Marriage Tips: शादी के वक्त लिए जाते हैं ये 7 वचन, जन्म-जन्मांतर तक मजबूत रहता है संबंध

Marriage Tips: शादी के वक्त लिए जाते हैं ये 7 वचन, जन्म-जन्मांतर तक मजबूत रहता है संबंध
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शादी को सात जन्मों (Shaadi Ke 7 Vachan) का बंधन भी माना जाता है, रस्मों में दूल्हा-दुल्हन के एक-दूसरे को दिए जाने वाले 7 वचनों का खास महत्व होता है।

7 Vow Of Marriage: शादी (Marriage) हर व्यक्ति के जीवन का बहुत बड़ा और अहम हिस्सा होता है, यह वो दिन होता है जब 2 लोगों की जिंदगी मैं से हटकर हम पर चलने लगती है। सबकुछ बदल सा जाता है, नई जिम्मेदारियां, नए लोग और नया घर हर चीज नई होती है। लड़कियां बचपन से जिस घर-परिवार में रह रही थीं, वह सिर्फ एक इंसान के भरोसे पर उन सभी चीजों को छोड़कर आती हैं। पति और पत्नी का रिश्ता जितना मजबूत (Relationship Tips) होता है उतना ही नाजुक भी होता है, इस रिश्ते को मजबूत बनाने में सबसे बड़ा योगदान विश्वास का होता है। वहीं अगर दो लोगों को एक दूसरे पर विशवास ना हो तो यह उसके टूटने का भी बहुत बड़ा कारण बन जाता है। नए परिवार में लड़कियों को सम्मानजनक जगह दिलाने और नव विवाहित वर-वधू को उनकी नई जिम्मेदारियों का एहसास दिलाने के लिए अग्नि को साक्षी मानकर फेरे (Wedding Vow) लेते समय सात वचन दिलाए जाते हैं। ये वचन कन्या अपने वर से मांगती है, हर फेरे के साथ एक नया वचन दिया जाता है। यह वचन पति-पत्नी के रिश्ते की नई शुरुआत क प्रतिक होते हैं।


  • विवाह में क्यों बहुत जरुरी होते हैं फेरे?

हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों के बारे में बताया जाता है, इन्हीं में से एक विवाह भी होता है। अगर बात करें विवाह के मतलब की तो इसका अर्थ होता है उत्तरदायित्व का वहन (जिम्मेदारियां निभाना) करना, हिन्दू धर्म में शादी के पवित्र रिश्ते को जन्म-जन्मांतर का संबंध माना है। विवाह के समय पति-पत्नी 7 फेरे लेकर हर परिस्थिति में एक दूसरे का साथ निभाने का वादा करते हैं। सनातन धर्म में 7 फेरे लेना बहुत ही अहम माना जाता है, जानकारी के लिए बता दें कि सात फेरों को सप्तपदी भी कहा गया है, ऐसा माना जाता है कि सात फेरे किसी हिंदू विवाह की स्थिरता का मुख्य स्तंभ होते हैं।


  • बाईं ओर क्यों बैठती हैं पत्नियां?

विवाह के दौरान और बाद में पत्नियां हमेशा अपने पति की बाईं ओर बैठती हैं, आप में बहुत से लोग ऐसे होंगे जिनके मन में यह सवाल होगा की पत्नियां हमेशा बाईं ओर ही क्यों बैठती हैं? दरअसल पत्नियों को वामांगी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है पतियों का बायां भाग। बताते चलें कि लड़कों में दाएं ओर लड़कियों में बाएं भाग को शुभ माना जाता है। सनातन धर्म के मुताबिक हस्त ज्योतिष में महिलाओं का बायां हाथ देखते हैं। शरीर का बायां भाग खासतौर पर मस्तिष्क (Brain) रचनात्मकता माना जाता है, जबकि दायां हिस्सा कर्म प्रधान होता है। यही वह वजह है, हर वचन के बाद पत्नी अपने पति से कहती है कि अगर आप इस वचन से सहमत हैं तो मैं आपके बाएं भाग में आने के लिए तैयार हूं।


  • विवाह में क्यों लिए जाते हैं 7 फेरे?

अगर आपके मन में भी यह सवाल है तो आज हम आपके सभी सवालों का जवाब देंगे, दरअसल हिन्दू मान्यताओं में मुताबिक 7 बहुत ही शुभ अंक है। अगर आप कभी नोटिस करेंगे तो आपको पता चलेगा कि भारतीय संस्कृति में संगीत के 7 सुर, इंद्रधनुष के 7 रंग, 7 ग्रह, 7 तल, 7 समुद्र, 7 ऋषि, सप्त लोक, 7 चक्र, सूर्य के 7 घोड़े, सप्त रश्मि, सप्त धातु, सप्त पुरी, 7 तारे, सप्त द्वीप, 7 दिन, मंदिर या मूर्ति की 7 परिक्रमा, आदि के बारे में बताया जाता है और इसी क्रम को फॉलो किया जाता है।


1. तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:

वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी!।

अर्थ: पहले फेरे में दुल्हन आगे चलती है और अपने पति से ये वचन मांगती है कि जब भी आप जीवन में कोई तीर्थयात्रा, हवन, पूजन या अन्य कोई धार्मिक काम करेंगे तो आप मुझे हमेशा अपने साथ रखेंगे। अगर आप इस वचन से सहमत है तो मैं आपके वामांग (बाएं भाग) में आऊं।

2. पुज्यो यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:

वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम!!

अर्थ: दूसरा वचन यह होता है कि मैं जिस तरह से अपने माता-पिता का सम्मान करती हूं, उसी तरह आपके माता पिता का सम्मान करूंगी। घर की मर्यादा का ध्यान रखूंगी, लेकिन आप भी अपने माता-पिता की ही तरह मेरे माता-पिता का सम्मान करेंगे और सभी को अपना मानेंगे, अगर आप सहमत हैं तो मैं आपके वामांग में आऊं।

3. जीवनम अवस्थात्रये पालनां कुर्यात

वामांगंयामितदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृतीयं!!

अर्थ: तीसरे फेरे में पत्नी कहती है कि मैं जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था) में आपका साथ निभाउंगी, अगर आप भी मुझे ऐसा वचन देते हैं, तो मैं आपके वामांग में आऊं।

4. कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्या:

वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थ:।।

अर्थ: चौथे वचन में दूल्हा आगे आता है और दुल्हन पति से वचन मांगती है कि अब तक आप घर-परिवार की चिंता से मुक्त थे। लेकिन विवाह के बाद परिवार की जरूरतों को पूरा करने का दायित्व आप निभाएंगे, अगर आप सहमत हैं तो मैं आपके वामांग में आऊं।

5. स्वसद्यकार्ये व्यहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्‍त्रयेथा

वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: पंचमत्र कन्या!!

अर्थ: पांचवे वचन में पत्नी अपने अधिकारों की बात करते हुए पति से वचन मांगती है कि घर के कार्यों में, विवाह, लेन-देन और किसी भी अन्य चीज पर खर्चा करते समय आप मेरी भी राय लिया करेंगे, अगर आप सहमत है तो मैं आपके वामांग में आऊं।

6. न मेपमानमं सविधे सखीना द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्वेत

वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम!!

अर्थ: शादी के छठे फेरे में दुल्हन दूल्हे से वचन मांगती है कि अगर मैं अपनी सखियों, परिवार या अन्य लोगों के बीच हूं तो सामाजिक रूप से आप कभी मेरा अपमान नहीं करेंगे, साथ ही जुआ आदि किसी भी बुरी आदतों में नहीं फंसेंगे। अगर आप सहमत हैं तो मैं आपके वामांग में आऊं।

7. परस्त्रियं मातूसमां समीक्ष्य स्नेहं सदा चेन्मयि कान्त कूर्या।

वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: सप्तमंत्र कन्या!!

अर्थ: शादी के आखिरी फेरे और सातवें वचन में दुल्हन कहती है कि आप पति-पत्नी के आपसी प्रेम का भागीदार किसी अन्य को नहीं बनाएंगे और अन्य स्त्रियों को माता की तरह सम्मानजनक नजर से देखेंगे, अगर आप सहमत हैं तो मैं आपके वामांग में आऊं।

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