मिसाल फादर्स डे : पिता-पुत्री स्नेह की अनूठी कहानियां

मिसाल फादर्स डे : पिता-पुत्री स्नेह की अनूठी कहानियां
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एक पिता के अपनी संतान से स्नेह-प्यार को याद करने और उनके प्रति सम्मान को प्रदर्शित करने का दिन है फादर्स-डे। इस अवसर पर प्रस्तुत है पिता-पुत्री के अनूठे प्रेम को प्रकट करती दो मिसालें।

बीमार पिता ने पुत्री के लिए बनाया स्मारक

प्रेमिकाओं की याद में तो दुनिया में कई स्मारक बने हैं लेकिन बेटी की याद में बनाया गया स्मारक बिरला ही कहलाएगा। ऐसा ही एक स्मारक है अमेरिका के एरीजोना प्रांत के फिनिक्स शहर में। यह पहाड़ी के नीचे स्थित है। इसे मिस्ट्री कैसल या रहस्यमयी महल के नाम से भी जाना जाता है। बात पिछली सदी के तीसरे दशक की है। बोयस लुथर गुली नाम का एक व्यक्ति अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था। दुर्भाग्यवश उसे टीबी की बीमारी हो गई। उस वक्त टीबी लाइलाज थी। गुली को शहर से दूर एकांतवास में भेज दिया गया।

अपनी मौत की प्रतीक्षा करते हुए गुली को लगा उसे अपनी बेटी को कुछ उपहार देकर दुनिया से विदा होना चाहिए। गुली के पास न तो पैसे थे, न ही संसाधन। उसने अपने आस-पास का कबाड़ और पत्थर के टुकड़े इकट्ठा करना शुरू कर दिया। फिर कुछ मजदूरों की मदद से बीमार पिता ने 18 कमरों का तिमंजिला महल बना डाला। पिता की मृत्यु के बाद जब बेटी मैरी को इसके बारे में पता चला तो वह वहां पहुंच गई। महल में घुसते ही मैरी फूट-फूट कर रो पड़ी। पिता-पुत्री के प्रेम की यह अद्भुत निशानी पूरी दुनिया में मशहूर है।

पिता के लिए पुत्री ने की साहसिक यात्रा

बीते लगभग तीन महीने के देशव्यापी लॉकडाउन ने दर्द और करुणा की कई कहानियां रचीं, अभूतपूर्व दृश्य दिखाए। इन्हीं दृश्यों और कहानियों में से एक थी- साइकिल चलाती एक तेरह साल की दुबली-पतली लड़की और साइकिल के कैरियर पर बैठा उसका पिता। ज्योति कुमारी ने एक हजार किमी. से ज्यादा का सफर अपने चोटिल पिता को साइकिल पर बिठाकर पूरा किया। वह साइकिल पर अपने पिता को बिठाकर हरियाणा के गुरुग्राम से अपने घर बिहार के दरभंगा पहुंची।

रास्ते में कई तरह की परेशानियां हुईं लेकिन हर बाधा को ज्योति, बिना हिम्मत हारे पार करती गई। जब पुरानी साइकिल खरीद कर ज्योति ने घर चलने की बात की तो पिता ने कई बार समझाया कि यह बहुत कठिन काम है लेकिन बेटी ने हिम्मत न हारी। उसकी इस हिम्मत की दाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ने भी दी।

साइकिल फेडरेशन ने उसको साइकिलिंग का ऑफर दिया। बड़े-बड़े नेताओं तक ने उसकी प्रशंसा की। उसे कई साइकिलें भी उपहार में मिली हैं। अपने पिता के लिए किशोरी पुत्री की इस साहसिक यात्रा ने वास्तव में एक अनोखी मिसाल कायम की है।

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