Sanitary Pads: सैनिटरी पैड के इस्तेमाल से बांझ हो रहीं महिलाएं, कैंसर का बढ़ रहा खतरा, पढ़ें पूरी स्टडी

Sanitary Pads: सैनिटरी पैड के इस्तेमाल से बांझ हो रहीं महिलाएं, कैंसर का बढ़ रहा खतरा, पढ़ें पूरी स्टडी
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Recent Study About Sanitary Pads: स्टडी ने खोली भारत में बन रहे सैनिटरी पैड्स की पोल, जानिए भारतीय महिलाओं पर कैसा होगा असर।

Sanitary Pads Causes Cancer and Infertility: भारत (India) में सैनिटरी पैड (Sanitary Pads) के इस्तेमाल को लेकर जनता में जागरूकता फैलाने की बहुत कोशिश की जाती है। आपने अक्सर टीवी में ऐड देखा होगा कि सिगरेट के पैसों से लोग 2 जिंदगियां खरीद सकते हैं। लेकिन यह भी सच है कि सैनिटरी पैड की अक्सर पर्यावरण पर अभिशाप होने के लिए आलोचना भी की जाती रही है। इस बीच अब भारत में बनने वाले सैनिटरी पैड को लेकर हुई एक स्टडी सामने आई है। जिसमें कई चौंकाने वाले दावे किये गए हैं, दरअसल इस स्टडी से पता चलता है कि सैनिटरी पैड के गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव भी हो सकते हैं। एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, सैनिटरी पैड में मौजूद कुछ केमिकल गंभीर रूप से आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं और एक महिला में कैंसर (Cancer) और बांझपन (Infertility) का खतरा बढ़ा सकते हैं।

जानिए क्या कहती है सैनिटरी पैड पर की गई स्टडी

यह अध्ययन टॉक्सिक लिंक्स नाम के एक एनजीओ द्वारा किया गया है, जिसमें पता चला कि सबसे अधिक बिकने वाले सैनिटरी पैड में कार्सिनोजेन्स, रिप्रोडक्टिव टॉक्सिन्स, एंडोक्राइन डिसरप्टर्स और एलर्जी जैसे जहरीले केमिकल शामिल हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं। टॉक्सिक लिंक्स द्वारा यह अध्ययन दस सैनिटरी पैड के ब्रांडों पर किया गया था, जो भारत भर में सबसे ज्यादा उपलब्ध हैं और जनता के लिए विश्वसनीय भी हैं। इन सैनिटरी पैड के सभी नमूनों में थैलेट्स (phthalates) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (volatile organic compounds) के निशान पाए गए हैं। अध्ययन के मुताबिक इन दोनों केमिकल्स में कैंसर पैदा करने की क्षमता होती है। इसके अलावा, सैनिटरी पैड में इन केमिकल्स की सांद्रता (concentration) मासिक धर्म उत्पादों के लिए यूरोपीय नियमों की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा पाई गई।

जानिए इस स्टडी का महिलाओं पर कैसा होगा असर

जो बात इस स्टडी में सामने आयी हैं, वह और भी ज्यादा चिंताजनक हैं। क्योंकि सैनिटरी पैड के माध्यम से हानिकारक केमिकल्स के शरीर द्वारा सोखने की संभावना बहुत अधिक हो जाती है। बताते चलें कि सुरक्षा के अस्वच्छ साधनों के बजाय सैनिटरी पैड का उपयोग करने के लिए भारतीय महिलाओं पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि, कार्सिनोजेन्स सहित हानिकारक केमिकल्स की मौजूदगी, कड़ी मेहनत से सैनिटरी पैड पर हुए विश्वास के लिए एक विनाशकारी झटका साबित हो सकती है।हो सकता है कि गांव में महिलाओं को फिर से अपनी नानी और दादियों की तरह कपड़ा आदि चीजों का इस्तेमाल करना पड़ जाए।

नए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण से पता चला है कि 15-24 वर्ष की लगभग 64 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी पैड का उपयोग करती हैं। इससे यह अनुमान लगाया गया है कि मिडल क्लास फैमिली में पैड का अधिक उपयोग होता है। इस बीच, भारतीय सैनिटरी पैड बाजार 2021 में 618.4 मिलियन अमरीकी डालर के मूल्य पर पहुंच गया। उम्मीद है कि यह बाजार 2027 तक 1.2 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच जाएगा और 2022-2027 के दौरान 11.3 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।

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