सर्दियों में महसूस हो रही अजीब सी उदासी तो गंभीर बीमारी के हैं शिकार, जानिए इसके लक्षण

Seasonal Affective Disorder: भारत (India) में सर्द हवाओं के कारण तापमान लगातार गिरता जा रहा है। सर्दियां (Winter) बढ़ने की वजह से लोगों में आलसपन भी बढ़ रहा है। कुछ लोगों के लिए सुबह-सुबह अपने बिस्तर से निकलना मुश्किल हो गया है। कई लोग इस मौसम में उदास हुए थका हुआ महसूस करते हैं। इंसान के अंदर बढ़ रही इस उदासी और डिप्रेशन वाली फीलिंग को विंटर ब्लूज (winter blues) कहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विंटर ब्लूज कोई बना-बनाया शब्द नहीं है, बल्कि सचमें एक बीमारी है? सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) एक प्रकार का डिप्रेशन है, जो मौसम में बदलाव से जुड़ा होता है। एसएडी हर साल लगभग एक ही समय पर होता है। एसएडी का सामना कर रहे लोगों में पतझड़ के मौसम से ही लक्षण दिखने लगते हैं। जो की सर्दियों के महीनों तक जारी रहते हैं। हालांकि कभी-कभी ये लक्षण वसंत या गर्मियों में भी दिखने लगते हैं।
SAD के सिम्पटम्स
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसएडी के लक्षण पहले हल्के होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे मौसम आगे बढ़ता है, ये गंभीर होने लगते हैं। एसएडी की पहचान करने के कुछ लक्षणों हैं:
- कम ऊर्जा होना और सुस्ती महसूस होना (low energy and feeling lethargic)
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई (difficulty concentrating)
- निराश और दोषी महसूस करना (feeling frustrated and guilty)
- बहुत ज्यादा सोना (sleeping too much)
- कार्ब क्रेविंग, ओवरईटिंग और वजन बढ़ना (Carb Cravings, Overeating, and Weight Gain)
- दिन भर उदास और उदास महसूस करना (feeling sad and depressed most of the day)
सर्दियों में महसूस हो रही अजीब सी उदासी तो इस गंभीर बीमारी के हैं शिकार, जानिए लक्षण
इस बीमारी के पीछे क्या कारण है?
बता दें कि एसएडी में कुछ लक्षण ऐसे भी होते हैं जो सर्दी और पतझड़ में एक जैसे रहते हैं। अत्यधिक सोना, भूख कम या ज्यादा होना, विशेष रूप से उच्च कार्ब खाद्य पदार्थों की लालसा, वजन बढ़ना और थकान कुछ ऐसे लक्षण हैं। जो सर्दियों के दौरान सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर वाले लोगों का अनुभव करते हैं। दूसरी ओर स्प्रिंग और गर्मी के मौसम में एसएडी के लक्षणों में अनिद्रा, वजन घटाने, चिंता और चिड़चिड़ापन में आदि शामिल हैं। लोगों में सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर का कोई विशेष कारण नहीं है, लेकिन कुछ संभावित कारणों में सर्केडियन रिदम (circadian rhythms) में बदलाव, सेरोटोनिन (serotonin) के स्तर में गिरावट और मेलाटोनिन (melatonin) के स्तर में असंतुलन शामिल हैं।
वहीं आगे जोखिम कारकों की बात करें तो एसएडी का पारिवारिक इतिहास, डिप्रेशन और द्विध्रुवी विकार (bipolar disorder), विटामिन डी का निम्न स्तर और भूमध्य (equator) रेखा से दूर रहना शामिल है। सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर आपके काम करने की क्षमता को कम कर सकते हैं। इससे लोगों को ड्रग्स की लत लग सकती है और यहां तक कि चिंता या खाने के विकार जैसे अतिरिक्त मानसिक स्वास्थ्य विकार भी हो सकते हैं।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS