Shraddha Murder Case: आफताब काे 'Dexter' से आया पुलिस से बचने का आइडिया, जानें क्राइम-थ्रिलर का मेंटल हेल्थ पर कैसा असर

Shraddha Murder Case: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) से एकबार फिर दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है, जिससे सभी लोग स्तब्ध हैं। यह घटना किसी मर्डर मिस्ट्री फिल्म की कहानी की तरह ही लगती है, जहां एक शख्स खुद ही अपनी लिव इन पार्टनर की बेरहमी से हत्या करता है और शव को काटकर टुकड़े जंगल में फेंक देता है। बावजूद इसके वो बच नहीं पाता। तो चलिये बताते हैं इस पूरी वारदात के बारे में...
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2022 के मई महीने में मुंबई की एक महिला की दिल्ली के महरौली में हत्या कर दी गई। इस मामले के आरोपी को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मुंबई के एक फूड ब्लॉगर आफताब अमीन पूनावाला ने कथित तौर पर अपनी लिव-इन पार्टनर की गला घोंट कर हत्या कर दी थी। मरने वाली लड़की का नाम श्रद्धा है, उनके ब्वॉयफ्रेंड आफताब ने उस लड़की के शरीर के 35 टुकड़े कर उसे छतरपुर एन्क्लेव के जंगल के कई हिस्सों में फेंक दिया था।
यहां चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी ने कथित तौर पर खून साफ करने की तकनीक को गूगल किया और शरीर से आसानी से छुटकारा पाने के लिए मानव शरीर रचना (Human Anatomy) के बारे में पढ़ा। यहां तक कि उसने महिला के अंगों को स्टोर करने के लिए 30 लीटर का फ्रिज भी खरीदा। लेकिन इस भीषण हत्या से बचने का यह विचार कैसे आया? आरोपी ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि उसने डेक्सटर जैसी कई क्राइम वेब सीरीज़ देखी थीं, जिससे उसे हत्या से बचने का यह आइडिया आया था।
ओटीटी के युग में जहां नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार और अमेज़ॅन प्राइम जैसे प्लेटफॉर्म हॉरर, साइंस-फाई और फैंटेसी जैसे विभिन्न मुद्दों पर स्टोरीज बना रहे हैं। वहीं एक तरफ क्राइम-थ्रिलर के लिए भी फैन-फॉलोइंग बढ़ रही है। आजकल इस तरह की क्राइम मिस्ट्री जैसी फिल्मों और सीरीज की तरफ लोगों का झुकाव ज्यादा हो रहा है। लेकिन इस तरह की फिल्मों और सीरीज का असर भी 2 प्रकार का हो रहा है। जहां कुछ लोग इनसे जागरूक हो रहे हैं, वहीं कुछ लोग इन चीजों को देखकर क्राइम करने के नए-नए तरीके, साथ ही खुदको पुलिस से बचाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।
दुनिया क्यों क्राइम-थ्रिलर की हो रही है दीवानी?
शुरुआत में किसी भी व्यक्ति को इस तरह की मूवी या सीरीज डरावना या सिर दर्द सी लग सकती है। लेकिन समय के साथ ये आपने मन में एक अपराधी के मनोविज्ञान के बारे में जानने की जिज्ञासा भी पैदा कर सकती है। शोध से पता चलता है कि इस तरह की क्राइम-थ्रिलर स्टोरीज पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को देखना पसंद होती है। इसकी पीछे की सबसे बड़ी वजह असुरक्षा की भावना है। अगर आपने कभी नोटिस किया हो तो यह स्टोरीज ज्यादातर महिलाओं पर हो रहे जुर्म को ही दिखती है। इसलिए महिलाएं इस तरह के किसी भी अपराध से बचने के तरीके सीखने के लिए उत्सुक होती हैं।
क्राइम-थ्रिलर मेन्टल हेल्थ को कैसे प्रभावित करते हैं?
इस बात में कोई दोराहे नहीं है कि बलात्कार, हत्या और घृणा अपराध पर केंद्रित सीरीज और फिल्म किसी को भी परेशान कर सकती है। अगर इसकी पॉजिटिव साइड पर नजर डालें तो, यह किसी को अधिक सतर्क और जागरूक बनने के लिए प्रोत्साहित करती है, लेकिन इसका नेगेटिव साइड यह है कि इन चीजों को देखकर इंसान कई बार ओवररियेक्ट करने लगता है और कई बार बाहर निकलकर और सोशल होने से भी डरता है।
आप इस तरह के व्यवहार को कैसे पहचान सकते हैं:-
- घर में असुरक्षित महसूस करना
- हर समय डरे रहना
- हमेशा घबराहट महसूस होना
- दूसरों से सावधान रहना
- नींद आने में तकलीफ
- घबराहट
- तनाव
- हल्की सांस लेना
- तेज धड़कन
हाल ही में सामने आए मामले से ऐसा लगता है कि क्राइम-थ्रिलर न केवल लोगों को चिंतित करते हैं बल्कि उनके मन में विचार भी डाल सकते हैं। जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं, ठीक उसी तरह इन चीजों से अगर जागरूक हुआ जा सकता है तो इनसे लोगों को क्राइम करने के आइडिया भी मिल सकते हैं। इसलिए अगर बच्चे इस तरह की चीजें देख रहे हैं, तो यह माता-पिता के लिए लाल झंडा हो भी सकता है। इसलिए यह सलाह दी जाती है, कि न केवल बच्चों सराउंडिंग्स के प्रति सतर्क रहें बल्कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उनके द्वारा देखी जाने वाली सीरीज और फिल्मों के प्रभाव को भी नजरअंदाज ना करें।
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