जातीय जनगणना कराने से केंद्र सरकार ने फिर किया मना तो गरमा गई बिहार की राजनीति, जानें जदयू का रूख

बिहार (Bihar) में जाति आधारित जनगणना का मुद्दा (Caste based census issue) राजनीतिक हो चुका है। पर केंद्र सरकार (central government) द्वारा इसको करवाए जाने से एक बार फिर से इनकार किया गया है। केंद्र सरकार द्वारा शीर्ष अदालत (Supreme Court) से कहा गया है कि वो ऐसा निर्देश नहीं दे जिसमें 2021 की जनगणना (2021 census) में पिछड़ों को शामिल किया जाए। सरकार ने अदालत में कहा है कि पिछड़े वर्ग की जातीय जनगणना (caste census) कराना प्रशासनिक तौर पर काफी कठिन है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सरकार द्वारा बताया गया है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 (SECC-2011) त्रुटियों से भरा हुआ है। केंद्र ने अदालत को बताया कि SECC- 2011 सर्वे ओबीसी सर्वेक्षण नहीं है। जैसे आरोप लगते हैं, बल्कि ये तमाम घरों में जातीय स्थिति को जानने का प्रोसेस था।
हाल में ही महाराष्ट्र की एक रिट में जाति आधारित जनगणना के डाटा को जारी करने की मांग उठाई गई थी। जिसपर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से हलफनामे में बताया गया कि सरकार ने 2021 की जनगणना में एससी-एसटी को सम्लित किया है। लेकिन इसमे किसी वर्ग का जिक्र नहीं है।
आपको बता दें कि कि बीते दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) की अगुवाई में 10 सियासी पार्टियों का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाकर जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी से मिला था। वहीं केंद्र सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना कराए जाने से इंकार किए जाने पर बिहार में राजनीति गर्म हो गई है। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने कहा है कि इसको लेकर उनकी मांग जारी रहेगी। इसपर निर्णय लेना केंद्र सरकार का कार्य है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीते कई साल से इस मांग को उठाते आ रहे हैं। दूसरी ओर इसपर राजद व कांग्रेस ने केंद्र के खिलाफ हमला बोलते हुए कहा कि उनको पूर्व से ही संदेह था कि वो जाति आधारित जनगणना नहीं कराएंगे।
मामले पर बिहार के मंत्री एवं भाजपा के नेता प्रमोद कुमार ने कहा कि केस अदालत में है। इसलिए हमें कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां तक जाति आधारित जनगणना कराए जाने की बात है तो जिनका एजेंडा ही जाति है, वही लोग इसको कराए जाने की मांग उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका एजेंडा राष्ट्रवाद है।
वैसे बिहार की राजनीति में जातीय जनगणना का मुद्दा लगातार छाया हुआ है। खासतौर पर राजद नेता तेजस्वी यादव इससे बार-बार उठा रहे हैं। तेजस्वी की पहल पर ही बिहार के सियासी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल अगस्त माह में पीएम नरेंद्र मोदी से भी मिला था। साथ ही नेताओं ने देश में जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग उठाई थी। इसकी अगुवाई सीएम नीतीश कुमार ने की थी। जिसमें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और भाजपा समेत 10 राजनीतिक दलों से 11 सदस्य शामिल थे।
आपको बता दें जातीय जनगणना कराए जाने के लिए बिहार विधानसभा से दो बार प्रस्ताव भी पास हो चुका है। पूर्व में भी केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में कहा गया था कि सरकार इसपर कोई विचार नहीं कर रही है। बाद में सीएम नीतीश द्वारा पीएम मोदी से चिट्ठी लिखी गई। जिसमें उन्होंने मुद्दे को लेकर बिहार के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने का किया था। जिसके बाद पीएम मोदी ने बिहार के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद इन प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कहा था कि पीएम मोदी ने इस मसले पर विचार विमर्श करने की बात कह रहे हैं। वहीं अब केंद्र सरकार द्वारा एक बार से इसको लेकर इनकार कर दिया गया है। वहीं जाति आधारित जनगणना को लेकर बिहार में फिर राजनीति तेज हो गई है।
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