Sardar Vallabhbhai Patel की याद में मनाया जाता है एकता दिवस, जानिए इस दिन का महत्व

Rashtriya Ekta Diwas 2022: भारत में हर साल 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की जयंती को चिह्नित करने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) मनाया जाता है। इस वर्ष भारत के लौह पुरुष की 147वीं वर्षगांठ है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य देश की एकता (National Unity Day 2022) को बनाए रखना है, साथ ही नेशनल यूनिटी डे भारतीय इतिहास (Indian History Of Freedom) में पटेल के योगदान के बारे में जागरूकता भी फैलाता है।
Rashtriya Ekta Diwas: इतिहास (History)
स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री (first Deputy Prime Minister of independent India) सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की याद में 2014 में राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत की गई थी। पटेल ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और 565 रियासतों से भारत के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यही कारण है कि भारत सरकार ने देश के लौह पुरुष की स्मृति में गुजरात में नर्मदा नदी के पास सरदार वल्लभभाई पटेल की एक विशाल प्रतिमा का निर्माण किया।
Rashtriya Ekta Diwas: महत्व (Significance)
देश को गुलामी, साम्प्रदायिक झगड़ों, दंगों से बचाने के लिए देश में राष्ट्र एकता का होना अतिआवश्यक है। 200 साल से भी अधिक की गुलामी के पश्चात प्राप्त स्वतंत्रता का हमें सम्मान करना चाहिए तथा किसी भी कारणवश राष्ट्र एकता पर उंगली उठ सके, ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए। यह दिन सभी देशवासियों को भारत की एकता, स्वतंत्रता और अखंडता को बनाए रखने के लिए कार्य करते रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।
Rashtriya Ekta Diwas 2022: Inspirational Quotes of Sardar Vallabhbhai Patel
- "शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।"
- "ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, उनके साथ अक्सर मैं हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।"
- "मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।"
- एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है जबतक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।
- "काम करने में तो मजा ही तब आता है, जब उसमे मुसीबत होती है मुसीबत में काम करना बहादुरों का काम है मर्दों का काम है कायर तो मुसीबतों से डरते हैं लेकिन हम कायर नहीं हैं, हमें मुसीबतों से डरना नहीं चाहिये।"
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