Birth Defects : प्रेग्नेंसी के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना ऐसा हो सकता है आपका बच्चा

Birth Defects : प्रेग्नेंसी के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना ऐसा हो सकता है आपका बच्चा
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मां बनने का अहसास हर महिला के लिए बहुत खास होता है। यही वजह है कि प्रेग्नेंट (Pregnant) होने का पता चलते ही महिलाएं अपनी हेल्थ (Health) को लेकर एक्सट्रा कॉन्शस हो जाती हैं, रेग्युलर चेकअप करवाती हैं, अपनी डाइट और लाइफस्टाइल को बैलेंस रखने का हर संभव प्रयास करती हैं, ताकि होने वाला बच्चा हेल्दी और फिट हो। इसके बावजूद कुछ कारणों से बच्चे में कुछ बर्थ डिफेक्ट्स हो जाते हैं।

Women Health Care : मां बनने का अहसास हर महिला के लिए बहुत खास होता है। यही वजह है कि प्रेग्नेंट (Pregnant) होने का पता चलते ही महिलाएं अपनी हेल्थ (Health) को लेकर एक्सट्रा कॉन्शस हो जाती हैं, रेग्युलर चेकअप करवाती हैं, अपनी डाइट और लाइफस्टाइल को बैलेंस रखने का हर संभव प्रयास करती हैं, ताकि होने वाला बच्चा हेल्दी और फिट हो। इसके बावजूद कुछ कारणों से बच्चे में कुछ बर्थ डिफेक्ट्स हो जाते हैं। यह स्थिति ना सिर्फ पैरेंट्स को ताउम्र परेशान करती हैं बल्कि बच्चे को भी आजीवन अपनी बीमारी के साथ रहना पड़ता है। ऐसा ना हो, इसके लिए जरूरी है कि आप पहले से ही बर्थ डिफेक्ट्स (Birth Defects) के कारणों, सावधानियों और उसके इलाज के बारे में जरूरी बातें जान लें।

क्या है बर्थ डिफेक्ट्स ( What is Birth Defects)

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रीना मालपानी बताती हैं कि बर्थ डिफेक्ट्स ऐसी एब्नॉर्मलिटीज हैं, जो जन्म के वक्त से ही शिशु में होती हैं। लेकिन अब नई मेडिकल तकनीक की सहायता से शिशु के जन्म लेने से पहले ही कुछ टेस्ट करवा कर इनका पता लगाया जा सकता है। हालांकि कई बार ऐसी समस्याओं का पता शिशु के जन्म लेने के बाद ही चलता है।

बर्थ डिफेक्ट्स के प्रकार

डॉ. रीना मालपानीकी मानें तो विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत फिलहाल 3000 से ज्यादा तरह के बर्थ डिफेक्ट्स की जानकारी डॉक्टरों को है। ये शिशु के शरीर की बनावट या शारीरिक संरचना संबंधी, आनुवांशिक, मां की सेहत समस्याओं से उपजी, मां द्वारा नशा या नुकसानदायक फूड के सेवन या संक्रामक रोगों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

स्ट्रक्चरल डिफेक्ट (शारीरिक बनावट संबंधी) : शिशु के शरीर के कुछ खास हिस्से अविकसित या गलत तरीके से विकसित हो सकते हैं। किसी खास हिस्से में एक्स्ट्रा या एब्नॉर्मल ग्रोथ हो सकती है। कई समस्याएं बाहर से दिखती हैं और कई सामान्य रूप से नजर नहीं आती हैं।

हार्ट डिफेक्ट : कुछ आंतरिक समस्याएं भी बच्चों में हो सकती हैं, उन्हीं में से एक है हार्ट डिफेक्ट। कई बार शिशु के सामान्य जीवन के लिए सर्जिकल प्रोसेस जरूरी हो जाता है। हार्ट डिफेक्ट के अलावा न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट भी एक आम समस्या है।

जेनेटिक डिफेक्ट : एक या ज्यादा जींस की गड़बड़ी के कारण पैरेंट्स की स्वास्थ्य समस्या बच्चों में आ सकती है। मां में मिनरल्स और न्यूट्रीशन की कमी की वजह से भी बच्चे में कुछ समस्याएं आ सकती हैं।

रोकथाम के उपाय

बर्थ डिफेक्ट्स का इलाज सामान्य बीमारियों की तरह करना संभव नहीं है। कई मामलों में सावधानी बरतकर इनकी रोकथाम की जा सकती है। लेकिन बहुत से मामलों में डॉक्टर या पैरेंट्स का इन पर कंट्रोल नहीं होता, क्योंकि गर्भ में विकसित हो रहे शिशु के लिए ज्यादा कुछ किया जाना संभव नहीं होता है। फिर भी कुछ सावधानियां बरतकर आप अपने शिशु को स्वस्थ जीवन दे सकती हैं-

नशे से दूर रहें : गर्भवती महिलाओं को किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए। इसमें एल्कोहल और स्मोकिंग का खास ध्यान रखा जाना चाहिए। इनके सेवन से जच्चा-बच्चा दोनों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। स्मोकिंग की आदत की वजह से शिशु वक्त से पहले जन्म ले सकता है, मिसकैरिज हो सकता है। यहां तक कि सडेन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (सिड्स) का भी जोखिम रहता है।

दवाओं की जानकारी रखें : कई बार कुछ दवाइयां मरीज को नियमित लेनी होती हैं। लेकिन कंसीव करने के बाद इन दवाओं को लेने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें। डॉक्टर के कहने के बाद ही उन दवाओं को रेग्युलर बेस पर लेना चाहिए।

प्रदूषण से बचें : अत्यधिक धूल, धुएं और प्रदूषित वातावरण में रहने से बचें। घर में केमिकल प्रोडक्ट्स, हार्ड डिटर्जेंट, डिसइनफेक्टेंट आदि का प्रयोग ना करें।

नियमित चेकअप करवाएं : ज्यादातर बर्थ डिफेक्ट्स पहली तिमाही (फर्स्ट ट्राइमेस्टर) में होते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि गर्भवती महिलाएं रेग्युलर मेडिकल चेकअप करवाएं। साथ ही किसी एक्सपीरियंस्ड डॉक्टर के कॉन्टेक्ट में रहें।

अगर प्रेग्नेंट महिलाएं यहां बताई गईं सभी बातों पर गौर करें तो अपने होने वाले बच्चे को कई तरह के बर्थ डिफेक्ट्स से बचा सकती हैं।

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