Janmashtami 2019 : जन्माष्टमी पर भगवद गीता से जानें रिश्ते मजबूत के उपाय

Janmashtami 2019 : जन्माष्टमी पर भगवद गीता से जानें रिश्ते मजबूत के उपाय
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Janmashtami 2019 अगर आप अपने कमजोर होते रिश्तों से परेशान हैं, तो ऐसे में 5000 साल पहले दिया गया कृष्ण का भगवद गीता का ज्ञान बेहद उपयोगी साबित होगा। ऐसे में जन्माष्टमी के खास मौके पर हम आपके आपसी रिश्तो को मजबूत करने के लिए भगवद गीता में बताए गए सुझाव बता रहे हैं। जिन्हें अपनाकर आप अपने रिश्तों में प्यार और अपनेपन की मिठास घोल सकते हैं।

Janmashtami 2019 : जन्माष्टमी का त्यौहार साल 2019 में 24 अगस्त को भारत समेत विदेशों में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा। आज के दौर में रिश्तों की कमजोर होती डोर को मजबूत करने के लिए कृष्ण की भगवद गीता का ज्ञान 5000 साल बाद भी सटीक बैठता है। कृष्ण के गीता ज्ञान को जीवन जीने का सार भी कहा जाता है। जिसमें जीवन जीने की कला के अलावा, रिश्ते निभाने के तरीके, जीवन में उन्नति कैसे पाएं आदि के बारे में जाना जा सकता है। ऐसे में अगर आप भी अपने रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं, तो आप गीता के ज्ञान को अपना सकते हैं। आइए जानते हैं रिश्ते में प्यार की मिठास के लिए क्या कहते हैं श्री कृष्ण का गीता ज्ञान...

रिश्ते मजबूत करने की सलाह :




1.खुद से और दूसरों से प्यार करना सीखें

भगवद गीता में श्री कृष्ण ने कहा है, सबसे पहले स्वयं से प्रेम करना यानि खुद से प्यार करना सीखें, उसके बाद ही दुनिया आप से प्रेम कर पायेगी। आमतौर पर लोग दूसरों को प्यार करने, उन्हें खुश करने में अपने आप तक को भुला देते हैं। जो गलत है। क्योंकि प्रेम कोई बंधन नहीं होता है जिसमें आप किसी को भावनात्मक या भौतिकवादी जरूरतों के लिए हमेशा खुद से बांधकर रखें, बल्कि प्रेम दूसरों को मुक्त करने का नाम है। जहां एक-दूसरे के लिए केयर, साथ रहने की खुशी महसूस, सुख-दुख में साथ हो वही प्रेम कहलाता है।




रिश्तो में प्रेम करुणा को दें स्थान

आज के दौर में लोग रिश्ते केवल लालच, जरुरत की वजह से निभाते हैं, जबकि श्री कृष्ण के मुताबिक, लोगों को अपने रिश्ते हमेशा प्रेम, विश्वास, करुणा और विनम्रता से करने चाहिए। क्योंकि लालच, वासना, अहंकार, जरुरत और ईर्ष्या आपके रिश्तों को कुछ समय तक ही जीवित रख सकती है। लेकिन आपके असल विचारों को जानने के बाद आप हमेशा के लिए सबसे दूर हो जाएगें और जीवन के मुश्किल दौर में अकेला महसूस करेगें। ऐसे में अपना व्यवहार हमेशा ऐसा रखें, जिससे कोई आपसे दूर न हो सके।




उम्मीदों के बिना निभाएं रिश्ते

आज के दौर में हर रिश्ते में लालच और उम्मीदों नें एक खास जगह बना ली। सभी लोग अपना हर कार्य यानि प्यार भी करने से पहले उसके फल (फायदा) के बारे में जानने के बाद ही उसे करने के बारे में सोचते हैं। जबकि श्री कृष्ण के मुताबिक, प्यार हमेशा निस्वार्थ भाव से करना चाहिए। जिसमें आप किसी से प्यार के बदले में कुछ मिलने के बारे में न सोचे। श्री कृष्ण के मुताबिक, प्रेम की शुद्धता यानि जिसमें अपेक्षाओं का कोई स्थान न हो, अपने साथी की कमियों को स्वीकारें उसमें बदलाव की उम्मीद न करें।




उदार बनो

अगर आप भी अक्सर छोटी-छोटी बातों पर दूसरों पर गुस्सा करते हैं। दूसरों के कामों में कमियां निकालते रहते हैं, तो आपकी ये आदत रिश्तों को कमजोर बनाती है। ऐसे में अगर आप अपने रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपनी आदतों को बदलें और श्री कृष्ण के मुताबिक, अपने व्यवहार को उदार बनाएं। लोगों को उनके काम के लिए सम्मान दें और आभार व्यक्त करें।




प्रेम से सभी का जीते दिल

अगर आपके रिश्तों में कड़वाहट है, तो उन्हें सिर्फ प्रेम के माध्यम से ही जीता जा सकता है। श्री कृष्ण के गीता सार के मुताबिक, दुनिया में प्रेम का अकेला एक ऐसा माध्यम है जिससे दुनिया की हर बुराई को खत्म किया जा सकता है। लेकिन इसके साथ ही कृष्ण ने अपने उपदेश में लोगों को दुष्ट प्रवृति यानि हमेशा आपसे ईर्ष्या और दुश्मनी निभाने वाले लोगों के लिए शस्त्र उठाने तक को भी सही माना है।

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