Pathankot: घूमने के लिए बेस्ट है पठान कोट, जानें कब है जाने का सही समय और भी तमाम जानकारी

Pathankot: घूमने के लिए बेस्ट है पठान कोट, जानें कब है जाने का सही समय और भी तमाम जानकारी
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Pathnakot: पंजाब, कश्मीर और हिमाचल के पास स्थित पठानकोट घूमने के लिए बेस्ट जगह है। यहां पर आप कई ऐतिहासिक स्थल देख सकते हैं। अगर आप घूमने का प्लान कर रहे हैं, तो पठान जाना बेस्ट होगा। आपकी मदद के लिए हम पठानकोट से जुड़ी तमाम जानकारी आपको देने जा रहे हैं।

Pathankot: पंजाब के पठानकोट का एक बहुत ही खूबसूरत इतिहास है। भारत में नूरपुर के पठानी राजपूतों के राज्य की राजधानी पठानकोट से कई ऐतिहासिक कहानियां जुड़ी हुई हैं। पंजाब, कश्मीर और हिमाचल के पास स्थित पठानकोट घूमने के लिए बेस्ट जगह है। यहां पर आप कई ऐतिहासिक स्थल देख सकते हैं। अगर आप घूमने का प्लान कर रहे हैं, तो पठान जाना बेस्ट होगा। आपकी मदद के लिए हम पठानकोट से जुड़ी तमाम जानकारी आपको देने जा रहे हैं।

ऐसे जाएं पठानकोट

एयरवे: पठानकोट हवाई अड्डे का प्रमुख तौर पर इस्‍तेमाल भारतीय वायु सेना द्वारा किया जाताहै। यहां पर दिल्ली और कुल्लू से आम नागरिकों के लिए बहुत ही कम उड़ानें भरी जाती हैं। इसके अलावा, पठानकोट का सबसे पास का हवाई अड्डा अमृतसर हवाई अड्डा है। ये पठानकोट से लगभग 125 किमी दूर है। दोनों हवाई अड्डों से पठानकोट जाने के लिए नियमित कैब सेवाएं उपलब्ध हैं।

ट्रेन: पठानकोट रेलवे जंक्शन शहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस रेलवे स्‍टेशन पर भारत के सभी प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेनें आती हैं। आप ट्रेन से भी पठानकोट जा सकते हैं।

कौन से महीने में पठान कोट जाना सही है

यहां जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के महीनों में होता है। उस समय पठानकोट का मौसम खुशनुमा रहता है। और औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस तक नहीं रहता है।

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पठानकोट के दर्शनीय स्‍थल

शाहपुरकंडी किला

यह किला16वीं शताब्दी में बनवाया गया था। ये किला शहर के सबसे सुंदर किलों में से एक है। अब यात्रियों और पर्यटकों के लिए गेस्ट हाउस बन चुका ये किला एक समय पर रावी नदी के तट पर एक रणनीतिक सैन्य किला हुआ करता था। जम्मू और कश्मीर राज्य की सीमा पर स्थित यह किला पुराने समय की कई कहानियां बयां करता है।

नूरपुर किला

यह किला अपनी वास्तुशिल्प के लिए भी जाना जाता है। पूर्व में इसे धमेरी किले के रूप में जाना जाता है। 10वीं शताब्दी में इस किले की उत्पत्ती हुई थी। आज इस किले में खंडहर और झोंपड़ियां हैं एवं इस किले को अंग्रेजों ने वर्ष 1905 में भूकंप के बाद ध्वस्त कर दिया था। किले में एक भी मंदिर है, जिसे बृज राज स्वामी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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