अब ब्लैक फंगस से जुड़ी दवाइयां भी बाजार से गायब, इंजेक्शन एंफोटेरिसिन-बी को इतने में बेच रहे धंधेबाज

अब ब्लैक फंगस से जुड़ी दवाइयां भी बाजार से गायब, इंजेक्शन एंफोटेरिसिन-बी को इतने में बेच रहे धंधेबाज
X
बिहार में अभी तक तो कोरोना से जुड़ी दवाइयां बाजार से गायब हो रही थीं। वहीं अब ब्लैक फंगस से निपटने वाली दवाई भी बाजार से गायब हो गई हैं। जानकारी सामने आ रही है कि पटना में इंजेक्शन एंफोटेरिसिन-बी की कालाबाजारी हो रही है।

कोरोना संक्रमण (Corona infection) का सामना कर रही बिहार (Bihar) की राजधानी पटना (Patna) की अभी परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब पटना वासियों को ब्लैक फंगस (Black fungus) ने दिक्कतें देनी शुरू कर दी हैं। वहीं मीडिया रिपोर्ट से बात सामने आ रही हैं कि पटना में ब्लैक फंगस के इलाज (Treatment of black fungus) में काम आने वाला इंजेक्शन लिप्सोमोल एंफोटेरिसिन-बी (Injection Lipsomol Amphotericin-B) बाजार में उपलब्ध नहीं हो रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण तो ये है कि अभी तक लिप्सोमोल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की मांग बहुत कम थी। इस वजह से यह बाजार में कम ही उपलब्ध होता था। जानकारी के अनुसार एक्सपायर होने की वजह से लिप्सोमोल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन अप्रैल महीने में कंपनियों को वापस भेज दिये गये थे।

वहीं फार्मा कंपनी भी लिप्सोमोल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन यानि इस दवा का ऑडर नहीं ले रही है। पटना समेत पूरे बिहार में ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ने से लिप्सोमोल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की मांग तेजी से बढ़ने लगी है। बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष परसन कुमार सिंह का कहना है कि महंगे होने की वजह से सभी मेडिकल स्टोर लिप्सोमोल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन को अपने यहां रखते भी नहीं थे।

उन्होंने बताया कि पटना के ज्यादातर मेडिकल स्टोर में सिर्फ आठ से 12 वायल ही रखते थे। वहीं ब्लैक फंगस के लक्षड़ वाले एक मरीज के पूरे इलाज में करीब 50 से 64 इंजेक्शन तक की जरूरत पड़ रही है। इस वजह से भी लिप्सोमोल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।

वहीं मीडिया रिपोर्ट से ये बातें भी सामने आई हैं कि ब्लैक फंगस से निपटने में काम आने वाली दवाई की कालाबाजारी (Black marketing of black fungus medicine) भी शुरू हो गई है। एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन 4500 से 6500 रुपये में मिलता है। वहीं अब एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन को धंधेबाज 12 से 15 हजार रुपये में ब्लैक कर रहे हैं। वहीं आइसोकोनाजोल की 10 गोलियों का पत्ता चार हजार में आता था। अब सौदेबाज इसको आठ से 10 हजार में बेच रहे हैं। पोसोकोनाजोल की एक गोली 300 रुपये और सिरप 9500 रुपये से लेकर 19000 रुपये में आती है, लेकिन यह दवाई पटना के बाजार में उपलब्ध नहीं है। ब्लैक फंगस के आने के बाद वोरिकोनाजोल इंजेक्शन व टेबलेट की भी मांग है। लेकिन ये इंजेक्शन और गोलियां भी बाजार से गायब हैं।

जानकारी के अनुसा पटना के जीएम रोड पर 80 से अधिक थोक मेडिकल स्टोर हैं। इसके अलावा विभिन्न फुटकर मेडिकल दुकानें भी हैं। पर इनमें से किसी भी दुकान पर ब्लैक फंगस की दवा उपलब्ध नहीं है। वहीं जीएम रोड के एक दवा दुकानदार का कहना है कि एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का ऑर्डर दिया गया है, जल्द ही उपलब्ध हो जायेंगे।

अस्पतालों को नहीं मिल रही ब्लैक फंगस की दवाई

जानकारी के अनुसार पटना के अस्पतालों में फिलहाल करीब 50 ब्लैक फंगस पीड़ित मरीजों का इलाज चल रहा है। वहीं इन अस्पतालों का कहना है कि ब्लैक फंगस का इंजेक्शन और दवा औषधि विभाग की ओर से उपलब्ध नहीं कराई गई है।

Tags

Next Story