Navratri 2022: नवरात्रि के दिनों में क्यों वर्जित है प्याज और लहसुन का सेवन? दानव से जुड़ी है बड़ी वजह

Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर की शुरुआत में बस कुछ ही समय बाकी है, यही कारण है कि लोगों का उत्साह सातवें आसमान पर पहुंचा हुआ है। इस साल 26 सितंबर से 4 अक्टूबर तक मां की पूजा की जाएगी और 5 तारीख को दशहरा पड़ रहा है। यह नवरात्रि का 9 दिवसीय उत्सव मां दुर्गा को समर्पित होता है और इस दौरान उनके नौ अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि या दुर्गा पूजा दोनों का एक ही मतलब होता है और दोनों बुराई पर अच्छाई की जीत के जश्न के रूप में मनाते हैं। दुर्गा पूजा बंगाली समुदाय के मुख्य त्योहारों में से एक है और गणेश उत्सव की ही तरह दुनिया भर में इस त्योहार को भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन इस त्योहार में सभी हिंदू घरों में कुछ नियमों का पालन किया जाता है, इनमें से सबसे बड़ा नियम ये होता है कि नवरात्रि के दौरान घरों में प्याज और लहसुन (why onion and garlic is not eaten in navratri) का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
नवरात्रि में प्याज और लहसुन क्यों नहीं?
नवरात्रि चाहे चैत्र की हो या शारदीय पहली चीज जो सीधे रसोई से निकलती है वह है (Navratri Me Kyu Nhi Khate Pyaaj Aur Lehsun) प्याज और लहसुन, इन दोनों ही चीजों के इस्तेमाल पर पूजन के 9 दिनों के लिए प्रतिबंध रहता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों? आज की इस खबर में हमआपको बताएंगे की ऐसा आखिर क्यों होता है। हिंदू धर्म में, खाद्य पदार्थों को राजसिक, तामसिक और सात्विक भोजन नाम से तीन भागों में बांटा गया है। यह माना जाता है कि सात्विक खाद्य पदार्थ वे हैं जो आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करते हैं - कुछ चीजों को छोड़कर यह सभी शाकाहारी खाना सात्विक श्रेणी में आता है। सात्विक आहार (Satvik Food) में मौसमी खाद्य पदार्थ, फल, डेयरी प्रोडक्ट्स, मेवा, बीज, तेल, पकी सब्जियां, फलियां, साबुत अनाज और शाकाहारी प्रोटीन को महत्व दिया जाता है।
दूसरी ओर राजसिक (Rajsik Food) खाद्य पदार्थ शरीर और मन पर उत्तेजक प्रभाव डालते हैं। इसका शरीर पर न तो सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और न ही नकारात्मक। वहीं मन या शरीर को हानि पहुंचाने वाला भोजन स्वभाव से तामसिक (Tamsik Food) माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मानसिक सुस्ती का कारण बनता है। क्योंकि प्याज और लहसुन को नेचर में तामसिक श्रेणी में बांटा गया है, इसलिए नौ दिनों तक चलने वाले पवित्र त्योहार के दौरान उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाता है। आसान शब्दों में बताएं तो लहसुन-प्याज तामसिक प्रकृति के होने के कारण अशुद्ध श्रेणी में आते हैं, इसका सेवन करने से अज्ञानता बढ़ती है। इनके सेवन से वासना में वृद्धि होती है, इसलिए व्रत क दौरान लहसुन-प्याज का सेवन करना वर्जित पूरी तरह से है। अगर आप पवित्र और खुश मन से भगवान की आराधना करना चाहते हैं तो लेकिन प्याज और लहसुन खाने से आपका मन अशुद्ध हो जाता है, इसलिए नवरात्रि में मन की पवित्रता को बनाए रखने के लिए लहसुन-प्याज नहीं खाने चाहिए, इससे आपका चंचल मन थोड़ा कम भटकेगा। उम्मीद करते हैं कि अब आपको समझ आ गया होगा कि नवरात्रि में प्याज और लहसुन को क्यों नहीं खाया जाता है।
प्याज और महसुन ना खाने के पीछे ये है पौराणिक वजह
वैसे तो प्याज और लहसुन ना खाने के पीछे बहुत से कारण हैं, लेकिन सबसे प्रचलित दो कारणों में से एक यह है कि समुंदर मंथन के समय सबसे आखिर में जो अमृत निकला था। जिसके बाद भगवान विष्णु मोहिनी का रूप लेकर देवताओं को अमृत पिलाने लगे तभी स्वरभानु नाम के दानव ने देवताओं का रूप लेकर अमृत पीने की कोशिश की थी। जैसे ही इस बात का पता भगवान विष्णु को चला तो उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से उस दानव का सिर उसके धड़ से अलग कर दिया, जिससे राहु और केतु बनें। तब उस दानव के खून की कुछ बूंदें जमीन पर गिरीं और उससे ही लहसुन प्याज की उत्पत्ति हुई, प्याज और लहसुन की तीखी बदबू के पीछे का यह एक कारण मन जाता है। साथ ही लोगों का यह भी मानना है कि क्योंकि दानव ने अमृत कि कुछ बूंदें पी थी इस कारण प्याज और लहसुन में रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। इसलिए नवरात्रि में प्याज और लहसुन खाना पूरी तरह से वर्जित है।
आइये जानते हैं कितने प्रकार की होती हैं नवरात्रि
साल भर में चार प्रकार के नवरात्र होते हैं, प्रत्येक एक विशेष मौसम में पड़ते हैं। हालांकि, सबसे आम और व्यापक रूप से मनाई जाने वाली नवरात्रि शरद या शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर) और चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) होती है। मां दुर्गा (Maa Durga) के नौ दिनों तक चलने वाले इस हिंदू त्योहार के दौरान, भक्त उपवास रखते हैं और देवी से आशीर्वाद मांगते हैं।
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