Sunday Special : त्यौहार नहीं बल्कि ये है सावन में घेवर खाने की वजह, आपको भी पता होना चाहिए

Sunday Special : सावन के महीने में जहां देखो वहीं घेवर (Ghevar) की नजर आता है। वैसे तो घेवर राजस्थान की फेमस मिठाई (Famous Mithai Of Rajasthan) है, लेकिन यह हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और वेस्टर्न यूपी और मध्यप्रदेश की भी प्रमुख मिठाई बन गई है। सभी प्रदेशों ने अपने-अपने टेस्ट के हिसाब से घेवर की रेसिपी को डेवलेप कर लिया है। जो जहां रहता है, उसे वहां के हिसाब से घेवर उपलब्ध हो जाता है। हरियाली तीज (Hariyali Teej) और रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) घेवर के बिना अधुरे माने जाते हैं। उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कई जिलों में ऐसा देखा गया है कि तीज (Hariyali Teez) पर भाई घेवर लेकर आते हैं। घेवर का मतलब ही सावन (Sawan) होता है। लेकिन, आपने कभी सोचा है कि घेवर केवल सावन में ही क्यों आता है। इसके पीछे कई कारण है, जो आपको जरुर पता होने चाहिए।
आयुर्वेद की मानें तो श्रावण और भाद्रपद के महीने यानी जुलाई, अगस्त और सितंबर में वात (Vata) और पित्त ( Pitta) की प्रधानता होती है। इससे बॉडी में सूखापन और एसिडिटी की शिकायत बनी रहती है। इसकी वजह से लोगों को बेचैनी की शिकात रहती है। घेवर इन सभी समस्याओं को दूर करता है और हमारे शरीर को स्वस्थ बनाने में मदद करता है।
ऐसे करता है घेवर मदद
घेवर मीठे और घी से बना होता है। जिसमें वात और पित्त शांत करने वाले गुण होते हैं। इस प्रकार, उनका मन के साथ शरीर पर भी शांत प्रभाव पड़ता है।, घेवर केवल मानसून के मौसम में बनाई जाता है। ऐसा कहा जाता है कि हवा में नमी की मात्रा इसे बनाने में मदद करती है, यही वजह है कि रक्षाबंधन और तीज जैसे त्योहारों के दौरान इसका सेवन और ज्यादा बढ़ जाता है।
कैसे बनता है घेवर
घेवर को शुद्ध देसी घी और मैदे में मिलाकर पकाया जाता है और इसे बनाने में अनोखी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। जब घेवर ठंडा हो जाता है तो इसे चाशनी में डुबोया जाता है और फिर इस पर कटे हुए मेवे और केसर से सजाया जाता है।
कितने प्रकार के घेवर है बाजार में
1-सिंपल घेवर
2-मलाई घेवर
3-रबड़ी घेवर
4-चॉकलेट घेव
5-ड्राई फ्रूट घेवर
6- बिहारी घेवर
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