दुनिया में सबसे अनोखा भाई-बहन का रिश्ता

पारिवारिक रिश्तों की परंपरा में भाई-बहन का जैसा बेजोड़ रिश्ता भारत में होता है, वैसा रिश्ता पूरी दुनिया में और कहीं देखने को नहीं मिलता है। ऐसा नहीं है कि दुनिया के दूसरे देशों में भाइयों और बहनों में एक-दूसरे के लिए आत्मीय भावनाएं नहीं होतीं। लेकिन भारत में जिस तरह से इसे ताउम्र के लिए सांस्कृतिक परंपराओं की डोर से बांध दिया गया है, वैसा और कहीं नहीं है।
ताउम्र जुड़ाव का रिश्ता
दुनिया के दूसरे देशों में भाई-बहन के रिश्तों की कुल जमा पूंजी एक घर में, एक मां-बाप की संतान होने से लेकर एक उम्र तक साथ पलने-बढ़ने तक ही सीमित है। लेकिन भारत एक ऐसा देश है, जहां न केवल बहन जीवन के आखिरी पलों तक भाई के साथ तमाम रस्मों-रिवाजों का अभिन्न हिस्सा होती है बल्कि बहन के बाद भी बहन का पति और उसके बच्चे उसके मायकों वालों के साथ ताउम्र जुड़े रहते हैं। भारत में न केवल शादी-ब्याह बिना बहन की मौजूदगी के संपन्न नहीं होते बल्कि जीवन के तमाम दूसरे मंगल कार्यों में भी बहन की मौजूदगी जरूरी होती है। भारत में भाई-बहन का रिश्ता वाकई बहुत खास है।
अनोखी है रिश्ते की परिभाषा
भारत में भाई-बहन के रिश्ते में जो भावनाएं हैं, वैसी भावनाएं दुनिया में और कहीं भी नहीं दिखती हैं। भारत में भाई-बहन का एक स्वतंत्र रिश्ता है। इस रिश्ते की एक स्वतंत्र परिभाषा है, जो दुनिया में और कहीं नहीं है। दुनिया के दूसरे देशों में भाई-बहन को आपस में साझे मां-बाप का रिश्ता ही जोड़ता है। लेकिन भारत में यह आधार कम महत्व का है। भारत में भाई-बहन का रिश्ता मां-बाप के पुल का मोहताज नहीं है। शायद इसीलिए दुनिया में अकेला भारत ही एक देश है, जहां धर्म बहन का अस्तित्व भी है। दुनिया के किसी भी और समाज में धर्म बहन का अवधारणा तक नहीं है।
आसान नहीं है व्याख्या
वास्तव में भारत में भाई-बहन के बीच जो इतना खास, इतना अलग तरह का रिश्ता है, उसी रिश्ते का समग्रता में प्रतीक रक्षाबंधन है। दुनिया में भारत के तमाम पर्वों, त्योहारों की नकल तो है लेकिन कहीं रक्षाबंधन जैसा कोई पर्व नहीं है और न ही हो सकता है। क्योंकि इसकी महज अपनी एक सामाजिकता भर नहीं है, इस पर्व या प्रतीक की अपनी एक आध्यात्मिकता भी है। इसीलिए इस रिश्ते की व्याख्या आसान नहीं होगी।
अव्यक्त समर्पण का नाता
भारत में भाई, बहन का सिर्फ भाई भर नहीं होता, वह बहन का पिता की भांति पालक भी होता है। फिर चाहे भाई-बहन से कितना ही छोटा क्यों न हो। इसी तरह बहन सिर्फ बहन नहीं होती, वह भाई की मां भी होती है फिर चाहे वह भाई से कितनी ही छोटी क्यों न हो? अपने छोटे भाइयों को अपने बेटों की तरह सजाते-संवारते, दुलारते-पुचकारते बहनों को देखना अपने भारतीय समाज में बिल्कुल आम है। दरअसल, भारत में भाई-बहन के रिश्ते में एक अद्भुत किस्म का समर्पण और अव्यक्त किस्म की आध्यात्मिकता है।
इसलिए विशिष्ट है रक्षाबंधन
कई लोगों को लग सकता है और इस तरह की व्याख्या भी की जाती है कि रक्षाबंधन का त्योहार पितृसत्ता का पोषक है। क्योंकि यह एक बहन यानी एक स्त्री को एक भाई यानी पुरुष के संरक्षण की वकालत करता है। दरअसल, यह इस प्रतीक का एक पाठ है। लेकिन यह अकेला पाठ नहीं है। इस रक्षा को एक अन्यतम किस्म के समर्पण से जोड़कर भी देखा जा सकता है या एक ऐसी भावनात्मक जिम्मेदारी के रूप में भी, जो पुरुष उठाता है। बहन, भाई के हाथों में रक्षासूत बांधकर सिर्फ अपनी सुरक्षा का दायित्व ही नहीं सौंपती बल्कि दो लोग हमेशा हमेशा के लिए एक-दूसरे के भावनात्मक समर्पण में बंध जाते हैं। रक्षाबंधन इसलिए भी एक अहम पर्व है, क्योंकि इसके जरिए हमने दुनिया को स्त्रियों को देखने की एक अलग नजर दी है। हमने इस भावनात्मक समर्पण के जरिए बताया है कि स्त्री का यह एक अलग और बेहद भव्य पाठ है। रक्षाबंधन का पर्व बहन के रूप में स्त्री की गरिमा को नई ऊंचाइयां देता है। इस पर्व और इस रिश्ते के जरिए भाई-बहन खुद का जन्म देने वाले मां-बाप के स्तर पर रूपांतरण करते हैं। यह सामाजिकता का बिल्कुल नया आयाम है।
Also Read: Happy Raksha Bandhan 2020: दोस्ती से भरा भाई-बहन का प्यारा नाता
रक्षाबंधन : इतिहास-पुराणों में दर्ज कथाएं
भारत में भाई-बहन के रिश्ते की यह विशिष्टता ही है कि यहां आकर तमाम विदेशी भी इस जादुई रिश्ते से खुद को बांधने से रोक नहीं पाए। इतिहास में कई ऐसी कहानियां दर्ज हैं कि किस तरह हुमायूं अपनी राखी बहन कर्मावती के लिए युद्ध करने मैदान में आ गया था या कि कैसे राजा पुरु ने मौका पाकर भी सिकंदर को नहीं मारा, क्योंकि वह सिकंदर की पत्नी को अपनी बहन बना चुका था फिर एक बहन की मांग का सिंदूर कैसे पोंछता? कथा यह भी है कि द्रौपदी की एक पुकार पर भगवान कृष्ण नंगे पांव ही भागे चले आए थे और दुर्योधन की चीरहरण की मंशा धरी की धरी रह गई थी।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS