गुड पैरेंटिंग नहीं है बच्चों को ताना मारना

कई माता-पिता हर समय बच्चों को डांटते-फटकारते और ताने मारते रहते हैं। वे बच्चे को अपनी पढ़ाई न करने पर, कामों में कोताही बरतने, अपना कमरा साफ न करने, सही हेयरस्टाइल न बनाने तक, हर छोटी-बड़ी बात पर डांटते हैं। यहां तक कि घर में अगर बड़े भाई या बहन के नंबर अच्छे नहीं आए तो माता-पिता बड़े को तो डांटते ही हैं, छोटे बच्चे को भी डांटते हैं कि कम से कम वह तो पढ़ाई पर ध्यान दे। इस तरह के बर्ताव से माता-पिता अपने बच्चों का बड़ा नुकसान करते हैं, वे तनाव में आ जाते हैं, उनका व्यक्तित्व दबता है, विकास बाधित होता है। माता-पिता को अगर अपने बच्चे से कोई शिकायत है तो उसे प्यार से समझाने की कोशिश करें। इसका जरूर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वह उनकी बात मानेगा भी।
होते हैं तनाव का शिकार
बार-बार डांट खाने या ताना सुनने के कारण बच्चे यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि माता-पिता की हर समस्या के पीछे कारण वे ही हैं। इस तरह वे कभी खुश नहीं रह पाते। हर समय एक तनाव से घिरे रहते हैं। वे हर वक्त परेशान रहते हैं। अपने माता-पिता के तानों से बच्चे अपना आत्मविश्वास खोकर छोटे-छोटे कामों में भी असफल होने लगते हैं, बाहरी लोगों का सामना भी आसानी से नहीं कर पाते। हालांकि पैरेंट्स यह कभी नहीं चाहते कि उनके टोकने की वजह से बच्चे हीनताबोध का शिकार हों। पैरेंट्स हमेशा यही चाहते हैं कि अपने बच्चों की बेहतर परवरिश करें। लेकिन जब बच्चों से कही बातों का असर नकारात्मक हो तो माता-पिता को संभल जाना चाहिए। वे बच्चों को अपना मार्गदर्शन जरूर दें लेकिन इस अंदाज में नहीं कि उन्हें ताने दिए जा रहे हैं, नीचा दिखाया जा रहा है।
किसी से कंपेयर न करें
माता-पिता अकसर अपने बच्चों को, उनके कजिन, फ्रेंड्स से कंपेयर करते हैं। यह भी ताना मारने का एक तरीका है। इससे बच्चे के लिए समस्या खड़ी होती है। वह इस वजह से दुखी रहने लगता है। हीनता का शिकार होता है। उसे लगता है कि वह अपने कजिन, फ्रेंड्स से कमतर है। इससे बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर होता है। माता-पिता को बच्चों का हमेशा मनोबल बढ़ाना चाहिए, न कि कम करना चाहिए। जब भी बच्चा कोई अच्छा काम करे तो उसे प्रोत्साहित करें, आगे बढ़ने की प्ररेणा दें। इससे उसके व्यक्तित्व का विकास सही ढंग से होगा।
सुधार के दूसरे तरीके
बच्चों की आदतें अगर पैरेंट्स को ठीक नहीं लगती हैं तो उनको डांटकर, ताने मार कर नहीं दूसरे तरीके से कहें, जैसे-
- बच्चे को बताएं कि वह कोई भी अच्छा काम करके, पढ़ाई में अच्छे नंबर लाएगा तो आपको खुशी मिलेगी। जब बच्चा जान जाएगा कि उसके काम, आदत से आपको खुशी मिलेगी तो वह खुद को सुधारने की कोशिश करेगा।
- अगर बच्चों को किसी बात पर टोकना जरूरी हो तो आवाज ऊंची करके न बोलें। आवाज ऊंची करके बोलने से बच्चे को लगता है कि आप उसे डांट रहे हैं। जिससे वह डर जाएगा। आप अपनी बातें धीमे और शांत स्वर में कहें। इससे बच्चा आपकी बात समझेगा।
- बच्चों से अपनी बॉन्डिंग को स्ट्रॉन्ग बनाएं। इससे वह आपकी बात मानेगा और आपको उसे टोकने या ताना मारने की जरूरत नहीं होगी।
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