स्पेशल चाइल्ड की करें एक्सट्रा केयर

स्पेशल चाइल्ड की करें एक्सट्रा केयर
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जिन पैरेंट्स के बच्चे स्पेशल चाइल्ड की कैटेगिरी में आते हैं, वे उनके भविष्य और जीवन को लेकर टेंशन में रहते हैं। वे समझ नहीं पाते हैं कि अपने बच्चे की केयर, उन्हें ट्रेंड कैसे करें? ऐसे स्पेशल चाइल्ड के पैरेंट्स के लिए यहां दिए जा रहे सजेशन बहुत युजफुल हो सकते हैं। आप भी इनके बारे में जानिए।

कुछ बच्चे शारीरिक या मानसिक रूप से सामान्य बच्चों से अलग होते हैं, उनमें कुछ कमियां होती हैं। नासमझ लोग ऐसे बच्चों का मजाक उड़ाते हैं। इस वजह से उनके पैरेंट्स काफी परेशान रहते हैं, वे समझ नहीं पाते हैं कि अपने बच्चों को सक्षम कैसे बनाएं? ऐसा भी नहीं है कि इन स्पेशल चाइल्ड को हैंडल नहीं किया जा सकता है या इनकी केयर मुश्किल है। इसके लिए बस कुछ बातों पर ध्यान देने की जरूरत होती है।

हर बच्चा होता है अलग

हर स्पेशल चाइल्ड अलग होता है। जैसे ऑटिस्टिक बच्चे अपने आप में सिमटे होते हैं। उनके साथ आपको ज्यादा इंवॉल्व होना पड़ता है। जिन बच्चों में डाउन सिंड्रोम होता है, वे हर किसी से बहुत घुल-मिल जाते हैं तो उन्हें सिखाना पड़ता है कि कैसे अनजान लोगों से एक सेफ डिस्टेंस बना कर रखना जरूरी है। डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों में समझ तो विकसित होती है लेकिन उन्हें अक्षर लिखने और पढ़ने में दिक्कत होती है। ऐसे में पैरेंट्स को स्टडी में उनकी ज्यादा हेल्प करनी होती है।

नेचर-प्रॉब्लम समझें

स्पेशल चाइल्ड की सही केयर के लिए पहले उनकी प्रॉब्लम को समझना जरूरी होता है।

भीड़ से परेशानी-कुछ ऑटिस्टिक बच्चे भीड़ से डरते हैं। इन्हें एकदम से भीड़-भाड़ वाली जगह पर ज्यादा देर न ले जाएं। धीरे-धीरे आदत डालें। शुरू में 5-7 लोगों के बीच, फिर 10-15 लोगों के बीच अपने साथ कुछ देर ले जाएं। भीड़ वाले मार्केट में ले जाने की जल्दी ना करें।

तेज रोशनी से परेशानी-कुछ बच्चों को तेज रोशनी या तीखे रंग वाले फ्लोरोसेंट बल्ब से परेशानी होती है। इनकी देखने की क्षमता जरा कम होती है। इसलिए इन्हें नेचुरल लाइट ही अच्छी लगती है। ऐसे बच्चों के पैरेंट्स को घर में ऐसी लाइटिंग व्यवस्था रखनी चाहिए, जो इनके लिए आरामदायक हो।

शोरगुल से परेशानी-कुछ बच्चे शोरगुल के लिए सेंसिटिव होते हैं। आपको सामान्य लगने वाली आवाज भी इन्हें परेशान कर सकती है। अगर आपके बच्चे को यह समस्या है तो उसे सेंसरी इंटीग्रेशन थैरेपिस्ट को जरूर दिखाएं।

खिलौनों की अलग पसंद-स्पेशल चाइल्ड की खिलौनों की पसंद जरा अलग होती है। किसी को गाड़ियां अच्छी लगती हैं, किसी को बॉल। आप इस बात को ऑब्जर्व करें कि बच्चे को कैसे खिलौने पसंद हैं। उसे वैसे ही खिलौने लाकर दें और साथ ही एजुकेशनल टॉयज भी लाकर दें, जो उसके मानसिक विकास में मददगार हों।

रूटीन फिक्स करें

- ऐसे बच्चे को शुरू से आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करें, जिससे वह अपने रूटीन कामों के लिए आप पर निर्भर ना रहे।

- उसे वॉशरूम जाने, कपड़े पहनने और अपने हाथों से खाना खाने की ट्रेनिंग दें।

- बच्चे को हाइजीन मेंटेन करना, भोजन के लिए तय स्थान पर बैठना और घर के जनरल रूल्स फॉलो करना सिखाएं।

- उसकी दिनचर्या फिक्स करें। जैसे पढ़ने, खेलने, टीवी देखने और सोने का समय निश्चित करें, जिससे वह एक व्यवस्थित जिंदगी जी सके।

ऐसे ट्रेंड करें

- अपने बच्चे को हमेशा इस बात का अहसास न कराएं कि वह दूसरे बच्चों से अलग या अक्षम या अशक्त है। उसे धैर्य से सारे काम सिखाएं, जो दूसरे बच्चे कर सकते हैं।

- ऑटिस्टिक बच्चों की ट्रेनिंग के लिए कई तरह के एप्स हैं। इनमें तरह तरह के साउंड, एनिमेशन गेम्स होते हैं। ये बच्चों के मानसिक विकास में मदद करेंगे।

- बच्चों को स्मार्टफोन, गैजेट्स के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दें।

- अपने बच्चे को उसके जैसे दूसरे बच्चों के साथ मिलवाएं और उनकी दोस्ती करवाएं।

- बच्चा कोई काम अच्छी तरह करें तो उसे रिवॉर्ड दें।

- अपने बच्चे को जनरल मैनर्स, एटिकेट्स की ट्रेनिंग दें। उसे थैंक्स कहना, प्लीज बोलना और स्माइल करना सिखाएं।

- ऑटिस्टिक चाइल्ड के लिए स्केटिंग, जिगसा पजल, स्विमिंग, फुटबॉल अच्छे गेम हैं। लूडो, कैरम, बिल्डिंग ब्लॉक्स, म्यूजिकल चेयर, कंप्यूटर गेम्स भी उनके लिए फायदेमंद हैं। इससे उनका कंसंट्रेशन बढ़ता है, मूवमेंट बेहतर होते हैं। को-ऑर्डिनेशन स्किल इंप्रूव होती है।

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