Travel: बच्चों को समझाएं भारत का इतिहास, घुमाकर लाएं जलियांवाला बाग त्रासदी स्मारक

Travel: बच्चों को समझाएं भारत का इतिहास, घुमाकर लाएं जलियांवाला बाग त्रासदी स्मारक
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Travel News: बच्चे हमारे देश का भविष्य होते हैं इसलिए उन्हें हमारे देश के बारे में अगली- पिछली सभी बातों के बारे में पता होना चाहिए। ऐसे में उन्हें भारत देश की एतिहासिक जगहों (Historical Places) पर लेकर जाना और यहां के इतिहास से उनका परिचय कराना पेरेंट्स की प्राथमिकता (Parents Priority) होनी चाहिए...

Travel News: जब भी घूमने की बात आती है तब हम अपने बच्चों को वॉटर पार्क्स, गेम पार्क्स या फिर ऐसी ही कोई जगह पर जाने का प्लान बनाते हैं, जहां पर वे आराम से मौज-मस्ती कर सकें। पर बच्चे हमारे देश का भविष्य होते हैं इसलिए उन्हें हमारे देश के बारे में अगली- पिछली सभी बातों के बारे में पता होना चाहिए। बच्चे अपनी स्कूली किताबों में भारत का इतिहास (Indian History) पढ़ते तो हैं, लेकिन इसके बारे में ठीक से समझ नहीं पाते। ऐसे में उन्हें भारत देश की एतिहासिक जगहों (Historical Places) पर लेकर जाना और यहां के इतिहास से उनका परिचय कराना पेरेंट्स की प्राथमिकता (Parents Priority) होनी चाहिए।

अब जबकि कुछ ही दिनों में भारत में हुए सबसे बड़े नरसंहार जलियांवाला बाग कांड (Jallianwala Bagh Massacre) की काली तारीख आने वाली है, तब आप अपने बच्चे को इस त्रासदी पर बनें स्मारक (Jallianwala Bagh Memorial) घुमाकर लाएं। उन्हें यहां पर घुमाते हुए इस पूरे नरसंहार के बारे में विस्तार से जानकारी दें। उन्हें उस जगह को दिखाएं जहां जनरल ओ डायर (General Michael O'Dwyer) के एक ऑर्डर पर हजारों लोगों पर गोलियों की बरसात कर दी गई थी जिसमें औरतें और बच्चे भी शामिल थे।

अमृतसर टाउन के केंद्र में स्थित जलियांवाला बाग शताब्दी स्मारक पार्क एक ऐसा स्थान है जहां लगभग 2000 भारतीयों को जनरल ओ डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों के हाथों बेरहमी से गोली मार दी गई थी। इस घटना को जलियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना जाता है। इसे साल 2019 में नवीकरण के लिए बंद कर दिया गया था। लेकिन अब कई सारी नई चीजों के साथ इसे वापस खोल दिया गया है। ये सुबह साढ़े छः बजे से शाम साढ़े सात तक खुला रहता है।

क्या है इस नए मेमोरियल में खास

  • क्रूर नरसंहार स्थल पर एक दूसरा स्मारक अज्ञात शहीदों के सम्मान का प्रतीक है जिन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार में अपनी जान गंवा दी।
  • पार्क के पूरे स्मारक में बदलाव आया है। शहीदी खू के सभी किनारों को कड़े कांच से सजाया गया है।
  • चार नई दीर्घाएं स्थापित की गई हैं जो आपको नरसंहार की कहानी और पंजाब में साम्राज्य के कामकाज पर एक महान अंतर्दृष्टि प्रदान करेंगी।
  • पार्क के अप्रयुक्त भंडारगृहों को प्रशासनिक भवनों और 100 सीटों वाले थिएटर में बदल दिया गया है।
  • आधिकारिक तौर पर ज्ञात 488 शहीदों के नाम स्मारक के काले और भूरे ग्रेनाइट पत्थर की दीवारों पर अंकित किए गए हैं।
  • शहीदों के पांच सफेद पत्थर के खंभे आकाश में ऊंची उड़ान भरने वाली उनकी आत्मा का प्रतीक हैं।
  • 13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटनाओं को प्रदर्शित करने के लिए 28 मिनट का साउंड एंड लाइट शो स्थापित किया गया है।
  • पार्क के मुख्य स्मारक के चारों ओर कमल का तालाब बनाया गया है।
  • गुरु नानक देव सिख योद्धा बंदा सिंह बहादुर की मूर्ति, और महाराजा रणजीत सिंह की एक मूर्ति को जोड़ा गया है।

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