जिंदगी से जंग लड़ रहे कोरोना मरीज, बाइक सवार बदमाशों ने सरकारी अस्पताल से लूट लिए ऑक्सीजन सिलेंडर

कोरोना काल (Corona era) में बिहार (Bihar) समेत देशभर में ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen cylinder) की भारी किल्लत सामने आकर खड़ी हो गई। कोरोना मरीजों (Corona patients) को बचाने के प्रयासों के बीच अब ऑक्सीजन सिलेंडर की लूटपाट (Looting of oxygen cylinder) भी होने लगी है। बिहार के आरा (Arrah) से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां बुधवार को आरा सदर अस्पताल ऑक्सीजन सिलेंडर लूट (Cylinder loot) लिये गये। इस मामले पर अस्पताल मैनेजर ने ड्यूटी पर तैनात गार्ड से शोकॉज किया है। मैनेजर ने इस पर कहा है कि संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर गार्ड के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।
जानकारी के अनुसार बुधवार शाम को करीब चार बजे सदर अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर से भरी गाड़ी खाली होने के लिए पहुंची थी। सूचना मिलने पर मरीज के परिजनों ने अपने सबर का बांध तोड़ दिया। फिर क्या था, वो लोग गाड़ी से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर भागने लगे। समझाने पर भी ये लोग मानने को तैयार नहीं थे। इस दौरान अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया।
ये सभी परिजन अपने-अपने मरीजों के लिए ऑक्सीजन सुरक्षित करना चाहते थे। जानकारी के अनुसार ओपीडी में पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की सुविधा मौजूद है। पर पाइप लीक है, इसलिए सही तरीके से ऑक्सीजन नहीं पहुंच पर रही है। इस बीच कुछ बाइक सवार भी सदर अस्पताल पहुंच गए और चार ऑक्सीजन सिलेंडर लूट लिये।
सिलेंडर लूटने वालों में एक सरकारी कर्मचरी भी शामिल है। जिनकी माता जी कोरोना संक्रमित हैं। वैसे हॉस्पिटल प्रशासन ने बताया कि लूटे गये सिलिंडर वापस आ गये हैं। गार्ड से स्पस्टीकरण की मांग की गई है। वहीं मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि चार सिलेंडर लूट लिये गये, जो वापस नहीं आ सके हैं।
रेमेडिसिविर, ऑक्सीजन के नाम पर ठग रहे जालसाज
कोरोना से एक तो बिहार समेत पूरी दुनिया बेहाल है। वहीं ठग भी अपनी साजिशों से बाज नहीं आ रहे हैं। ये ठग आम लोगों और पीड़ितों से लगातार ठगी कर रहे हैं। रेमेडिसिविर दवा, ऑक्सीजन और कौन बनेगा करोड़पति में लॉटरी निकलने के नाम पर जालसाज ठगी कर रहे हैं। बाकायदा वाट्सएप पर इसके लिए संदेश भेजा जा रहा है।
जालसाज ऐसे देते हैं ठगी को अंजाम
ये जालसाज सोशल साइट पर किसी ऑक्सीजन सिलेंडर जरूरतमंद का नंबर देखते हैं। ये ये ठग तुरंत उस नंबर पर कॉल करते हैं और रेमेडिसिविर या ऑक्सीजन की व्यवस्था करने का दावा करते हैं। जरूरतमंद लोग तुरंत इन ठगों के झांसे में आकर इन ठगों की बात पर विश्वास करने लगते हैं। पीड़ित इन ठगों के कहे अनुसार रुपये ट्रांसफर कर देते हैं। लेकिन बाद में पीड़ितों को पता चलता है कि जिस नंबर से दवा देने का कॉल आया था, वह नंबर तो फर्जी है। जालसाज ठगी करने के लिए इंटरनेट के नंबर का इस्तेमाल करते हैं। वाट्सएप के माध्यम से संदेश भी भेजा जाता है। जालसाज ऑडियो भी जारी करते हैं। जिसमें लोगों को पैसे जमा करने की प्रक्रिया भी बताई जाती है।
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