Father's Day 2020 : पिता को कोरोना वायरस से बचाने के लिए चिन्मय ने अपनाया ये तरीका

Fathers Day 2020 : पिता को कोरोना वायरस से बचाने के लिए चिन्मय ने अपनाया ये तरीका
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दस साल के चिन्मय की मम्मी का दो साल पहले एक सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया था। इस सदमे को वह बर्दाश्त नहीं कर पाया था। कोरोना महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन ने चिन्मय को और ज्यादा उदास कर दिया था।उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा, उसके पापा के लिए फादर्स-डे का सबसे बड़ा गिफ्ट होगा।

दस साल के चिन्मय की मम्मी का दो साल पहले एक सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया था। इस सदमे को वह बर्दाश्त नहीं कर पाया था। हर समय हंसता-खिलखिलाता रहने वाला चिन्मय गुमसुम रहने लगा। उसके पापा की यही कोशिश रहती कि वे उसे पिता का ही नहीं, मां का भी प्यार दें। चिन्मय की दादी भी उसे खुश रखने की पूरी कोशिश करतीं, लेकिन वह उदासी में डूबा रहता।

कोरोना महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन ने चिन्मय को और ज्यादा उदास कर दिया था। पहले स्कूल जाता था तो उसका थोड़ा-सा मन बहल जाता, लेकिन अब तो उसे हमेशा घर में रहना पड़ता था। घर काटने को दौड़ता। हर समय उसे अपनी मम्मी की याद आती। उधर उसके पापा कोरोना के मरीजों की देख-भाल में दिन-रात लगे हुए थे। वह सरकारी अस्पताल में डॉक्टर हैं। चिन्मय देख रहा था कि पापा आजकल घर नहीं आ पाते। दादी ने बताया था कि हम दोनों की सुरक्षा के लिए वे घर नहीं आते।

इधर कई दिनों से चिन्मय को पापा की याद सताने लगी थी। उन्हें खो देने का डर लगने लगा था। वह बराबर टीवी न्यूज चैनल्स में देख रहा था कि किस तरह पुलिसकर्मी और डॉक्टर्स भी संक्रमित होकर मूत्यु का शिकार हो रहे हैं। चिन्मय को पापा के हाथ के बनाए हुए सैंडविच याद आते। उसे याद आता कि अस्पताल से लौटकर थके हुए होने के बाद भी पापा कैसे उसके साथ कैरम, चेस, लूडो खेलते थे, उसे पार्क ले जाते थे। बिना कहे ही उसके मन की हर बात जान लेते थे। पापा उसे कितना प्यार करते हैं, यह वह पहले ही क्यों नहीं समझ पाया था? चिन्मय ने मन ही मन फैसला कर लिया था, उसे अब क्या करना है।

चिन्मय में एकाएक आए बदलाव को देखकर दादी हैरान थीं। उदास चिन्मय मुस्कुराने लगा था। वह फिर से दादी से कहानियां सुनने की जिद भी करने लगा था। उस दिन वह बोला, 'दादी! पापा ने मुझसे प्रॉमिस किया था कि वो फादर्स-डे पर जरूर आएंगे। चलिए, हम दोनों मिलकर पापा की मनपसंद कोई डिश बनाते हैं। मैं पापा के लिए सुंदर-सा कार्ड भी बनाऊंगा।'

दादी देख रही थीं कि पहले वाला चुलबुला चिन्मय लौट आया है। उन्हें इस बात की बहुत खुशी और संतोष था। हां, चिन्मय ने खुद से वादा किया था कि वह अब उदास नहीं रहेगा, हमेशा खुश रहेगा। क्योंकि उसके पास पापा हैं, ऐसे पापा जिन पर उसे ही नहीं, पूरे देश को नाज है। वो जानता था, उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा, उसके पापा के लिए फादर्स-डे का सबसे बड़ा गिफ्ट होगा।

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