योगाः नियमित योगाभ्यास से सर्दी में रहेंगी एनर्जेटिक

इन दिनों मौसम सर्द है। ठंड की वजह से कई जरूरी कामों में मन भी नहीं लगता है। यहां तक कि आप एक्सरसाइज, योगा करना भी छोड़ देती हैं। लेकिन ऐसा करना बिल्कुल सही नहीं है। सर्दियों में भी नियमित रूप से योगाभ्यास करना चाहिए, तभी आप एनर्जेटिक रह सकती हैं। लेकिन जब भी कोई योगासन करें तो योगा एक्सपर्ट की गाइडेंस में पहले सीख लें। फिर इसे घर पर करना शुरू करें।
पश्चिमोत्तानासन
विधि : पश्चिमोत्तानासन करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को बाहर की तरफ फैलाते हुए जमीन पर बैठ जाएं। पैरों की अंगुलियों को आगे की तरफ खीचें। सारी अंगुलियों को एक साथ रखें। सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर उठाएं। सांस छोड़ते हुए शरीर को आगे की तरफ झुकाएं। दोनों हाथों से पैरों के तलवों को, नाक से घुटनों को टच करें। इस स्थिति में 5 सेकेंड तक रहें। सांस लेते हुए पहली अवस्था में आ जाएं। शुरुआत में ऐसा दो बार करें। धीरे-धीरे इसका समय बढ़ा सकती हैं।
लाभ : इस आसन से मन को शांति मिलती है। टेंशन, स्ट्रेस कम होता है। इससे कंधे, रीढ़ की हड्डी का खिंचाव होता है। नियमित करने से डाइजेस्टिव सिस्टम मजबूत होता है। सिरदर्द, थकान कम करने में मदद करता है। हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है। भूख बढ़ाने, पेट की चर्बी कम करने के लिए भी फायदेमंद है।
सावधानियां : अस्थमा के मरीजों को पश्चिमोत्तानासन नहीं करना चाहिए। पेट खराब होने पर भी इसे नहीं करना चाहिए। अगर आपको पीठ पर चोट लगी है तो भी इसे करने से बचें। गर्भवती महिलाएं इसे बिल्कुल न करें।
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त्रिकोणासन
विधि : सबसे पहले मैट पर सीधी खड़ी हो जाएं। दोनों पैरों के बीच थोड़ा गैप रखें। सांस लेते हुए अपनी दोनों भुजाओं को कंधे की सीध में ले जाएं। सांस छोड़ते हुए कमर से आगे की तरफ झुकें। अब बाएं हाथ से दाएं पैर के पंजे को छुएं। दूसरा हाथ आसमान की तरफ रखें। इस अवस्था में 2-3 सेकेंड तक रहें। शरीर को सीधा रखें, सांस लेते हुए ऊपर उठें। अब ऐसा दाएं हाथ से करें। आप ऐसा 4-5 बार कर सकती हैं।
लाभ : त्रिकोणासन घुटनों, टखने, पैरों और हाथों को मजबूत बनाता है। यह हिप्स, हैमस्ट्रिंग, पिंडली, स्पाइन और कंधों को स्ट्रेच करता है। इससे शारीरिक, मानसिक स्थिरता बढ़ती है। डाइजेशन में सुधार होता है। यह एंग्जाइटी को ठीक करता है।
सावधानियां : अगर आपके गर्दन में दर्द है तो ऊपर देखने की बजाय सामने की तरफ देखें। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज इसे करते हुए नीचे की तरफ देखें। लो ब्लड प्रेशर, डायरिया और सिरदर्द की समस्या होने पर इस आसन को न करें।
धनुरासन
विधि: धनुरासन करने के लिए सबसे पहले एक मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अपनी ठोड़ी को जमीन पर लगाएं। अपने दोनों हाथों को पैरों की दिशा में लंबा करके जमीन पर कमर के पास रखें। अपने दोनों घुटनों को मोड़कर पैरों को ऊपर उठाएं। जब पैरों की एड़िया, कुल्हों तक आ जाएं, तो अपने हाथों से दोनों पैरों के टखने पकड़ लें। टखनों को पकड़ते समय हाथ सीधे रहने चाहिए। सांस लेते हुए अपने दोनों पैरों को पीछे की तरफ खींचें। अपने दोनों जांघों, कुल्हों को जमीन से ऊपर उठाने की कोशिश करें। दोनों जांघों, कुल्हों को ऊपर उठाते हुए अपनी छाती, गर्दन को भी जमीन से ऊपर उठाएं। इस अवस्था में कुछ सेकेंड रहें। इसके बाद धीरे-धीरे कुल्हों, जांघों को जमीन की तरफ ले आएं। इसके साथ-साथ छाती, सिर को भी जमीन पर ले आएं। दोनों हाथों से पकड़ी हुई एड़ियां छोड़ दें। आसन शुरू करते समय हाथ जिस मुद्रा में थे, वैसे ही उन्हें जमीन पर रख दें। धीरे-धीरे दोनों मुड़े हुए घुटने सीधे कर लें। दोनों पैरों को पहले की तरह जमीन पर रख दें।
लाभ : धनुरासन से रीढ़ की हड्डी मजबूत, लचीली बनेगी। कमर दर्द दूर होता है। इससे डाइजेशन सिस्टम मजबूत होता है। एसिडिटी, खट्टी डकार और पेट दर्द में राहत मिलती है। धनुरासन करने से शरीर फुर्तीला बनता है। इससे छाती, जांघें और कंधे मजबूत बनते हैं।
सावधानियां : गर्भवती महिलाओं को धनुरासन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। पेट में अल्सर होने पर इसे न करें। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को इसे नहीं करना चाहिए। आंतों की बीमारी, रीढ़ की हड्डी में समस्या होने पर इस आसन को न करें। गर्दन में दर्द, माइग्रेन होने पर भी इसे नहीं करना चाहिए।
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