श्मशान में 10 दिन में जलीं 800 लाशें, सरकार बोली- कोरोना से हुईं सिर्फ 6 मौत, तर्कहीन जवाब पर हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

कोरोना संकट (Corona crisis) के बीच बिहार (Bihar) के बक्सर जिले (Buxar District) में चौसा शहर में गंगा नदी (Ganges River in Chausa City) में तैरती मिली लाशों (dead body) के बाद ही सवाल खड़े हो रहे हैं। दूसरी ओर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) बिहार में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों (Corona infection cases) और प्रदेश सरकार की व्यवस्थाओं पर ध्यान रख रहा है। वहीं हाईकोर्ट में कोरोना संक्रमण के मामले में सुनवाई के दौरान बिहार सरकार की ओर से जो रिपोर्ट रखी गई। वो रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाली है। उच्च न्यायालय में बिहार के मुख्य सचिव द्वारा पेश की गई रिपोर्ट (Report of the Chief Secretary of Bihar) में बक्सर में कोरोना वायरस से हुई मौतों और पटना प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा बक्सर श्मशान घाट पर जलाई गई लाशों की संख्या एक-दूसरे से बिल्कुल मेल नहीं खाती है।
मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर बीते 1 मार्च से 13 मई तक कोरोना महामारी की वजह से बक्सर जिले में केवल 6 लोगों की मौत होने की बात कही गई है। दूसरी ओर प्रमंडलीय आयुक्त की रिपोर्ट में 5 मई से 14 मई तक बक्सर के श्मशान घाट पर करीब 800 यानि 789 लाशें जलाई गईं। दोनों रिपोर्ट के सामने आने के बाद पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस कुमार की बेंच ने इसे कतई तर्कहीन बताया है।
मुख्य सचिव और आयुक्त के रिपोर्ट के बीच विरोधाभास पाए जाने पर हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से सवाल किया कि आखिरकार सचा कौन है? हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से ये भी पूछा है कि बक्सर जिले में 1 मार्च से 13 मई तक कितने कोरोना के सक्रिय मरीज रहे? जिन भी लोगों की मौतें हुई हैं, उन सभी व्यक्तियों का विवरण (डीटेल्स) दें। वहीं इस संबंध में 19 मई तक हाईकोर्ट में अपना जवाब सौपें।
गंगा नदी में मिली तैरती लाशों के बाद से मचा हंगामा
याद रहे बीते दिनों बक्सर जिले में गंगा नदी में विभिन्न घाटों पर एक के बाद एक शवों के मिलने से हंगामा बढ़ता गया। स्थानीय प्रशासन का मानना था कि यूपी से गंगा नदी में लाशें बहकर आई हैं। शवों के पाए जाने के बाद जिला प्रशासन की ओर से यूपी- बिहार बॉर्डर पर गंगा किनारे गस्ती और निगरानी बढ़ा दी गई।
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