पुलिस अब इन मामलों में आरोपियों को सीधे तौर पर नहीं करेगी गिरफ्तार, जानें नई गाइडलाइन

पुलिस अब इन मामलों में आरोपियों को सीधे तौर पर नहीं करेगी गिरफ्तार, जानें नई गाइडलाइन
X
बिहार डीजीपी एसके सिंघल की ओर से पुलिस के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है। आदेश के तहत एफआईआर दर्ज होने के दो सप्ताह के अंदर सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत उपस्थिति के लिए नोटिस को तामील कराना है। कारण होने पर इसमें दो सप्ताह की समय सीमा को और बढ़ाया जा सकता है।

बिहार पुलिस (Bihar Police) मुख्यालय की ओर से 7 वर्ष से कम सजा के मामले में गिरफ्तारी को लेकर विस्तृत गाइडलाइन (Bihar Police Detailed Guideline) जारी की गई है। डीजीपी संजीव कुमार सिंघल (DGP Sanjeev Kumar Singhal) द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि साधारण जुर्म या 7 वर्ष से कम सजा वाले केस में पुलिस अब सीधे तौर पर आरोपित को गिरफ्तार (Arrest accused) नहीं करेगी। डीजीपी के अनुसार 7 वर्ष से कम सजा के मामले में गिरफ्तारी करने या नहीं करने पर स्थितियों के आधार पर कुछ प्रावधानों का पालन करना होगा। अब इस तरह के मामलों में पुलिस सीधे गिरफ्तारी करने के बजाय पहले नोटिस भी दे सकती है। इसके बाद आरोपित बेल पाने के लिए कार्रवाई करेगा।

निर्देश के अनुसार दहेज से जुड़े मामलों व 7 वर्ष से कम सजा वाले केस में गिरफ्तारी के बजाए पहले सीआरपीसी की धारा-41 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता के विषय में पुलिस अधिकारी को संतुष्ट होना होगा। साथ ही पुलिस को अदालत के समक्ष गिरफ्तार आरोपित की पेशी के समय गिरफ्तारी का कारण व सामग्री समर्पित करनी होगी।

डीजीपी की तरफ से जारी दिशा-निर्देश

डीजीपी बिहार एसके सिंघल ने 7 साल तक के सजा वाले केस में अभियुक्तों गिरफ्तारी पर नई गाइडलाइन (New guideline on arrest) जारी की है। साथ ही इसको लेकर सभी जिलों के पुलिस कप्तान सभी जोन के डीआईजी और सभी प्रक्षेत्र के आईजी को पत्र भेज दिया गया है। पत्र में डीजीपी की ओर से कहा गया है कि गिरफ्तारी के वक्त दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41B, 41C, 41D, 45, 46, 50, 60 व 60 A का सम्यक अनुपालन अति जरूरी है। सभी पुलिस अधिकारी उक्त प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित कराएं।

डीजीपी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया

डीजीपी ने आदेश में यह भी जिक्र किया है कि पुलिस द्वारा बिना वारंट अरेस्ट करने की शक्ति संबंधी प्रावधान धारा 41 दंड प्रक्रिया संहिता में अधिनियम 2008 एवं दंड प्रक्रिया संहिता अधिनियम 2010 के माध्यम से संशोधन हुए थे। जोकि ये संशोधन 1 और 2 नवंबर 2010 से प्रभावी हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई 2021 को पारित न्यायादेश में कुछ आदेश दिए हैं।

Tags

Next Story