Happy Fathers Day 2022: फादर्स डे पर पापा को गिफ्ट करें अपना अनमोल समय, उनकी आंखों से झलकेगा प्यार

Happy Fathers Day 2022: फादर्स डे पर पापा को गिफ्ट करें अपना अनमोल समय, उनकी आंखों से झलकेगा प्यार
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बात जब ममता की होती है तो नाम सिर्फ मां का आता है, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं होता कि एक पिता अपने बच्चे से उसकी मां की तुलना में कम प्यार करता है। मां की ही तरह एक पिता भी अपनी सभी ख्वाहिशों को मारकर सिर्फ अपने बच्चे के चेहरे पर एक मुस्कुराहट देखना चाहता है।

बात जब ममता की होती है तो नाम सिर्फ मां का आता है, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं होता कि एक पिता अपने बच्चे से उसकी मां की तुलना में कम प्यार करता है। मां की ही तरह एक पिता भी अपनी सभी ख्वाहिशों को मारकर सिर्फ अपने बच्चे के चेहरे पर एक मुस्कुराहट देखना चाहता है। पिता के इस प्यार और त्याग के लिए उन्हें शुक्रिया कहने के लिए हर साल फादर्स डे मनाया जाता है।

वो बीते जमाने की बात हो गई है, जब घर में पिता की उपस्थिति से बच्चे सहमे रहते थे। आज के पिता यानी पापा के सामने बच्चे चहकते हैं। उनसे अपनी बातें बेहिचक शेयर करते हैं। पापा भी अपने बच्चों की सुनते हैं, जहां जो जरूरी गाइडेंस देनी होती है, देते हैं। बहुत ही फ्रेंडली पेश आते हैं। नतीजा यह है, अब बच्चों के पापा उनकी प्रॉब्लम्स सॉल्व करने में किसी सुपर हीरो से कम नहीं हैं। पापा और बच्चों के बीच बना रिश्तों का यह नया रूप निश्चित ही बहुत सुखद और प्यारा बदलाव है।

इधर कुछ वर्षों से हमारे परंपरागत ढांचे वाले समाज में पिता के भाव और बर्ताव का बदल जाना बेहद सुखद है। समय के साथ पिता की छवि ही नहीं, उनके विचार और व्यवहार भी बदल गए हैं। जीवन का आदर्श माने जाने वाले पिता अब बच्चों के फेवरेट सुपर हीरो के रूप में ढल गए हैं। पापा, बच्चों के रोल मॉडल तो आज भी हैं, लेकिन औपचारिकता के भाव की जगह दोस्ती, मस्ती और सधे हुए व्यावहारिक मार्गदर्शन ने ले ली है।

दूरियां नहीं दोस्ती का भाव

बेटा हो या बेटी, पापा अब दोनों के दोस्त बन गए हैं। मन को मजबूती देने वाले दुनिया के सबसे प्यारे रिश्ते में अब खुलापन और सहज-सा लगाव देखने को मिल रहा है। हाल के वर्षों में पिता की भूमिका और भावनात्मक लगाव का पक्ष बहुत ही निखर-संवर गया है। समय के साथ आया यह बदलाव काफी सुखद है। अब पिता अपना रोल एक नए रंग और सधे ढंग से निभाते नजर आ रहे हैं। जिस तरह बच्चों की पहचान पिता से जुड़ी होती है, उसी तरह पिता की पहचान और मान भी बच्चों से जुड़ा होता है। जीवन में हर चुनौती से जूझते समय हाथ थामे रहने वाला यह दृढ़ सहारा होता ही कुछ ऐसा है कि पिता बच्चों के लिए उनके हीरो होते हैं। उनसे जुड़े कई अच्छे-बुरे निर्णय करते हैं। कभी मन की करने की छूट तो कभी जरूरी हिदायतें भी देते हैं। गौर करने वाली बात यह है, आज के दौर के पिता की हिदायतों में सख्ती नहीं, समझाइश के भाव समाहित हैं। बंदिशें नहीं, बचपन को थामने-सहेजने की सोच आ गई है। जिसके चलते अब पिता-संतान के रिश्ते में दूरियों और औपचारिकता की जगह दोस्ती के कंफर्ट लेवल ने ली है।

जिम्मेदारी उठाने की सोच

पॉजिटिव पैरेंटिंग का सबसे अहम पहलू माता-पिता दोनों ही में मिलकर इस जिम्मेदारी को उठाने के भाव का होना है। हमारे यहां बच्चों की संभाल-देखभाल हमेशा से मां के हिस्से ही रही है। परवरिश की जिम्मेदारी से जुड़ी जद्दोजहद से पिता दूर ही रहा करते थे। अब पिताओं की सोच बदल गई है। साथ ही पिता के रोल को लेकर परिवार और समाज की सोच में भी बदलाव आया है। बच्चों के जीवन से जुड़ी छोटी-छोटी जरूरतों और जिम्मेदारियों से अब पिता भी उतने ही जुड़े हैं, जितनी मां। देखने में भी आ रहा है कि पिता अब अपने बच्चों से ज्यादा खुलकर मिलते हैं, बतियाते हैं। इस रिश्ते में अब वह झिझक नहीं रह गई है, जो पहले कभी हुआ करती थी। बच्चे भी अपनी शैतानियां पापा से साझा करने में डरते नहीं हैं। आज के पापा स्कूल के प्रोजेक्ट्स भी बनवाते हैं, कहानियां भी सुनाते हैं। जरूरत पड़े तो रसोई में बच्चों के मन का कुछ बनाकर भी खिलाते हैं। हॉलि-डे प्लान करने से लेकर स्कूल-कॉलेज के दोस्तों-सहपाठियों की चर्चा करने तक, अब पापा से खुलकर संवाद किया जा सकता है। इसकी अहम वजह पिता द्वारा बच्चों को दिया जा रहा क्वालिटी टाइम है। प्यू रिसर्च के एक सर्वे में यह सामने आ चुका है, आज के दौर के पिता अपने बच्चों के साथ काफी समय बिताते हैं। इस अध्ययन में 46 फीसदी फादर्स ने माना कि जितना समय उनके पिता ने उनके साथ बिताया है, उससे कहीं अधिक समय वे अपने बच्चों को दे रहे हैं। यह पिता और बच्चों के रिश्ते की बदलती रूपरेखा की एक बानगी है।

बन रही भरोसे की नई बुनियाद

बच्चों की संपूर्ण परवरिश के लिए पिता की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। साथ ही पैरेंटिंग से जुड़े दायित्वों में केवल जिम्मेदारी निभाने का भाव नहीं बल्कि सहजता भी होनी चाहिए। यह सहजता, स्नेह और विश्वास की बुनियाद बनाती है। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि पिता के साथ की सहजता बच्चों को सुरक्षा और संबल देने के साथ ही सांसारिक जीवन से जुड़ी सीख भी देती है। जिन बच्चों के जीवन में बचपन से ही पिता का साथ और सहयोग शामिल होता है, वे भावनात्मक रूप से स्वयं को अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं। पिता और बच्चों के बीच दोस्ताना रिश्ता बच्चों के समग्र विकास में सहायक है। पिता और बच्चों का जुड़ाव परिवार का माहौल बेहतर बनाने में भी मदद करता है। ऐसे में वाकई सुखद है कि इस बदलते दौर के पापा बच्चों का हाथ थामकर चलने में विश्वास करते हैं। अपने बच्चों के प्रति जिम्मेदारी और लगाव का भाव कहीं और गहरा हुआ है। अब पापा का रौबीला अंदाज नहीं दिखता बल्कि वे बच्चों को हौसला देने वाला आधार बन रहे हैं। यह दोस्ताना व्यवहार और समझ भरा साथ अब बच्चों के मन में सदा के लिए एक भरोसे की बुनियाद बना रहा है।

हर हाल में देते स्नेह-सहयोग

जीवन के हर उतार-चढ़ाव में साथ होने का भरोसा पैरेंटल बॉन्डिंग का सबसे प्यारा और मजबूत पहलू है। ध्यान रहे कि जीवन की शुरुआत में ही बच्चे के अस्तित्व को सहेजने की सबसे ज्यादा दरकार होती हैं। डगमग चलते पांवों को मिला पिता की अंगुली का सहारा और कंधों पर बैठकर दूर तक देख सकने की खुशी, बालमन की आशाओं का शक्ति स्तंभ और सचेत रहने का पाठ बन जाती हैं। आज के दौर में पिता बच्चों की कामयाबी पर गर्व भी करते हैं और नाकामयाबी में मजबूत सहारा भी बनते हैं। अपने बच्चों की जरूरतों से लेकर जिज्ञासाओं तक बिन कहे ही समझना उनकी आदत बन गई है। बेफिक्री की सौगात देता पिता का प्रेम बच्चों के लिए शक्ति का स्रोत बन गया है। इस स्नेह में जीने की ताकत और विचारों की ऊर्जा समाहित है। कॉर्पोरेट वर्ल्ड में बिजी रहने वाले डैड हों या गांव-कस्बे में बसे पिता, आज बच्चों की खुशियों के सच्चे साझीदार बन गए हैं। सुखद है कि पिता के हर हाल में साथ होने का भरोसा बच्चों को कई गलतियां करने से बचा लेता है। पिता से मिली पॉजिटिव परवरिश से बच्चों की जिंदगी बंधी-बंधाई लीक पर नहीं चलती। वे कुछ नया करने और खुलकर जीने की हिम्मत भी जुटा पाते हैं। अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय की स्टडी कहती है कि पिता का सहयोग बच्चों में आशा और आत्म-बल बढ़ाता है। विश्वास और संकल्प शक्ति को बल देता है। ऐसी सभी बातें बच्चों को बेहतर एकेडेमिक उपलब्धियों, व्यवहार कुशलता और खुशमिजाजी के बर्ताव वाले व्यक्तित्व के रूप में गढ़ती हैं, उनके उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करती हैं।

लेखिका- डॉ. मोनिका शर्मा

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