हरियाणा में उठी पीरियड्स लीव की मांग, महिलाओं के हक के लिए हो रही लाडो पंचायत

हरियाणा में उठी पीरियड्स लीव की मांग, महिलाओं के हक के लिए हो रही लाडो पंचायत
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Haryana: हरियाणा की लाडो पंचायत में उठ रही पीरियड्स लीव की मांग, पढ़िए पूरा मामला...

Haryana Lado Panchayat: महिलाओं में पीरियड्स की समस्या बहुत ही नेचुरल प्रक्रिया है, जिसके बारे में टीवी, न्यूज़ पेपर और मैगजीन आदि के माध्यम से देशभर में जागरूकता फैलाने की कोशिश हो रही है। यह एक ऐसा मुद्दा जिस पर लोग बात करने से अक्सर कतराते हैं, लेकिन बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार ने महिलाओं की इस समस्या को बखूबी दुनिया के सामने रखा है। आजकल के मॉडर्न जमाने में पीरियड्स के बारे में सभी लोग जानते हैं। लेकिन जो चीज वो नहीं जानते हैं, वो है माहवारी के दौरान होने वाली ढेरों समस्याएं।

जी हां, जब एक महिला को पीरियड्स होते हैं तब उनकी बॉडी से बहुत सारा ब्लड निकलता है। यह नेचुरल प्रोसेसअपने साथ बहुत सारा दर्द, क्रैम्प्स और मूड स्विंग्स लेकर आती है। ऐसे में महिलाओं के पक्ष में केरल के कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CUSAT) ने एक अहम फैसला लिया, देखा जाए तो हम इसे ऐतिहासिक कह सकते हैं। दरअसल, हालही में केरल की इस यूनिवर्सिटी ने छात्राओं को उनके मासिक धर्म यानी पीरियड्स के दौरान छुट्टी देने की घोषणा की थी।

हरियाणा में हो रही लाडो पंचायतें

केरल की यूनिवर्सिटी द्वार उठाये इस सराहनीय कदम से प्रेरणा लेकर हरियाणा के एक गांवों में लाडो पंचायतें हो रही हैं। इन पंचायतों में कामकाजी महिलाओं के लिए पीरियड्स के दौरान छुट्टी मिलने की मांग की जा रही है। महिला स्वास्थ्य पर विशेष कानून भी इस मांग का एक बहुत अहम हिस्सा है। अब सवाल ये उठता है कि ये मुद्दा पंचायतों तक कैसे पहुंचा? दरअसल अलीगढ़ में रहने वाली शमा परवीन एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाली आम शिक्षिका हैं। बाकी सभी टीचर्स की तरह उन्हें भी वो सभी काम करने होते हैं जो उनकी नौकरी का हिस्सा हैं। लेकिन हर महीने पीरियड्स के दौरान वह बहुत अनकम्फर्टेबल महसूस करती हैं। ऐसे में उन्हें मूड स्विंग, दर्द और क्रैम्प्स सहने पड़ते हैं।

उनका कहना है कि शरीर में हो रही दिक्कत सहन हो सकती है लेकिन पीरियड्स से जुड़े मिथकों को कोई कैसे बर्दाश्त करे। ऐसे में घर से निकलना और चलना मुश्किल हो जाता है। हर समय ये दिमाग में रहता है कि कहीं कुछ ऐसा न हो जाए जिससे हमे शर्मिंदा होना पड़े। इसी तरह की बहुत सी समस्याओं का सामना महिलायें करती हैं। ऐसे में हरियाणा से एक नयी पहल हुई है। गांव-गांव में लड़कियां पीरियड्स के मुद्दे पर खुद पंचायत कर ये मांग कर रही हैं। पंचायत में महिला स्वास्थ्य के लिए सरकार से जरूरी कदम उठाने की मांग हो रही है।

पीरियड लीव क्या होती है?

बता दें कि बहुत से देशों में पीरियड लीव दी जाती है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पेड पीरियड लीव चलन में आयी थी। जापान, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया जैसे कुछ देशों में इसे फॉलो किया जाता है। आपको हैरानी होगी कि भारत में केरल में एक स्कूल ने साल 1912 में इस चलन को अपनाया था। पीरियड लीव में महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पेड छुट्टी देने की व्यवस्था है। ये छुट्टियां हर महीने दी जाती हैं। यह मेडिकल लीव और अन्य किसी भी प्रकार की छुट्टी से अलग होती है। महिलाएं इस छुट्टी को अपनी आवश्यकता के अनुसार ले सकती हैं, इस तरह इन महिलाओं को दर्द और मुश्किल के उन दिनों में थोड़ी राहत मिल जाती है।

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