ब्लैक फंगस ने बढ़ाई परेशानियां, जानें एक मरीज के इलाज पर कितने रुपये खर्च कर रही राज्य सरकार

कोरोना संक्रमण (corona infection) के लगातार घटते मामलों के बीच बिहार में ब्लैक फंगस (black fungus in bihar) का बढ़ता प्रभाव लोगों को भयभीत करने लगा है। जानकारी के अनुसार बिहार में शुक्रवार को 19 नए ब्लैक फंगस पीड़ित मरीज (New black fungus infested patients) पाए गए। इनमें से नौ नए ब्लैक फंगस मरीजों को पटना (Patna) आइजीआइएमएस में, पांच मरीज पटना एम्स (Patna AIIMS) में और पांच मरीजों को पीएमसीएच में भर्ती करवाया गया।
जानकारी के अनुसार ब्लैक फंगस पीड़ित मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या की वजह से पटना आईजीआइएमएस के 100 बेड और एम्स के 75 बेड का फंगस वार्ड अब मरीजों से पूरी तरह से भर गया है। वहीं, नए ब्लैक फंगस के इलाज पर हो रहा खर्च भी मरीजों और उनके परिजनों को वहन करना भारी पड़ रहा है। इस को देखते हुए बिहार राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने बताया कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में ब्लैक फंगस के मरीजों को फ्री दवा दी जा रही है।
वहीं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (health minister mangal pandey) ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए बताया कि ब्लैक फंगस संक्रमित मरीजों के इलाज (Treatment of black fungus infected patients) पर बिहार सरकार (Bihar Government) की ओर से प्रति मरीज चार-पांच लाख तक की दवा सरकारी अस्पतालों में फ्री दी जा रही है। इससे ब्लैक फंगस के मरीजों की जान को बचाई जा रही है। मंगल पांडे ने यह बताया कि ब्लैक फंगस से बचाव की दवा एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की अब तक करीब 14 हजार वायल राज्य के कई अस्पतालों में उपलब्ध कराई गई हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग दवाओं की उपलब्धता पर भी नजर बनाए हुए है।
आपाके बता दें कि पटना आईजीआईएमएस में 10 संदिग्ध समेत कुल 107 ब्लैक फंगस संक्रमित मरीज, पटना एम्स में 98 ब्लैक फंगस पीड़ित मरीज भर्ती हैं। वहीं, ब्लैक फंगस के 23 मरीज कोरोना संक्रमण से भी गस्त हैं। इसलिए इन 23 मरीजों को कोविड वार्ड में भी रखा गया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि कोरोना वायरस के साथ-साथ ब्लैक फंगस महामारी से भी बचाव की हर कोशिश की जा रही है। साथ ही ब्लैक फंगस से उत्पन्न सभी समस्याओं पर ध्यान दिया जा रहा है।
साथ ही उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों द्वारा कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए राज्य के हर सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल समेत जिला अस्पतालों में नीकू, पीकू एवं एसएनसीयू की व्यवस्था को बेहतर बनाया जा रहा है।
मंगल पांडे ने यह भी बताया कि कोरोना वायरस को काबू करने के लिए टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट एवं ट्रैकिंग के तहत एक्शन प्लान पर लगातार कार्य चल रहा है। एक मई को राज्य में कोरोना वायरस की दर जहां 16 प्रतिशत के करीब थी, वहीं एक महीने में यह दर बिहार में सिर्फ एक प्रतिशत पर आ गई है।
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