Parenting Tips: आपकी बात नहीं मानते आपके बच्चे तो, इन पॉजीटिव तरीकों से दें जवाब

हम बच्चों से जिस तरीके से बात करेंगें, इससे उनका स्वभाव काफी हद तक उसी प्रकार का होगा। इससे उनके किसी भी कार्य को सीखने और आपकी बातों को सुनने की योग्यता और क्षमता भी डेवलप होती है। अकसर मां-बाप लगातार बच्चे को सही तरीके से व्यवहार और बातचीत करने के बारे में बताते रहते हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि पेरेंट्स की कम्युनिकेशन स्किल (Communication Skill) बेहतर हो। ऐसा नहीं होगा तो बच्चे आपकी कभी नहीं सुनेंगे। यदि आप चाहती हैं कि बच्चा आपकी सुने तो इस तरह से करें अपने बच्चों से बात-
अक्सर मां-बाप बच्चे से ''नहीं'', ''नो'', ''यह मत करो'', ''डोन्ट डू दिस'' ,'''यह काम नहीं करो' कहते रहते हैं। हर बात पर उन्हें मना करना छोड़े। बच्चों को अधिक रोकने-टोकने से वे और भी ज्यादा बदमाशियां (Naughty) करते हैं। अपनी मर्जी से वे जो भी करना चाहते हैं, थोड़ी देर के लिए ऐसा करने दें। जब उनका मन भर जाएगा, तो खुद ब खुद उस काम को करना बंद कर देंगे।
उन्हें डांटने की बजाय प्यार से समझाएं। उदाहरण के लिए, 'घर में मत दौड़ो या गिलास को गिरा मत देना" कहने की बजाय यह कहना ज्यादा बेहतर होगा कि ''राहुल घर में सिर्फ चलते हैं, प्लीज गिलास (Please) को सही से पकड़ो, क्योंकि यह टूट भी सकता है"। इस तरह के वाक्यों का इस्तेमाल करेंगी, तो वे आपकी बात को जल्दी समझने लगेंगे।
उपहास करने वाले शब्दों का इस्तेमाल न करें जैसे 'तुम सच में बहुत ही गंदे बच्चे हो"। इसकी बजाय कहें 'राहुल अब तुम बड़े हो रहे हो"। इससे बच्चे को यह नहीं लगेगा कि वह किसी काम का नहीं है। गलत शब्दों का प्रयोग बच्चों को आपसे दूर तो करता ही है साथ ही वे खुद के लिए 'पूअर सेल्फ-कॉन्सेप्ट" (poor self-concept) डेवलप कर लेते हैं।
पॉजिटिव (Positive) शब्द बच्चों को आत्मविश्वासी, खुश होने के साथ अच्छा बर्ताव करने में मददगार होते हैं। उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। इससे उन्हें बड़े होकर कड़ी मेहतन करने और सफलता पाने में आसानी होती है। जब भी बात करें, उनकी आंखों में देखकर बात करें ताकि वे भी आगे चलकर दूसरों से कॉन्फिडेंटली बात करे सकें। बात करते समय जरा भी झिझक या शर्म महसूस न करें।
अपने बच्चे से कभी भी ऊंची आवाज (Loud Voice) में बात न करें। बार-बार इसी तरह से बात करने में उनके अंदर वे डर सकते हैं। यदि वह किसी बात से गुस्सा है, तो पहले उसके गुस्से को शांत होने दें। बाद में प्यार से पूछें। इससे वे चिड़चिड़ा नहीं होगा। जब आप लगातार नीची आवाज में बात करेंगी तो भविष्य में जरूरत पड़ने पर जोर से डांट भी सकती हैं। बात-बात में बच्चों पर चिल्लाना सही नहीं बशर्ते कि उनसे कोई बड़ी गलती न हुई हो।
ऐसे में उन्हें विकल्प के साथ उठने-बैठने का तरीका भी बताना जरूरी है जैसे- 'जब तुम तैयार हो जाओ, तो पापा के साथ बाहर जा सकते हो", 'ब्लू या ब्लैक ट्राउजर में से कौन सा पहनना चाहते हो", 'जब होमवर्क पूरा कर लो तो टीवी देख सकते हो" आदि। ये छोटी-छोटी बातें आपके प्रति उनके मन में विश्वास पैदा करेगा।
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