JDU ने सीएम नीतीश को 'PM मैटेरियल' बताने वाला प्रस्ताव किया पारित, जानें इसके पीछे क्या है बड़ी मंशा!

JDU ने सीएम नीतीश को PM मैटेरियल बताने वाला प्रस्ताव किया पारित, जानें इसके पीछे क्या है बड़ी मंशा!
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बिहार में पीएम मैटेरियल शब्द को लेकर एक बार फिर से सियासत गरमा गई है। पटना में जदयू बैठक में यह प्रस्ताव भी पारित हुआ कि सीएम नीतीश कुमार पीएम मैटिरियल हैं। वहीं सियासी जानकार इसको महज भाजपा पर दवाब बनाने का एक दांव मान रहे हैं।

बिहार की सियासत (Bihar politics) में 'पीएम मैटेरियल' 'PM Material' शब्द एक बार फिर से छा गया है। क्योंकि रविवार को पटना (Patna) में जदयू की राष्ट्रीय परिषद की मीटिंग (JDU's national council meeting) एक प्रस्ताव पारित हुआ। जिसमें कहा गया कि सीएम नीतीश कुमार पीएम मैटिरियल (CM Nitish Kumar PM Material) हैं। नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण मौजूद हैं। वैसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में पीएम पद के लिए केवल नरेंद्र मोदी का ही नाम है। बावजूद इसके जदयू की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पीएम मैटिरियल बताते हुए एक प्रस्ताव पारित हुआ। अब सवाल उत्पन्न होता है कि ऐसा प्रस्ताव पारित किए जाने के पीछे क्या मकसद है? वहीं बीते दिनों स्वयं नीतीश कुमार ने पीएम मैटेरियल को लेकर कह चुके हैं कि वह ऐसी कोई आकांक्षा नहीं रखते हैं। हमारी इस तरह की चीजों में कोई रुचि नहीं है। जदयू राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद भी सीएम नीतीश कुमार ने पत्रकारों के प्रश्न पर कहा कि उनकी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। वह अपना कार्य करते हैं।

आपको बता दें जाति आधारित जनगणना के मुद्दे और जनसंख्या कानून पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी कि एनडीए में घमासान छिड़ा हुआ है। हर पार्टी अपने हिसाब से सियासत कर रही है। हर कोई पिछड़ों का रहनुमा बनने का प्रयास करता हुआ नजर आ रहा है। सभी सियासी पार्टियां इसी जुगत में जुटी हैं कि किस तरह पिछड़ों के वोट बैंक पर पकड़ बनाई जाए। इसका परिणाम ये ही है जो एक दूसरे घोर विरोधी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक साथ जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी से बीते दिनों दिल्ली में मिले।

वहीं भाजपा बीजेपी को छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के की घटक पार्टियां भी जाति आधारित जनगणना का समर्थन कर रही हैं। वहीं जनसंख्या कानून पर भी भाजपा व जदयू में मतभेद हैं। हाल में ही कई मुद्दों पर जदयू ने बीजेपी से अलग अपनी राय रखी है। जिससे पता चलता है कि जदयू अपने वजूद को भरपूर तरीके से समाने रखने का प्रयास कर रही है। सियासत के जानकार लोगों का मानना है कि पीएम मैटेरियल का प्रस्ताव भी इसी का एक रूप है। जदयू यह बताने की कोशिश कर रही है कि उनके पास भी एक राष्ट्रीय स्तर का नेता है। जिसमें प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण हैं।

इसलिए बेचैन हैं जदयू के नेता

पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू तीसरे स्थान पर आई। उसके बाद से ही जदयू नेता एनडीए में अपनी स्थिति को पहले जैसी बनाए रखने का प्रयास करते आ रहे हैं। एनडीए में बड़े भाई के रोल पर कायम रहने के लिए उन्हें नीतीश कुमार की जरूरत को बताते रहना जरूरी है। ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जदयू किसी रणनीति के मद्देनजर भाजपा नेतृत्व को संदेश दे रही हो कि वह उसे बिल्कुल भी हल्के में ना लें। जैसे बीतें दिनों में भाजपा के कुछ नेताओं ने खुलकर गठबंधन सरकार की मजबूरी बताते हुए भाजपा की स्वयं की सरकार बनाने का कार्यकर्ताओं से आह्वान किया था। उसके विरोध का भी जदयू का यह इशारा हो सकता है। बिहार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में अभी शह-मात का दौर जारी रहा है। साथ ही दबाव की सियासत भी चरम पर है। हर कोई खुद को बेहतर बताने की होड़ में लगा हुआ है। टिप्पणियों की झड़ी लगी हुई है। वैसे पीएम मैटेरियल से संबंधित बयान बिहार की सियासत में क्या गुल खिलाता है। इसके लिए आपको अभी इंतजार करना होगा।

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