हरियाली तीज पर परिवार में ऐसे भरें प्रेम-खुशहाली के रंग

सावन की रिमझिम फुहारों के बीच तीज-त्योहारों का मौसम भी आ जाता है, इनके आगमन से हमारे जीवन में उल्लास-उमंग के रंग भर जाते हैं। हमारी भारतीय संस्कृति में हर त्योहार का एक उद्देश्य यह भी है- रिश्तों में नई ताजगी लाना, आपस में प्रेम-स्नेह से बांधे रखना। हरियाली तीज भी संबंधों को पूरी ऊष्मा के साथ जीने का पर्व है। वैसे तीज विशेष रूप से सुहागन स्त्रियों का पर्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत कर देवी पार्वती और भगवान शिव की आराधना करती हैं। वे सुखमय वैवाहिक जीवन, पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। हरियाली तीज का यह पर्व दांपत्य जीवन में समर्पण और प्रेम के भाव को और बढ़ाता है, साथ ही महिलाओं के जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
शिव-पार्वती की आराधना
ऐसी मान्यता है कि हरियाली तीज व्रत को पहली बार देवी पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए किया था। उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण कर कठोर तपस्या की। इस दौरान पार्वती जी ने न तो अन्न ग्रहण किया और न ही जल। देवी पार्वती की कठोर तपस्या को देखकर भगवान शंकर उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। भगवान शिव-माता पार्वती के दांपत्य जीवन को आदर्श रूप में देखा जाता है। विवाहित महिलाएं भी शिव-पार्वती सा सुखमय दांपत्य जीवन चाहती हैं, इसी मंगलकामना के साथ वे हरियाली तीज का व्रत करती हैं। यह व्रत बहुत कठिन होता है, अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता है। फिर भी महिलाएं इस व्रत को पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से करती हैं। दरअसल, तीज जैसे निर्जला व्रत करने की शक्ति उन्हें अपने भीतर से ही मिलती है। यह भावना पति और परिवार के लिए उनके प्रेम और समर्पण को दर्शाती है। परिवार के लिए कष्ट सहना, त्याग करना एक स्त्री के आचरण के मूल में होता है। यही आचरण ही उसे कठिन से कठिन व्रत और उपवास करने की प्रेरणा देता है। तभी तो स्त्रियां हरियाली तीज व्रत के दौरान भी पूरे उल्लास और ऊर्जा के साथ सारी परंपराओं का निर्वाह करती हैं।
संबंधों में लाए मधुरता-प्रगाढ़ता
तीज-त्योहार हमारे रिश्तों को मजबूत बनाने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। हरियाली तीज जैसा कठिन व्रत तो दांपत्य जीवन में एक-दूसरे के लिए अगाध प्रेम और प्रगाढ़ता की अभिव्यक्ति भी करता है। यह पर्व पति-पत्नी के संबंधों में एक नई ताजगी भरता है। दरअसल, तीज व्रत के कारण हमारे आस-पास एक खुशनुमा और सकारात्मक माहौल तैयार होता है। भले ही व्रत केवल सुहागिनें करती हैं, लेकिन उसका प्रभाव पति और घर के अन्य सदस्यों पर भी देखा जा सकता है। घर के पुरुष और बच्चे स्त्रियों के इस उत्साह में भरपूर सहयोग कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में पीछे नहीं रहते। व्रत में पति और परिवार का साथ पाकर महिलाओं की खुशी दोगुनी हो जाती है।
प्रकृति के रंग में रंगने का पर्व
हरियाली तीज वैसे तो व्रत, उपवास से संबंधित है लेकिन देखा जाए तो यह प्रकृति के रंग में रंग जाने का एक माध्यम भी है। सावन के माह में जहां प्रकृति तरह-तरह के फूलों और हरियाली से श्रंगार करती है, वैसे ही हरियाली तीज पर स्त्रियां मेहंदी-महावर के रंगों और तरह-तरह के आभूषणों से सोलह श्रंगार करती हैं। इस दिन ज्यादातर स्त्रियां हरे रंग की साड़ियां पहनती हैं, भर-भर कलाई हरी-हरी चूड़ियां पहनती हैं। इस तरह महिलाओं का साज-श्रंगार उन्हें प्रकृति के रंग में रंग देता है।
जीवन में भर जाता उल्लास
हरियाली तीज में बेटियों को पीहर बुलाने की पुरानी परंपरा है। बेटियां आंगन, बाग-बगीचों में पड़े झूलों में गीत गाती हुए झूलती हैं। गीतों के माध्यम से अपने स्नेह और पीहर से नाते को व्यक्त करती हैं। पुरानी सखियों से मेल-मिलाप होता है। ससुराल की बातें होती हैं। भाभियों के साथ हंसी-ठिठोली होती है। इस तरह तीज के बहाने महिलाओं के जीवन में उल्लास-उमंग का समावेश होता है, जो उनमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
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कोरोना काल में भी बनाएं रखें पर्व का उत्साह-उमंग
इस साल बेटियां बाबुल के घर नहीं आ सकी हैं, तो पेड़ों पर झूले भी नहीं पड़े हैं। मायके आकर पुरानी सखियों से मिलने का जो अवसर हरियाली तीज पर मिलता था, इस बार नहीं मिलेगा। सामूहिक रूप से शिव-पार्वती की पूजा के लिए जो महिलाएं एक जगह एकत्र होती थीं, न हो सकेंगी। जगह-जगह जो तीज-उत्सव आयोजित होते थे, अबकी नहीं होंगे। कोरोना के संक्रमण के भय ने हरियाली तीज की खुशियों पर ग्रहण लगा रखा है लेकिन आप उत्साहविहीन न हों। अपने भीतर तीज के उत्साह-उमंग को बनाए रखें। हाथों में मेहंदी रचाएं, चूड़ियां पहनें, पैरों में महावर भी लगाएं, साज-श्रंगार करें और पारंपरिक पहनावा पहनकर अपनी सहेलियों को वीडियो कॉल करके हरियाली तीज की बधाई दें। साथ में अपने मायके में भी वीडियो कॉल करें, माता-पिता से आशीर्वाद लें, मन की बातें कहें। छोटी बहनों से कुछ अपनी कहें, कुछ उनकी सुनें। भाभियों से हंसी-मजाक करें। आप एक दूरी रखकर आस-पड़ोस की महिलाओं से भी मिल सकती हैं, उनके साथ गीत गा सकती हैं, नृत्य कर सकती हैं। सबके साथ न सही, अकेले ही घर में झूला डालकर झूलें। यह सब करके आपको एक अलग तरह की खुशी मिलेगी और इस साल जो हरियाली तीज पर रीता-रीता माहौल है, वह दूर होगा। हरियाली तीज की रंगत आपके के भीतर बिखरेगी, खुशियां चहक उठेंगी।
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