इन दिनों पढ़ाई के साथ एक्सट्रा एक्टिविटीज, ना क्रिएट करें प्रेशर

सामान्य दिनों में बच्चों पर पढ़ाई का, दूसरी एक्टिविटीज सीखने का काफी प्रेशर रहता था। इधर कोरोना काल में बच्चों के लिए समस्याएं काफी बढ़ी हुई हैं। बच्चे बहुत लंबे समय से लगातार घरों में बंद हैं। कहीं आ या जा नहीं सकते। दोस्तों से मिल नहीं सकते, खेल-कूद नहीं सकते। इस वजह से वे काफी बेचैन-परेशान हैं। ऊपर से उन पर ऑनलाइन स्टडी के साथ, पैरेंट्स की नई उम्मीदों पर खरा उतरने का दबाव भी है। यह स्थिति उनमें तनाव बनाती है। पैरेंट्स को ऐसा करने से बचना चाहिए। इसके लिए कुछ बातों पर गौर करना बहुत जरूरी है।
प्रेशर क्रिएट न करें
कई पैरेंट्स चाहते हैं, कोरोना काल में बच्चे घर में रहकर ऑनलाइन जितनी नई चीजें सीख सकते हैं, सीख लें। इसमें ऑनलाइन डांस, म्यूजिक, लैंग्वेज कोर्स और कोडिंग सीखने वाले कोर्स शामिल हैं। छोटी उम्र में इस तरह का प्रेशर बच्चों पर पैरेंट्स को नहीं डालना चाहिए। इससे वे तनाव से घिर सकते हैं, जो उनके लिए घातक हो सकता है। बच्चों से वही कराइए, जो वे आसानी से कर सकते हैं।
बच्चे की पसंद जानिए
बच्चों को कुछ भी सीखने में समय लगता है। वे जब एक समय में एक ही काम पर फोकस करते हैं तो ही उसमें अच्छा परफॉर्म कर पाते हैं। यह बात पैरेंट्स को समझनी चाहिए। कोरोना टाइम में तो यह बात और ज्यादा महत्व रखती है। बच्चे घर पर हैं तो इसका मतलब यह नहीं है, उनके पास बहुत समय है। वे ऑनलाइन तो पढ़ ही रहे हैं, ऐसे में उन पर एक्सट्रा कोर्स, एक्टिविटीज पर फोकस करने का दबाव बिल्कुल न बनाएं। हां, अगर उन्हें कोई खास कोर्स पसंद है तो ही उसमें एडमिशन कराएं। किसी कोर्स को कर पाने में बच्चा कंफर्टेबल फील करता है या नहीं, इस बारे में उससे बात जरूर करें, उसका मन जानें। साथ ही उससे ज्यादा उम्मीदें न करें, कोरोना टाइम में तो बिल्कुल ही नहीं।
खुद टारगेट अचीव करने दें
घर में रहते हुए बच्चा कोई क्रिएटिव वर्क कर रहा है, कोई नई एक्टिविटी सीख रहा है तो उससे परफेक्ट होने की, जल्दी से सीखने की उम्मीद न करें, उसे पूरा समय दें। इसके लिए बच्चे को खुद एक टाइम सेट करने को कहें। उसे कैलेंडर या पेपर पर किए जाने वाले काम पूरा करने का समय और तारीख मार्क करने को कहें। इससे वह अपना टारगेट अचीव करने पर पूरा फोकस करेगा। आपको भी उसे बार-बार इस बात को याद नहीं दिलाना पड़ेगा। वह बिना तनाव के अपना टारगेट अचीव करेगा।
मुश्किल में मदद करें
मुश्किल वक्त में, किसी कठिनाई के आने पर बच्चों में तनाव होना स्वाभाविक बात है। कोरोना टाइम में बच्चे पहले से ही ज्यादा तनावग्रस्त हैं। इसलिए आजकल वे छोटी-छोटी बातों पर परेशान हो जाते हैं। अगर आप देख रही हैं कि अपनी पढ़ाई, नई एक्टिविटीज सीखने के दौरान बच्चा तनाव महसूस कर रहा है तो उसे रिलैक्स होने को कहें। बच्चे से बातें करें, उसकी प्रॉब्लम को ध्यान से सुनें। उसका समाधान निकालने में उसकी मदद करें। उसका मनोबल बढ़ाएं और बच्चे को धैर्य रखने के लिए कहें।
बनिए रोल मॉडल
पैरेंट्स बच्चों के रोल मॉडल होते हैं। आप किसी सिचुएशन को कैसे हैंडल करती हैं, उससे ही बच्चे भी सीखते हैं। इसलिए अगर आप किसी परेशानी, काम के तनाव को आसानी से हैंडल करती हैं तो बच्चा भी ऐसा करना खुद-ब-खुद सीख जाएगा। कोरोना टाइम में वह अगर पढ़ाई के साथ एक्सट्रा एक्टिविटीज, वर्क पर फोकस कर रहा है तो उसे बैलेंस के साथ दोनों चीजों को हैंडल करना सिखाएं। यह तभी मुमकिन हैं, जब आप भी दो कामों को आसानी से कर पाने में सक्षम होंगी।
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