Bihar Assembly Elections 2020: सुरजेवाला बोले- नीतीश-सुशील ने आईसीयू में पहुंचा दी बिहार की स्वास्थ्य सेवाएं, पढ़ें आंकड़े

बिहार विधानसभा चुनाव 2020: बिहार में वर्तमान में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं। जिसको लेकर कांग्रेस हर तरह से एनडीए सरकार को घेरने के प्रसास में जुटी नजर आ रही है। इस कड़ी में कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला समेत अन्य पार्टी नेताओं ने शुक्रवार को संयुक्त बयान जारी कर बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एनडीए सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार-सुशील मोदी सत्ता का सुख भोगते रहे हैं और इन्होंने बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं को आईसीयू 'ICU' में पहुंचा दिया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि जोकि अब विहार की स्वास्थ्य सेवायें 'वेंटिलेटर' पर आखिरी सांसें गिन रही हैं!
कांग्रेसियों ने बताया कि हाल में ही वर्ल्ड बैंक व मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत की 'हैल्थ इंडेक्स' रिपोर्ट जारी की है। उन्होंने कहा कि इसमें सभा राज्यों की रैंक निर्धारित की गई है। स्वास्थ के सभी सूचकांकों में यूपी और बिहार को आखिरी पायदान पर रखा गया है। साल 2015-18 के बीच, स्वास्थ्य के सूचकांक व सेवाओं वृद्धि करना तो दूर, बिहार के हालात तो और बदतर हो गये हैं।
कांग्रेसियों ने कहा कि नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले नीति आयोग के प्रमुख अमिताभ कांत को यह तक कहा पड़ गया। कि बिहार जैसे राज्यों की स्वास्थ्य सेवाओं में बूरे प्रदर्शन की वजह से समूचा भारत 'ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स' (HDI) में पिछड़ गया है।
नीतीश-सुशील ने आईसीयू व वेंटिलेटर पर ऐसे पहुंचाई बिहार की स्वास्थ्य सेवायें: कांग्रेस
1. बिहार में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में करीब 60 प्रतिशत डॉक्टर व 71 फीसदी नर्से हैं ही नहीं।
2. भारत सरकार ने लोकसभा में बताया कि बिहार में 2011 की जनगणना के आधार पर 18637 'हैल्थ सब सेंटर' की जरूरत है। जबकि 50 प्रतिशत ही उपलब्ध हैं।
3. संसद में यह भी बताया कि बिहार में 3099 'प्राइमरी हैल्थ सेंटर' की आवश्यकता है। वर्तमान में सिर्फ 1200 मौजूद हैं।
4. बिहार में 'कम्युनिटी हैल्थ सेंटर' की 81 प्रतिशत कमी है।
5. संसद में यह भी बताया गया कि 150 'कम्युनिटी हैल्थ सेंटर' में 150 डॉक्टर होने चाहिये। जहां सिर्फ 8 डॉक्टर ही तैनात हैं।
6. बिहार में 'प्राइमरी हैल्थ सेंटर' और 'कम्युनिटी हैल्थ सेंटर' में लैबोरेटरी टेक्नीशियन के 70 पर रिक्त हैं।
8. बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के चलते बीते दो वर्षों में डायरिया से 584647, टायफाईड से 298204, सांस की गंभीर बीमारी से 1964674, हेपेटाईटिस से 29558, निमोनिया से 46440 और टीबी से 69958 लोग पीड़ित हुये। इसके अलावा साल 2018 में कुष्टरोग के भी 19331 नये मामले सामने आये।
नौनिहाल व माताओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़
1. स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का परिणाम बिहार की जनता को कैसे भुगतना पड़ रहा है। यह जानकर की रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 'नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे'-VI की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 48.3 फीसदी बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हैं। इसके अलावा बिहार में सरकार की लापरवाही के चलते 75000 बच्चे जन्म के पहले महीने में ही मौत के आगोश में समा जाते हैं। वहीं 6 महीने से 59 महीने के 63.5 प्रतिशत बच्चे खून की कमी के शिकार हैं।
2. बेहद शर्मनाक है कि बिहार में मात्र 9.7 प्रतिशत गर्भवती माताओं को 100 दिन तक की अनिवार्य फोलिक एसिड की दवायें दी जाती हैं। जोकि देश में सबसे कम है। इसके चलते 58 प्रतिशत गर्भवती मातायें खून की कमी का शिकार हो जाती हैं।
'ICU' में बिहार की स्वास्थ्य सेवाएं!
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 30, 2020
बिहार में नीतीश कुमार-सुशील मोदी सत्ता का सुख भोगते रहे और बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं को 'ICU' में पहुंचा दिया,
जो अब 'वेंटिलेटर' पर आखिरी सांसें गिन रही हैं!#बोले_बिहार_बदले_सरकार
हमारा बयान-: pic.twitter.com/7itz2PDEkG
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