Dussehra of Almora: रावण के पूरे कुल का होता है दहन, एक नहीं बल्कि फूंके जाते हैं 10 से ज्यादा पुतले

Dussehra of Almora: रावण के पूरे कुल का होता है दहन, एक नहीं बल्कि फूंके जाते हैं 10 से ज्यादा पुतले
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Dussehra of Almora: दशहरा के मौके पर रावण का पुतला फूंकने की परंपरा है, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक जगह ऐसी भी है, जहां पर रावण के पूरे कुल के पुतले फूंके जाते हैं।

Dussehra of Almora: नवरात्रि के पर्व की धूम देश के प्रत्येक कोने में देखी जा सकती हैं। माता के पंडाल की भव्यता देखते बनती है। नवरात्रि पर्व के दसवें यानी दशमी के दिन विजयदशमी मानने की परंपरा है। इस दिन दशानन का दहन किया जाता है। भारत के कई राज्यों में दशहरे का पर्व बड़े ही शानदार तरीके मनाया जाता है। इन्ही में से एक है अल्मोड़ा का दशहरा। आपको बता दें कि दशहरे के पर्व पर रावण का पूतला फूंकने की प्रथा है, लेकिन क्या आपको ऐसी जगह के बारे में पता है जहां पर रावण के पूरे परिवार का पुतला फूंका जाता है। अल्मोड़ा ऐसी परंपरा को समेटे हुए आज भी जीवित है।

रावण के कुल का दहन

अल्मोड़ा में मनाया जाने वाला दशहरा पर्व रावण कुल के पुतले फूंकने की परंपरा को सहेजे हुए है। यह परंपरा साल 1936 से शुरू की गई थी, जिसमें रावण के परिवार का पुतला फूंकने की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी चल रही है। अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व का अल्मोड़ा में इतिहास बहुत विशाल है। कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) के बाद अल्मोड़ा शहर का दशहरा पूरे देश में लोकप्रिय है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यहां पर शुरू से ही रावण के परिवार के 30 पुतले फूंके जाते हैं। यह परंपरा कई वर्षों से निरंतर चलती आ रही है। आज भी यहां के लोग इस परंपरा को उत्साह के साथ मनाते हैं। परंपरा निरंतर रूप से चल रही है, लेकिन पुतलों की संख्या में कमी आई है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि रावण फूंकने की परंपरा साल 1926 से मानी जाती है। वहीं, अल्मोड़ा में पुतला फूंकने की परंपरा वर्ष 1936 से चली आ रही है। साल 1936 में जौहरी मोहल्ले में कुंभकर्ण का पुतला बनाने की शुरुआत हुई थी। इसके साथ ही नंदा देवी, लाला बाजार में रावण का पुतला बनाया जाता था। जहां पर वर्तमान समय में भी ये काम जारी है।

विदेशी पर्यटक भी होते हैं शामिल

दशहरे के दिन यहां पर दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ रावण परिवार के पुतलों की शोभा यात्रा निकाली जाती है। पुतला देखने के लिए न केवल जिले के लोग आते हैं, बल्कि विदेशों के लोग भी बड़ी संख्या में यहां का दशहरा देखने आते हैं।

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