पीजी पाठ्यक्रम में जयप्रकाश-लोहिया के विचारों की पढ़ाई रहेगी जारी, मामला गरमाने पर सरकार ने रूख किया स्पष्ट

पीजी पाठ्यक्रम में जयप्रकाश-लोहिया के विचारों की पढ़ाई रहेगी जारी, मामला गरमाने पर सरकार ने रूख किया स्पष्ट
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बिहार के सारण में स्थित जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय में जेपी व राममनोहर लोहिया के विचारों को ही पीजी पाठ्यक्रम से हटाने का निर्णय लिया गया। मामला गरमाने पर शिक्षामंत्री विजय चौधरी सामने आए व सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जयप्रकाश और लोहिया के विचारों की पढ़ाई जारी रहेगी। साथ ही कहा कि दूसरे विश्वविद्यालयों में भी ऐसे मामलों की जानकारी ली जाएगी।

बिहार (Bihar) के छपरा में स्थित जेपी विश्वविद्यालय (Jaypee University located in Chapra) ने लोक नायक जयप्रकाश नारायण (Lok Nayak Jayaprakash Narayan), राम मनोहर लोहिया, एमएन रॉय और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों को पीजी पाठ्यक्रम (PG courses) से बाहर करने का निर्णय लिया था। तुरंत मामला गरमा गया, इसपर काफी तीखी प्रतिक्रिया आईं। मामले को लेकर सियासी घमासान भी मच गया। इस सब के बाद गुरुवार को शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Education Minister Vijay Kumar Choudhary) स्वयं मीडिया के सामने आए और बिहार सरकार (Bihar Government) का रुख साफ कर दिया। साथ ही उन्होंने इस निर्णय को अनुचित करार दिया। वहीं शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विवि के इस निर्णय को अनुचित करार देते हुए ऐलान किया कि सारण स्थित जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय में पीजी के पाठ्यक्रम में से अब राजनीति विज्ञान से जेपी और लोहिया के विचार नहीं हटाया जाएगा।

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन सरकार के सीधे-सीधे अधीन नहीं है। सरकार सभी वित्तीय खर्च वहन करती है। इस वजह से किसी ना किसी रूप में भूमिका रखनी होती है। उन्होंने बताया कि मामला प्रकाश में आते ही इसको लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने विश्वविद्यालय और रजिस्ट्रार से बातचीत की। साथ ही मामले में जांच भी शुरू कर दी गई। उन्होंने बताया कि अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि दूसरे विश्वविद्यालयों की भी पड़ताल की जाए। हो सकता है, वहां पर भी इसी तरह की परेशानियां हों।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस पर विवि स्तर से जो जवाब सामने आया है। उससे राज्य सरकार संतुष्ट नहीं है। साथ ही जांच में जो बात सामने आई हैं उनके आधार पर साल 2018 में ही नई शिक्षा नीति लागू करने की कड़ी में पाठ्यक्रम संशोधन के लिए एक कमिटी गठित हुई थी। इसी कमिटी ने ही अनुशंसा की थी। इसी के मुताबिक यह कार्रवाई हुई।

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