Bihar Politics: भतीजे चिराग के पैर छूने पर पशुपति की प्रतिक्रिया, कहा- मैं हाजीपुर का उत्तराधिकारी हूं

Bihar Politics: लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर बीते 18 जुलाई को हुई एनडीए की बैठक में लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इसके बाद से ही चर्चा होने लगी की चाचा-भतीजे का मिलन हो गया है। वहीं, मिलन की खबरों पर चाचा पशुपति कुमार पारस ने कल शनिवार को विराम लगा दिया है।
पशुपति कुमार पारस ने शनिवार को इस बात का खंडन करते हुए कहा कि कई जगह ये भ्रांतियां फैलाई जा रही है कि चाचा और भतीजा एक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारा बिहार है। हम रिश्ते में चाचा हैं और हमारी संस्कृति है कि अपने से बड़ों को पैर छूकर प्रणाम करना। उन्होंने कहा कि बैठक में उस दिन चिराग गया हुआ था और अचानक सामने आ गया, तो वह मेरे पैर छूकर प्रणाम किया और हमने भी आशीर्वाद दे दिया। पशुपति कुमार पारस ने कहा कि इसे किसी और रूप में लेना बिल्कुल ही गलत है। मेरी और चिराग की पार्टी और राजनीति बिल्कुल अलग है। उन्होंने कहा कि चिराग को उस दिन एनडीए की मीटिंग में जरूर बुलाया गया था, लेकिन अभी तक चिराग एनडीए में नहीं है, जबकि मैं एनडीए के साथ हूं।
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हाजीपुर लोकसभा सीट को छोड़ने से किया इनकार
हाजीपुर सीट को लेकर पशुपति पारस ने कहा कि मेरी मौत भी आ जाएगी फिर भी मैं इस सीट को नहीं छोड़ सकता हूं। उन्होंने कहा कि अपने जीवन में कभी भी हाजीपुर लोकसभा सीट को नहीं छोड़ सकता हूं। मैं किसी भी परिस्थिति में हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ूंगा। मैं एनडीए का पार्ट हूं और एनडीए की टिकट से ही लोकसभा चुनाव लड़ूंगा। उन्होंने कहा कि कोई कहां से चुनाव लड़ता है मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन मैं हाजीपूर से ही लड़ूंगा।
बड़े भाई ने हमें माना है उत्तराधिकारी
पारस ने कहा कि हम तीन भाईयों में कभी भी हमारे बीच मनमुटाव नहीं हुआ था और हमारे बड़े भाई दिवंगत रामविलास पासवान ने हमें अपना उत्तराधिकारी बनाया था। उन्होंने कहा कि बड़े भाई अलौली विधानसभा से चुनाव लड़ते थे। वहां जब उन्होंने सीट को छोड़ा, तो हमें अपना सीट दे दिया और उस जगह से पांच बार विधायक भी बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब वे हाजीपुर लोकसभा सीट को छोड़े, तो अपनी सीट हमें दी और हमने वहां से चुनाव लड़कर जीत भी हासिल की। चिराग भले ही उनके बेटे हैं, लेकिन उन्होंने हमें उत्तराधिकारी माना है। इसलिए वह सीट हमारी है।
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