Mother's Day 2022: कोरोना काल में सामने आया मांओं का एक नया रूप, ऐसे संभाली बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी

Mothers Day 2022: कोरोना काल में सामने आया मांओं का एक नया रूप, ऐसे संभाली बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी
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मांएं अपने बच्चों के लिए किसी भी परेशानी का सामना कर सकती हैं। कोरोना काल में मांओँ के आगे जब अपने बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी आई तब हमें उनका एक नया ही रूप देखने को मिला।

Mother's Day 2022: कोरोना काल (Corona Period) हम सबकी जिंदगी में एक काले अध्याय की तरह है। यह वो समय था, जब हमने बहुत कुछ खोया। खोया तो अपने लिए नए रास्ते भी बनाए। जब लॉकडाउन (Lockdown) में स्कूल-कॉलेज बंद हो गए तो ऑनलाइन स्टडी (Online Studies) का रास्ता बना। सवाल यह था कि बड़े बच्चे तो ऑनलाइन स्टडी कर सकते हैं, लेकिन छोटे बच्चे ऑनलाइन स्टडी कैसे करेंगे? एक बार तो यही लगा, नन्हें बच्चों का साल बर्बाद हो जाएगा।

मांएं बनी शिक्षार्थी

नन्हे बच्चों को लेकर सबसे बड़ी समस्या यही थी कि ऑनलाइन स्टडी के समय इन्हें संभालेगा कौन, पिताओं के बस की बात नहीं थी। ऐसे विकट समय में मोर्चा संभाला मांओं ने। मांएं सुबह जल्दी-जल्दी घर के सारे कामों को निपटा कर स्वयं एक शिक्षार्थी बन ऑनलाइन क्लास में उपस्थित होने लगीं। इस तरह मांओं ने शिक्षा की ज्योति बुझने नहीं दी, इसे अपनी श्रम की बाती से प्रज्ज्वलित रखा। बच्चे अपनी मां का साथ पाकर इस नई राह पर निश्चिंत होकर बढ़ते चले गए।

एक उदाहरण

मांओं ने घर के कामों के बीच अपने नन्हे बच्चों की ऑनलाइन स्टडी कैसे मैनेज की, इसका एक जीवंत उदाहरण हैं प्रियंका मंडल। वह बताती हैं, 'ऑनलाइन क्लासेस के समय मैं सुबह तड़के उठकर नाश्ते का इंतजाम कर अपने पांच वर्षीय बेटे को जल्दी तैयार कर मोबाइल के सामने बैठा देती थी। मेरे बेटे ने तो स्कूल का मुंह भी नहीं देखा था, क्योंकि एडमिशन होने के बाद लॉकडाउन लग गया था। ऐसी कठिन स्थिति में उसके सब्जेक्ट्स के लेसन पहले खुद समझती फिर अपने बच्चे को एक-एक बात समझाती।' प्रियंका ने बच्चे की स्टडी प्रभावित नहीं होने दी। उसका सेशन पूरा किया। बच्चा अच्छे नंबरों से पास हुआ। दूसरा सेशन भी इसी तरह प्रियंका ने पूरा करवाया। उन्होंने अपने बच्चे को पढ़ाया, वह और अच्छे नंबरों से पास हुआ। उन दिनों कमोवेश नन्हे बच्चों की हर मां की प्रियंका मंडल जैसी दिनचर्या थी।

समंदर से गहरी है मां की ममता

सच है कि मां की ममता की गहराई समंदर से भी ज्यादा होती है। मांओं का त्याग, उसकी ममता अनमोल है। सच कहा जाता है, भगवान हर वक्त हमारे साथ नहीं रह सकते, इसलिए उन्होंने मां को बनाया। उनकी यह अनुपम कृति उनकी तरह सुकोमल, पवित्र और प्रेममयी सिद्ध हुई।

लेखक- अलका 'सोनी' (Alka 'Soni')

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