दिल्ली-एनसीआर में क्यों पड़ती है कड़ाके की ठंड और पसीना छुड़ाने वाली गर्मी? जानें वजह

दिल्ली-एनसीआर में क्यों पड़ती है कड़ाके की ठंड और पसीना छुड़ाने वाली गर्मी? जानें वजह
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जानें उत्तर भारत के मौसम को समझना क्यों इतना मुश्किल होता है। आखिर क्यों यहां कड़ाके की ठंड और जबरदस्त गर्मी होती है? यहां पढ़िये इस सवाल का जवाब...

Weather of Delhi, Haryana and Others : इस साल हमने दिल्ली (Delhi), हरियाणा (Haryana) समेत आसपास के इलाकों में मौसम का अलग ही अंदाज देखा है। आधा दिसंबर बीतने के बाद भी यहां सर्दी का नामोनिशान नहीं था, लेकिन अब इन इलाकों में सर्दी ने अपना असली रूप दिखाना शुरू किया है और सर्द हवाएं हम सभी को कंपकंपाने के लिए मजबूर कर रही हैं। दिल्ली, हरियाणा समेत उत्तर भारत के सभी इलाकों में हर साल कड़ाके की सर्दी पड़ती है। लेकिन, सवाल ये उठता है कि ये सभी इलाके पहाड़ी नहीं हैं। इसके बावजूद यहां इतनी ठंड क्यों पड़ती है? आज के इस आर्टिकल में हम मौसम के इसी राज से पर्दा उठाएंगे कि आखिर क्यों यहां कड़ाके की ठंड और पसीना छुड़ाने वाली गर्मी पड़ती है।

क्यों पड़ती है रूह जमाने वाली ठंड?

दिल्ली समेत उत्तर भारत में ज्यादा ठंड होने के पीछे बहुत सी वजह हैं। दिल्ली जैसा ही हाल हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के इलाकों में भी रहता है क्योंकि पश्चिमी हवा से लेकर पहाड़ों पर होने वाली बर्फबारी तक का असर उत्तर भारत के सभी इलाकों पर पड़ता है।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाली हवाएं

दरअसल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाली हवाओं का असर उत्तर भारत में देखने को मिलता है और ये हवाएं काफी सर्द होती हैं। ऐसा माना जाता है कि ये सर्द हवाएं ही इन इलाकों में ठंड की शुरुआत करती हैं और वक्त के साथ इसे बढ़ाती हैं। इन्हीं हवाओं की वजह से उत्तर और उत्तर-पश्चिम के इलाके में बारिश भी होती हैं। ये हवाएं दिसंबर में शुरू हो जाती हैं और इसके साथ ही उत्तर भारत में ठंड का आगाज होता है।

पहाड़ी क्षेत्रों के मौसम का भी असर होता है

उत्तर भारत के आसपास कई पहाड़ी क्षेत्र हैं, जिनके मौसम का असर हमे दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों पर देखने को मिलता है। अगर पहाड़ी क्षेत्र में बर्फबारी होती है, तो इन इलाकों में ठंड बढ़ जाती है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और बाकी नजदीकी इलाकों में होने वाली बर्फबारी भी ठंड को बढ़ावा देती है।

इन्ही कारणों से सुबह हल्की धुंध भी रहती है। सुबह होते-होते यह धुंध 100-300 मीटर ऊपर उठकर हल्के बादल में तब्दील हो जाती है। ऐसे में जमीन पर तापमान कम रहता है और धूल के कण के साथ नमी बरकरार रहती है। ये हल्के धुंध वाले बादल सूरज की किरणों को धरती तक आने से रोकते हैं।

क्यों पड़ती है पसीने छुड़ाने वाली गर्मी?

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो मॉनसून का मतलब सिर्फ बारिश से नहीं होता है। हवाओं की दिशा या रूख में बदलाव को भी मॉनसून कहा जाता है। इस कारण से गर्मी में गर्म हवाएं चलती हैं, दिल्ली में बारिश वाला मॉनसून सिर्फ जुलाई और अगस्त के महीने में आता है और उससे पहले गर्मी ही रहती है क्योंकि दिल्ली यमुना नदी के किनारे बसी है, इसलिए यह ह्यूमिड सबट्रोपिकल रीजन में आता है। इसके अलावा राजस्थान के रेतीले इलाकों से आने वाली गर्म हवाएं भी उत्तर भारत में गर्मी बढ़ाती है।

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