BJP इन राज्यों में ला रही Uniform Civil Code, बिहार का इंकार, कुछ यूं समझिए गणित

BJP इन राज्यों में ला रही Uniform Civil Code, बिहार का इंकार, कुछ यूं समझिए गणित
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यूपी(UP), हिमाचल(Himachal) और उत्तराखंड(Uttarakhand) में जल्द ही BJP समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने जा रही है। जिसको लेकर बिहार(Bihar) में बीजेपी(BJP) और जेडीयू(JDU) के बीच खाई पैदा होती दिखाई दे रही है।

यूपी(UP), हिमाचल(Himachal) और उत्तराखंड(Uttarakhand) में जल्द ही BJP समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने जा रही है। जिसको लेकर बिहार(Bihar) में बीजेपी(BJP) और जेडीयू(JDU) के बीच खाई पैदा होती दिखाई दे रही है। जिन—जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारी में बीजेपी है। बता दें कि, यूपी, हिमाचल, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में इस कानून को लागू करने की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है।

बिहार में Uniform Civil Code (यूसीसी) को लागू करने की मांग बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Former Deputy Chief Minister Sushil Kumar Modi) ने जगदीशपुर में एक कार्यक्रम में की थी। साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने यूसीसी(UCC) को लागू करने की घोषणा की जा चुकी है। जिसके बाद जदयू ने इस लागू करने से इंकार करते हुए विधान पार्षद सह पार्टी के संसदीय दल (Legislative Councilor cum Party Parliamentary Party) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार में यूसीसी की जरुरत नहीं है। पुरानी व्यवस्था ठीक है। यहां अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं।

राजस्व मंत्री राम सूरत राय (Revenue Minister Ram Surat Rai) का कहना है कि नियम पूरे देश के लिए एक होना चाहिए। जहां—जहां बीजेपी(BJP) सरकार है, वहां यह नियम लागू हो। उन्होंने विपक्ष से भी अपील करते हुए यूसीसी पर विचार करने को कहा है।

क्या है कामन सिविल कोड

इसके लागू होने से देश में तलाक(Divorce), उत्तराधिकार, शादी, गोद लेने जैसे सामाजिक मुद्दे एक समान कानून के अंतर्गत आ जाएंगे। धर्म के आधार पर कोर्ट या अलग व्यवस्था नहीं होगी। संविधा (Constitution) का अनुच्छेद 44 इसे बनाने की शक्ति देता है। केंद्र सरकार संसद के जरिए लागू कर सकती है।

आजादी के साथ ही समान नागरिक संहिता की उठी थी मांग

हिंदू और मुस्लिमों (Hindus and Muslims) के लिए देश की आजादी (independence) से पहले अलग कानून लागू किए गए। हालांकि, महिलाएं ही इसके खिलाफ खड़ी हुईं। 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के घोषणा पत्र में भी यह मुद्दा शामिल था।

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