Parenting Tips: कहानी की मदद से अपने बच्चों को बताएं Dussehra का महत्व, जीवन मूल्य सीखाने में होगी आसानी

Parenting Tips: कहानी की मदद से अपने बच्चों को बताएं Dussehra का महत्व, जीवन मूल्य सीखाने में होगी आसानी
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अपने बच्चों को बताएं दशहरा (Happy Dussehra 2022) का महत्व, उनके जीवन के लिए है बहुत ही ज्यादा जरुरी।

Happy Dussehra 2022: हिन्दू (Hindu) धर्म में मनाये जाने वाले हर त्योहार के पीछे एक संदेश जरूर होता है। पर्व विजय दशमी के भी अपने संदेश हैं, जो हमारे जीवन मूल्यों से जुड़े हैं। इनकी जानकारी बच्चों के लिए जरूरी है, ताकि वे संस्कारवान (Dussehra) बनें। अपने जीवन- मार्ग में सफल रहें। अमिता ने बेटे वैभव को एक नए पेन से काम करते देखा तो उसने पूछ लिया, 'बेटा, यह पेन तो तुम्हारे पास था नहीं पहले, कहां से मिला यह?' मम्मी के सवाल पर वैभव सकपका गया, बोला, 'मम्मी, यह पेन मुझे स्कूल के कॉरिडोर में पड़ा मिला था।' अमिता बोली, 'तो इसे तुम्हें स्कूल ऑफिस में जमा करवा देना चाहिए था।' यह सुनकर वैभव चुप रह गया फिर कुछ सोच कर बोला, 'मम्मी! यह ढाई सौ रुपए का पेन है। इसमें पीछे इरेजर भी लगा हुआ है। मुझे पड़ा मिला तो रख लिया। मैं इसे इस्तेमाल कर रहा हूं।' अमिता बोली, 'बेटा, जब तुम यह पेन अपने साथ लेकर आ रहे थे तो जरूर तुम्हारे मन में यह प्रश्न उठा होगा कि यह तुम्हें लेना चाहिए या नहीं? लेकिन तुमने अपने लोभ के आगे अपने मन की सुनी नहीं।' वैभव की नजरें झुक गईं। अमिता ने उससे आगे कुछ नहीं कहा। अगले दिन जब वैभव स्कूल से लौटा तो उसके चेहरे पर एक संतोष का भाव था, क्योंकि उसने वो पेन स्कूल ऑफिस में जमा करा दिया था। पेन जिसका था, उसको मिल भी गया। यह जानकर अमिता को भी अच्छा लगा। इस बात को बताने का हमारा उद्देश्य यही है कि अगर आपका बच्चा अनजाने ही कोई गलत काम करता है, तो तुरंत (Parenting Tips) उसे टोकें, रोकें।

  • विकसित करें अच्छे-बुरे की समझ

बड़ों में ही नहीं, बच्चों में भी अच्छाई और बुराई के बीच द्वंद्व चलता है। अच्छाई वहीं जीतती है, जहां बच्चा संस्कारवान होता है। लेकिन इसके लिए माता-पिता को प्रयास करने होते हैं। अपने बच्चे के भीतर अच्छे-बुरे काम की समझ विकसित करनी होती है। आज जब हम विजय दशमी का पर्व मना रहे हैं, इस पर्व के निहितार्थ अपने बच्चों को जरूर बताएं। हमारे देश में मनाए जाने वाले हर त्यौहार के पीछे अपनी एक कथा है, उसका एक संदेश है। विजय दशमी का संदेश है, बुराई पर अच्छाई की विजय। यह संदेश यदि बच्चे सहज भाव से ग्रहण कर लें तो वे जीवन में बहुत-सी बुराइयों से बच रह सकते हैं। अपने जीवन-मार्ग में सफल हो सकते हैं। विजय दशमी का पर्व सिर्फ बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक ही नहीं है, यह हमें पुरुषोत्तम श्रीराम के माध्यम से और भी बहुत-सी बातों की सीख देता है, जैसे- हमें परिवार में मिल-जुलकर रहना चाहिए। अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए, इंसान को कभी अहंकार नहीं करना चाहिए, उसका अंत वही होता है, जैसे रावण का हुआ।

  • सहज भाव से मिले त्यौहार का संदेश

पर्व को मनाए जाने के पीछे की कहानी अभिभावकों को अपने बच्चों को जरूर बतानी चाहिए। बच्चे कहानियों में रुचि लेते हैं, उनमें निहित संदेश को आसानी से ग्रहण करते हैं। भगवान राम की कथा काफी रोचक-रोमांचक है और प्रेरक भी। बच्चे जब इसे सुनेंगे, समझेंगे तो सीख भी सही ढंग से लेंगे।

  • परिवार में मिल-जुल कर रहने की दें सीख

दशहरे के अवसर पर हम बच्चों को बता सकते हैं कि किस प्रकार भगवान राम ने सहर्ष वनवास स्वीकार किया। वनवास भेजने वाली माता कैकेयी के प्रति भी उन्होंने अपने मन में कोई वैर भाव नहीं रखा। हम खुद भी इसी तरह के आचरण को अपनाएं। रिश्तों को अहमियत देने की सीख बच्चों को सही ढंग से दें। भगवान राम का सबको साथ लेकर चलना, विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य नहीं खोना, अन्याय के विरुद्ध दृढ़ता, अपने भाइयों के प्रति असीम प्रेम-स्नेह, ऊंच-नीच का भेदभाव न करना, विपरीत परिस्थितियों में भी मर्यादित आचरण, हमारे बच्चों के जीवन को भी संवार सकता है।

  • बच्चों के लिए बनें उदाहरण

दशहरे का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है तो हमें अच्छाई के प्रति दृढ़ता रखकर बच्चों के लिए एक उदाहरण बनना चाहिए। जब हम खुद अच्छी बातों को महत्व देंगे, बुराई का विरोध करेंगे तो बच्चे भी ऐसा ही सीखेंगे। रोजमर्रा की जिंदगी में हम गलत बात का विरोध करके, बुराइयों से दूर रहकर बच्चों को यह सहज ढंग से सीखा सकते हैं कि जीवन में कोई भी विषम परिस्थिति आए, हमें अच्छाई और सच्चाई का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

डॉ. अलका जैन 'आराधना'

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