Raksha Bandhan 2023: साल में एक बार खुलता है इस मंदिर का कपाट, रक्षाबंधन से है इसका खास रिश्ता

Raksha Bandhan 2023: भारतवर्ष में हर त्योहार का अपना एक महत्व होता है, जिसकी वजह से ये विश्व भर में लोकप्रिय हैं। फिर चाहे वह त्योहार दीवाली, होली, राखी, क्रिसमस कोई हो, सबकी अपनी एक अलग पहचान होती है। देशभर में प्रत्येक त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। कुछ दिनों में भाई-बहन का सबसे प्रिय त्योहार रक्षाबंधन आने वाला है, जिसकी उत्साह बाजारों को देखकर समझा जा सकता है। बाजारों की रौनक इस बात का प्रतीक है कि लोग जोर-शोर के साथ इस त्योहार की तैयारी में जुट गए हैं। लेकिन क्या आपको दुनिया के एक ऐसे मंदिर के बारे में पता है, जो केवल रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है। जैसा कि प्रत्येक त्योहार का अपना एक धार्मिक महत्व होता है। वैसे ही राखी का भी अपना एक धार्मिक महत्व है, जिसके बारे में आज हम आपको कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं, जिसे शायद ही आप जानते होंगे।
कहां मौजूद है मंदिर
बता दें कि यह मंदिर उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) जिले में स्थित है। इसका नाम वंशीनारायण मंदिर (Vanshinarayan Temple) है। यहां पहुंचने के लिए चमोली में उर्गम घाटी की ओर जाना पड़ता है। वंशीनारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां के लोग इस मंदिर को वंशीनारायण नाम से पुकारते हैं। इस मंदिर के अंदर वन देवी, भगवान शिव और गणेश की मूर्तियां स्थापित है।
रक्षाबंधन के दिन खुलते हैं इसके पट
इस मंदिर को लेकर यह कहा जाता है कि इस मंदिर के पट वर्ष भर बंद रहते हैं। केवल रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर ही इसके पट खोले जाते हैं। राखी वाले दिन यहां के स्थानीय लोग इस मंदिर की साफ-सफाई कर पूजा-अर्चना करते हैं। उसके बाद राखी का त्योहार मनाना शुरू करते हैं।
पौराणिक मान्यता
इस मंदिर की पौराणिक मान्यता यह है कि भगवान विष्णु के राजा बलि का द्वारापाल बनने के बाद जब माता लक्ष्मी को उनके दर्शन नहीं हुए। इसके बाद माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के भक्त नारद मुनि के पास गयी। तब नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को पूरी कहानी बताई। इस बात से परेशान होकर माता लक्ष्मी ने नारद मुनि से भगवान विष्णु की मुक्ति का उपाय पूछा। इस पर नारद मुनि ने माता लक्ष्मी से कहा कि वह श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन राजा बलि के पास जाकर रक्षासूत्र बांध उनसे उपहार में वामन अवतार की मुक्ति मांगे। उसके बाद माता लक्ष्मी श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन राजा बलि को रक्षासूत्र बांध वामन अवतार भगवान विष्णु को मुक्त कराया।
प्रसाद
वामन अवतार से मुक्ति मिलने की वजह से यहां के लोग मक्खन का प्रसाद बना भगवान विष्णु को चढ़ाते है।
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