एंबुलेंस नहीं मिलने पर बाइक से कोरोना मरीज का शव ले जाने लगे परिजन, मामले पर मचा हड़कंप

बिहार (Bihar) में कोरोना (Corona) के कहर के बीच स्वास्थ्य व्यवस्थाओं (Health systems) का भी मखौल भी उड़ रहा है। पटना (Patna) में शनिवार को कोरोना संक्रमण (Corona infection) की वजह से एक शख्स की मौत हो गई। इसके बाद शव को ले जाने के लिए अस्पताल में एंबुलेंस (Ambulances) नहीं मिली। इसपर परिजन बाइक (Bike) से ही शव को ले जाने की तैयारी करने लगे। इस मामले की जानकारी तुरंत डीएम कंट्रोल रूम (DM Control Room) को दी गई। जिससे सभी अधिकारी हरकत में आ गए। कोरोना मरीज के शव (Corona patient body) को ले जाने के लिए आननफानन में एंबुलेंस की व्यवस्था कराई गई।
जानकारी के अनुसार मलाही पकड़ी निवासी पुरुषोत्तम कुमार (40 वर्ष) रेलवे में लोको पायलट के पद पर तैनात थे। परिजनों द्वारा पुरुषोत्तम कुमार को बुधवार को खांसी और बुखार होने पर दीघा आशियाना रोड स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने गंभीर स्थिति को देखते हुए शनिवार तड़के सुबह पुरुषोत्तम कुमार को पटना एम्स रेफर कर दिया। परेशान परिजनों ने उनको पटना एम्स (Patna AIIMS) में भर्ती कराने के लिए कई लोगों से संपर्क किए। लेकिन वहां बेड खाली नहीं था। इसलिए वो उन्हें पटना एम्स में भर्ती नहीं करा पाए। इसके बाद परिजनों ने पुरुषोत्तम कुमार को पीएमसीएच, एनएमसीएच समेत कई अस्पतालों में भर्ती कराने का प्रयास किया। इनमें से किसी भी जगह बेड खाली नहीं थे। इसलिए परिजनों को सभी जगह से निराशा हाथ लगी। परिजनों ने आखिर में पुरुषोत्तम कुमार को बिहटा स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दिया। जहां शनिवार की दोपहर में पुरुषोत्तम कुमार की हालत गंभीर हो गई और अस्पताल में ही जारी ईलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
इसके बाद परिजनों शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधक से एंबुलेंस मुहैया करने की मांग रखी। जिससे कि वो शव को बांस घाट ले जा सके। परिजनों से अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस नहीं होने की वजह बताई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल की तरफ से उनको मर्चरी वाहन भी नहीं दिया गया। आसपास कोई दूसरा अस्पताल नहीं था, इसलिए परिजन काफी दुखी हो गए। हर प्रयास फेल होता देख परिजनों ने शव को बाइक से ही पार्थिव शरीर को बांसघाट ले जाने के लिए तैयारी शुरू कर दी।
परिजनों का कहना है कि उन्होंने स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी टोल फ्री नंबर 104 और 102 पर संपर्क करके और जिला नियंत्रण कक्ष से भी एंबुलेंस उपलब्ध कराने की मांग उठाई थी। एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो रही थी तो परिजनों ने शव को बाइक से ले जाने की तैयारी करने की सूचना जिला नियंत्रण कक्ष को दे दी। इसके बाद डीएम कंट्रोल रूम से परिजनों के पास फोन किया गया। साथ ही बताया गया कि एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है। इसपर कंट्रोल रूम में तैनात अधिकारी ने अस्पताल प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई। सरकारी तौर पर एंबुलेंस की व्यवस्था तो की गई। लेकिन इस सब में समय काफी खर्च हुआ और एंबुलेंस काफी देर में पहुंची। परिजन इससे पहले ही पैसे से एंबुलेंस करके शव को बांस घाट ले गए। कंट्रोल रूम का कहना है कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने इस मामले में घोर लापरवाही बरती है। मामले की जांच कराई जा रही है।
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