World Mental Health Day 2021 : इन कारणों से बढ़ रही मेंटल प्रॉब्लम्स, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

World Mental Health Day 2021 : इन कारणों से बढ़ रही मेंटल प्रॉब्लम्स, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
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आमतौर पर लोग अपनी फिजिकल हेल्थ से जुड़ी प्रॉब्लम्स के सामने आते ही डॉक्टर से कंसल्ट करते हैं लेकिन मेंटल प्रॉब्लम्स को लेकर अभी उतनी अवेयरनेस नहीं दिखती है। यह स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि बीते कुछ वर्षों में, खासतौर पर शहरी जीवनशैली में, लोगों में मेंटल इलनेस के मामले काफी बढ़े हैं।

हमारी मेंटल हेल्थ (Mental Health) उतनी ही जरूरी है, जितनी की हमारी फिजिकल हेल्थ (Physical Health)। हर साल दुनिया भर में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) मनाया जाता है। ताकि लोगों में इस मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके। यहां सर गंगाराम हॉस्पिटल की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आरती आनंद की ओर से कुछ कारण बताए गए हैं। जिनकी वजह से मेंटल हेल्थ से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं।

सोशल स्टिग्मा (Social Stigma)

मेंटल हेल्थ इश्यूज (Mental Health Issues) बढ़ने के बावजूद यह चिंताजनक है कि अभी भी मेंटल प्रॉब्लम्स (Mental Problems) को लेकर सोशल स्टिग्मा (Social Stigma) कायम है। आमतौर पर इसे इलनेस (Mental illness ) मानने के बजाय पर्सनल वीकनेस (Personal Weakness) मान लिया जाता है। इसीलिए लोग अपनी मेंटल प्रॉब्लम (Problem) के बारे में बताने से हिचकिचाते हैं, इस बारे में डिस्कशन (Discussion) कम करते हैं और डॉक्टर के पास जाने से भी हिचकिचाते हैं। इन वजहों से भी मेंटल प्रॉब्लम (Mental Problem) काफी सीरियस हो जाती है। हमें यह समझना चाहिए कि जिस तरह हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में रोग होते हैं, उसी तरह हमारा मन भी बीमार हो सकता है। इसलिए उसे भी समय पर प्रॉपर ट्रीटमेंट (Proper Treatment) की जरूरत होती है।

इसलिए बढ़ रही है प्रॉब्लम

आज के दौर में लोगों में मेंटल प्रॉब्लम्स बढ़ रही हैं, इसकी कई वजहें हैं। दरअसल, आजकल लोगों के बीच कॉम्पिटिशन बहुत बढ़ गया है। हर कोई अपने करियर और प्रोफेशन में सबसे टॉप पर रहना चाहता है। लोगों की इच्छाएं बहुत बढ़ गई हैं, लोग इंस्टेंटली सब कुछ पाना चाहते हैं। इनके अलावा फाइनेंशियल इश्यूज (Financial Issues), रिलेशनशिप कॉम्प्लेक्सेस (Relationship Complexs),ज्वाइंट फैमिलीज (Joint families) का कम होना, न्यूक्लीयर फैमिलीज का बढ़ना और सोशलाइजेशन में कमी की वजह से मेंटल हेल्थ इश्यूज बढ़ रहे हैं।

कोरोना से बढ़ी मेंटल प्रॉब्लम्स

क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आरती आनंद बताती हैं कि पिछले दो सालों में, जब से कोरोना महामारी (Covid Pandemic) का प्रकोप पूरे विश्व में फैला है, तब से मेंटल हेल्थ इश्यूज में देश-दुनिया में और भी बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान सिर्फ ओल्ड एज के लोगों में ही नहीं मिड एज, यंग एज, बच्चों और घरेलू महिलाओं में भी मेंटल प्रॉब्लम्स बढ़ी हैं।

कोविड में क्यों बढ़े मामले

डॉ. आरती आनंद का कहना है कि कोरोना की दौरान मामले बढ़ने की वजह यह रही कि महामारी के दौरान लोग संक्रमण के डर से लंबे समय तक अपने घरों में बंद रहे। जिससे उनमें अकेलापन बढ़ा, दूसरों से कनेक्टिविटी कम हो गई, अपने करियर और जॉब को लेकर चिंता की वजह से डिप्रेशन बढ़ा। वहीं बच्चे अपने स्कूल और अपने आस-पास के दोस्तों से नहीं मिल पा रहे थे। इससे उनमें एंग्जाइटी की समस्या देखने को मिली। लोगों की डिजिटल डिपेंडेंसी बढ़ी, डोमेस्टिक वॉयलेंस की घटनाएं भी बढ़ीं, हाउसवाइव्स पर वर्कलोड बढ़ा, लगातार नेगेटिव न्यूज और अपने हेल्थ को लेकर चिंता की वजह से लोग तनाव से ग्रसित हो रहे थे। पहले से ही किसी हेल्थ प्रॉब्लम को फेस कर रहे लोग अपनी हेल्थ को लेकर और तनावग्रस्त हो गए। इन तमाम वजहों से लोगों में कई तरह की मेंटल हेल्थ से रिलेटेड प्रॉब्लम्स देखने को मिलीं।


जारी किए गए मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन नंबर

कोविड के दौरान सरकार और संस्थाओं की पहल से लोगों ने मेंटल हेल्थ की इंपॉर्टेंस को समझा और इसके प्रति उनमें अवेयरनेस भी बढ़ी है। अपने देश में भी सरकार ने मेंटल हेल्थ के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए। कंसल्टेशन सेंटर्स स्थापित किए और इसकी ऑनलाइन सुविधाएं भी बढ़ाईं। इस दिशा में और अवेयरनेस बढ़ाने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया का और भी यूज किया जाना चाहिए, हेल्थ इंश्योरेंस में इसे भी कवर किया जाना चाहिए।

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