Mother's Day 2022: त्याग की मूरत मां का जीवन हर कदम पर देता है नई प्रेरणा, सीखे जीने की कला

Mother's Day 2022: हर नन्हा बच्चा जब बोलना शुरू करता है तो जो पहला शब्द उसके मुख से निकलता है, वो होता है 'मां'। मां की अंगुली पकड़कर ही बच्चा चलना सीखता है। आरंभिक व्यावहारिक ज्ञान उसे मां से ही मिलता है। वह अपने बच्चे का व्यक्तित्व गढ़ती है, उसे सही-गलत का ज्ञान कराती है। मां ही है, जो बिना बोले जान जाती है कि उसके बच्चे की जरूरत क्या है, तब वह अपने स्नेहिल स्पर्श से उसकी तकलीफ को पल भर में दूर कर देती है। अपनी संतान से मां के जुड़ाव के बारे में, उनसे मिलने वाले स्नेह-ममता के बारे में जितना कहा जाए, उतना कम है। हम चाहें तो उनके व्यवहार, उनसे मिली सीखों को अपने व्यक्तित्व में शामिल कर अपने जीवन को और भी सुंदर-सफल बना सकते हैं।
स्वार्थ से परे प्रेम करना
मां का प्रेम-स्नेह असीम, अनंत होता है। ये स्नेह अपने बच्चों के लिए कभी भी कम नहीं होता है। उसका प्रेम बिल्कुल निस्वार्थ होता है। मां कभी भी अपने स्नेह के बदले कुछ पाने की कामना नहीं करती है। तभी तो बच्चों से उसका नाता सबसे गहरा और अनमोल होता है। यही सीख हमें मां से मिलती है कि निस्वार्थ प्रेम करो तो हर संबंध गहरा हो जाएगा। आज के समय में यह सीख और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि समाज में लोगों के बीच दूरियां बढ़ रही हैं, संबंध बिखर रहे हैं। अगर हम सब एक-दूसरे से बिना स्वार्थ के प्रेम करना सीख लें, सबको स्नेह दें तो अपने रिश्तों को मधुर-मजबूत बना सकते हैं।
रिश्तों को सहेजने का हुनर
मां से हम नि:स्वार्थ प्रेम के अलावा रिश्तों को सहेजने की कला भी सीख सकते हैं। मां अपने मायके से लेकर ससुराल तक और आस-पड़ोस से लेकर नाते-रिश्तेदारी तक में, हर किसी का हाल-चाल हमेशा पूछती है। तीज-त्योहारों पर नजदीकी लोगों को मिठाई, पकवान भेजती है। शादी-ब्याह के मौकों पर शामिल होती है। वहीं तकलीफ या बीमारी में भी अपनों की मदद के लिए तैयार रहती है। इन तरीकों से ही वह अपने रिश्तों को मजबूत बनाए रखती है। हमें भी अपने सामाजिक, पारिवारिक जीवन से जुड़े रिश्तों में, इन बातों को महत्व देना चाहिए। अपने रिश्तों से जुड़ाव बनाए रखना चाहिए।
धैर्य बनाए रखने की कला
मां एक तरफ जहां प्यार की मूरत होती है, वहीं उनके भीतर बहुत धैर्य भी होता है। बच्चों की परवरिश के दौरान उनका यह गुण और भी बढ़ जाता है। तभी तो आगे चलकर मांएं कभी भी जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेती हैं। किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले कई बार सोचती है। ऐसा होने पर ही वह सही फैसला लेती है। जीवन में सफल होने के लिए धैर्य रखने की कला मां से सीखनी चाहिए।
माफ करने की क्षमता
मां का हृदय प्रेम से भरा होता है, यही कारण है कि वह दूसरों की गलतियों को सरलता से माफ कर देती है। यहां तक कि जब कभी हम उनका दिल दुखाते हैं तो भी वह हमें क्षमा कर देती है। जबकि अन्य रिश्तों-संबंधों में ऐसा नहीं होता है। मां का माफ करना बताता है कि रिश्तों को बनाए रखने के लिए, उनकी डोर को टूटने से बचाने के लिए माफ किया जाना जरूरी है। अगर आप भी अपने रिश्तों को प्रगाढ़ बनाना चाहती हैं तो अपनों को गलती को माफ करें या खुद से गलती हुई हो तो दूसरों से माफी मांगें। माफ करने का यह गुण ही आपको एक सहज, सरल इंसान बनने में भी मदद करेगा।
तो आइए इस मदर्स-डे, मां के व्यक्तित्व की इन सभी खूबियों को, सीखों को अपने जीवन में अपनाने का खुद से वादा करें।
लेखक- पूनम बर्त्वाल (Poonam Bartwal)
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