तेदारों को बिल्कुल पसंद नहीं आई। उन्होंने डांस प्रोफेशन के बारे में अपशब्द कहे। तब मां ने उनसे विनम्रता से कहा कि आप मेरे घर की चार-दीवारी में बैठे हैं, यहां पर आप डांस के बारे में अपशब्द नहीं कर सकते हैं। अगर आपको अपना ऐसा नजरिया सबके सामने रखना है तो पब्लिक प्लेस पर जाकर रखिए। उस वक्त मां ने मेरे डांस प्रोफेशन को जिस तरह सपोर्ट किया, उससे मुझे भी हिम्मत मिली। आगे चलकर मैंने इस फील्ड में अपना नाम कमाया, अपनी मां को गर्व करने का मौका दिया। मदर्स-डे पर पाठिकाओं से यही कहूंगी कि हमें मां से जो सीखें मिली हैं, उन्हें हमेशा महत्व दें। मां को पूरा सम्मान दें। तभी हमारा जीवन सफल, सार्थक बनेगा।"

लेखक- पूनम बर्त्वाल (Poonam Bartwal)

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